0% GST : वाली वस्तुओं की नई सूची आम लोगों को बड़ी राहत
0% जीएसटी वाली वस्तुओं की नई सूची जारी होने के बाद आम लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिलने वाली है। सरकार ने रोजमर्रा की ज़रूरी चीजों जैसे अनाज, दूध, फल और सब्जियों को टैक्स मुक्त कर दिया है। अब बाजार में ये वस्तुएं पहले से सस्ती और बिना अतिरिक्त बोझ के उपलब्ध होंगी। इसका सीधा फायदा गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को मिलेगा, जिनके खर्चों पर यह बड़ा असर डालेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किन वस्तुओं पर अब शून्य जीएसटी (GST) लागू होगा। यह कदम आम जनता, किसानों और छात्रों के लिए किसी राहत पैकेज से कम नहीं माना जा रहा है। इस निर्णय का सीधा असर गरीब और मध्यम वर्ग की जेब पर पड़ेगा, जबकि छोटे व्यापारियों और शिक्षा क्षेत्र को भी इससे फायदा मिलेगा।
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सरकार का उद्देश्य और उपभोक्ताओं को राहत
आज के समय में जब हर चीज महंगी होती जा रही है, ऐसे में बुनियादी जरूरत वाली वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर करना सरकार का दूरदर्शी निर्णय है। जीएसटी दरों को लेकर अक्सर उपभोक्ताओं और कारोबारियों के बीच असमंजस बना रहता है, लेकिन शून्य जीएसटी वाली वस्तुओं की इस नई सूची ने तस्वीर साफ कर दी है। सरकार का संदेश बिल्कुल स्पष्ट है—"जनता पर बुनियादी उपभोग की वस्तुओं का बोझ नहीं डाला जाएगा।"
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाया जाता, तो इसका सीधा असर महंगाई पर पड़ता और गरीब से गरीब आदमी भी जरूरी चीजों के लिए ज्यादा पैसे चुकाने को मजबूर हो जाता। लेकिन अब यह आशंका दूर हो गई है।
किन वस्तुओं को रखा गया है शून्य जीएसटी वाली सूची में?
नई अधिसूचना में उन वस्तुओं को जगह दी गई है जो सीधे तौर पर रोज़मर्रा की जिंदगी और बुनियादी जरूरतों से जुड़ी हुई हैं। खासतौर से किसान, मजदूर, गरीब और मध्यम वर्ग इनसे जुड़ा हुआ है। आइए विस्तार से जानते हैं:
अनाज और दालें: गेहूं, चावल और बिना पैकिंग व बिना ब्रांड वाले दालें अब पूरी तरह जीएसटी मुक्त होंगी। यानी खुले बाजार से खरीदी जाने वाली दाल और अनाज पर टैक्स नहीं लगेगा।
फल और सब्जियां: ताजे फल और सब्जियां, जो प्राकृतिक और बिना पैकेजिंग के बेची जाती हैं, इन पर भी शून्य जीएसटी लागू होगा।
दूध: बिना पैकेट वाला और बिना प्रोसेस्ड दूध जीएसटी मुक्त रहेगा। यह कदम सीधा किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद है।
अंडे और मांस: बिना किसी प्रोसेसिंग के सीधे बाजार में बिकने वाले अंडे और मीट पर भी कोई जीएसटी नहीं लगेगा।
शैक्षिक सामग्री: किताबें और नोटबुक पूरी तरह शून्य जीएसटी श्रेणी में होंगी। इससे छात्रों और उनके अभिभावकों को बड़ी राहत मिलेगी।
नमक: खाद्य नमक, जिसे हर घर की जरूरत माना जाता है, पर भी टैक्स नहीं लगेगा।
हैंडमेड वस्तुएं: पारंपरिक कुटीर उद्योग से जुड़ी चीजें जैसे टोकरी, रस्सी और हाथ से बनाए गए छोटे उत्पाद भी करमुक्त रहेंगे।
धार्मिक प्रसाद: मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च या दरगाहों में दिया जाने वाला प्रसाद भी अब टैक्स के दायरे से बाहर होगा।
सरकार का संदेश और सामाजिक पहलू
शून्य जीएसटी वाली वस्तुओं की घोषणा से समाज के विभिन्न तबकों को अलग-अलग तरीके से फायदा होगा। गरीब वर्ग को जरूरी चीजें सस्ती मिलेंगी, शिक्षा का बोझ हल्का होगा और किसानों को उनके उत्पाद सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का मौका मिलेगा।
इस अधिसूचना के जरिए सरकार ने यह संकेत दिया है कि वह जनहित और उपभोक्ता हितैषी नीति अपनाने के लिए कटिबद्ध है। धार्मिक स्थलों के प्रसाद को भी जीएसटी मुक्त रखना न केवल सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सरकार की संवेदनशीलता और परंपरा के प्रति सम्मान को भी दर्शाता है।
छोटे कारोबारियों और किसानों पर असर
जीएसटी संबंधी नियम अक्सर छोटे व्यापारियों के लिए जटिल माने जाते हैं। लेकिन इस कदम से कर प्रणाली को लेकर उनका तनाव भी कम होगा। उदाहरण के तौर पर सब्जी या अनाज का छोटा कारोबारी अब टैक्स की उलझनों से दूर सीधे व्यापार कर सकेगा।
दूसरी ओर देखा जाए तो किसानों को भी इसका फायदा अप्रत्यक्ष रूप से होने वाला है, क्योंकि उनके उत्पाद सीधे ग्राहकों तक कम दाम में पहुंचेंगे। इस तरह किसान और उपभोक्ता, दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत होगा, और बीच के बिचौलियों की भूमिका भी कम होगी।
महंगाई नियंत्रण और उपभोक्ता लाभ
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि रोजमर्रा की जरूरत वाली चीजों से टैक्स हटा लेने से महंगाई पर भी नियंत्रण होगा। आज जहां कीमतें लगातार ऊपर जा रही हैं, ऐसे में शून्य जीएसटी वाली सूची जीवन-यापन की लागत को स्थिर रखने में मददगार साबित होगी।
छात्रों और शिक्षा क्षेत्र के लिए किताबों और नोटबुक पर टैक्स न लगना बेहद सकारात्मक कदम है। यह शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में सरकार का अहम फैसला है। इसके साथ ही हैंडमेड उत्पादों पर टैक्स हटने से ग्रामीण कारीगर और कुटीर उद्योग को भी नई ताकत मिलेगी।
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