एडवांस टैक्स की आखिरी तारीख: 15 सितंबर तक भुगतान न करने पर लग सकता है जुर्माना
एडवांस टैक्स (Advance Tax) की समय सीमा आज, यानी 15 सितंबर है। यह दिन टैक्सपेयर्स के लिए बेहद अहम है क्योंकि आज ही आईटीआर फाइलिंग की डेडलाइन और एडवांस टैक्स की डेडलाइन आपस में टकरा रही है। आयकर विभाग के अनुसार, जिन करदाताओं की सालाना टैक्स देनदारी ₹10,000 से अधिक है, उन्हें एडवांस टैक्स समय पर जमा करना अनिवार्य है।
दरअसल, एडवांस टैक्स सरकार को सालभर के दौरान ही टैक्स इकट्ठा करने का मौका देता है और साथ ही करदाताओं को भी एकमुश्त बड़ा भुगतान करने की परेशानी से बचाता है। यह टैक्स देनदारी को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर भुगतान करने की सुविधा देता है, जिससे टैक्स प्लानिंग आसान हो जाती है।
कौन लोग एडवांस टैक्स भरने के लिए बाध्य हैं?
सैलरी पाने वाले कर्मचारी जिनका टैक्स TDS के जरिए कटता है, उन्हें अक्सर अलग से एडवांस टैक्स देने की जरूरत नहीं होती।
लेकिन, अगर आपकी आय कैपिटल गेन, किराया, बिज़नेस या अन्य स्रोतों से है, तो एडवांस टैक्स देना होगा।
फ्रीलांसर और कंसल्टेंट्स भी इस श्रेणी में आते हैं, अगर उनकी टैक्स देनदारी ₹10,000 से अधिक है।
हालांकि, 60 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिक जिन्हें बिज़नेस से आय नहीं है, उन्हें एडवांस टैक्स भरने से छूट दी गई है।
एडवांस टैक्स कब और कितना जमा करना होता है?
आयकर विभाग ने एडवांस टैक्स भुगतान के लिए चार किस्तें तय की हैं:
15 जून तक: कुल टैक्स देनदारी का 15%
15 सितंबर तक: कुल टैक्स देनदारी का 45% (कुल मिलाकर)
15 दिसंबर तक: कुल टैक्स देनदारी का 75%
15 मार्च तक: 100% टैक्स का भुगतान
उदाहरण के लिए, अगर आपकी सालाना टैक्स देनदारी ₹1 लाख है, तो आपको 15 जून तक ₹15,000 और 15 सितंबर तक कुल ₹45,000 (जिसमें जून की राशि भी शामिल है) जमा करना होगा।
समय पर एडवांस टैक्स न भरने पर क्या होगा?
अगर आप 15 सितंबर की डेडलाइन तक एडवांस टैक्स का 45% नहीं भरते हैं, तो आपको जुर्माना देना पड़ेगा।
आयकर अधिनियम की धारा 234C के तहत, कम भुगतान की गई राशि पर हर महीने 1% ब्याज लगाया जाएगा, जो दिसंबर तक जारी रहेगा।
अगर आप मार्च तक अपनी एडवांस टैक्स देनदारी का कम से कम 90% भी जमा नहीं कर पाते हैं, तो धारा 234B के तहत भी जुर्माना लगेगा। इसमें भी हर महीने 1% अतिरिक्त ब्याज देना होगा, जब तक आप अपना आईटीआर दाखिल नहीं कर देते।
निचोड़
एडवांस टैक्स समय पर भरना न सिर्फ एक कानूनी जिम्मेदारी है, बल्कि यह आपको आगे चलकर अतिरिक्त जुर्माने और ब्याज से भी बचाता है। सही टैक्स प्लानिंग से आप अपनी नकदी प्रवाह (Cash Flow) को बेहतर तरीके से संभाल सकते हैं और सालभर का वित्तीय बोझ आसानी से बांट सकते हैं।