आगरा के उटंगन नदी में हुए दर्दनाक हादसे में एक बड़ी कामयाबी मिली है। 100 घंटे से अधिक समय से चल रहे बचाव अभियान में कंप्रेसर की मदद से एक शव को सफलतापूर्वक निकाला गया है। यह सफलता उन परिवारों के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आई है जो अपने प्रियजनों का इंतजार कर रहे हैं
सैन्य दल ने अपनाई नई तकनीक, कंप्रेसर से मिली कामयाबी की शुरुआत
खेरागढ़ स्थित उटंगन नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए हादसे के बाद से निरंतर चल रहे बचाव कार्य में रविवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया। सेना की टीम ने एक नया तरीका अपनाते हुए कंप्रेसर का उपयोग किया। इस देसी जुगाड़ ने मात्र आधे घंटे में करीम नाम के युवक का शव बाहर निकाल दिया। इस सफलता के बाद अब अधिकारी तीन कंप्रेसर की मदद से स्कूबा डाइवर टीम का अभियान चलाने की तैयारी कर रहे हैं
चार दिन में छह शव मिले
2 अक्तूबर की शाम से शुरू हुए इस सर्च ऑपरेशन में अब तक छह लोगों के शव बरामद हो चुके हैं। पहले दिन एसडीआरएफ के 20 जवान मौके पर पहुंचे थे। बाद में एनडीआरएफ और 50 पैरा ब्रिगेड की 411 पैरा फील्ड यूनिट भी इस अभियान में शामिल हो गई। कुल मिलाकर चार टीमों में 28 स्कूबा डाइवर इस मुश्किल काम में जुटे हुए हैं
पानी में मिट्टी और दलदल की वजह से बढ़ी परेशानी
बचाव दल को सबसे बड़ी समस्या नदी में मौजूद मिट्टी और दलदल से आ रही है। नदी में पानी का स्तर केवल 3 से 4 फीट है लेकिन जहां हादसा हुआ है वहां 25 से 30 फीट गहरा गड्ढा है। यह गड्ढा अवैध खनन की वजह से बना है। इस गहरे गड्ढे में मिट्टी और कीचड़ के कारण गोताखोर को काफी दिक्कत हो रही है
राजस्थान से आने वाले पानी ने बढ़ाई मुश्किल
ग्रामीणों ने नदी में अस्थाई बांध बनाने की कोशिश की थी लेकिन राजस्थान के पार्वती बांध से अचानक पानी छोड़े जाने की वजह से सारी मेहनत बर्बाद हो गई। शनिवार दोपहर 12 बजे धौलपुर जिले के पार्वती बांध के दो गेट खोल दिए गए थे। इससे उटंगन नदी का जलस्तर 2 से 3 फीट तक बढ़ गया और मिट्टी से भरे कट्टे बह गए
कंप्रेसर कैसे करता है काम
चेयरमैन खेरागढ़ सुधीर गर्ग ने बताया कि जिन कंप्रेसर का इस्तेमाल किया जा रहा है, वे आमतौर पर जमीन में फंसे सबमर्सिबल पंप निकालने के काम आते हैं। जब पंप 100 से 300 फीट की गहराई में बालू की वजह से फंस जाते हैं तो कारीगर कंप्रेसर की तेज हवा से मिट्टी हटाकर उन्हें बाहर निकालते हैं। इसी तकनीक को अब उटंगन नदी में फंसे लोगों को निकालने के लिए अपनाया जा रहा है।
परिवारजनों से ली गई लिखित सहमति
कंप्रेसर के उपयोग को लेकर शुरू में अधिकारियों में संशय था। जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगारी और अपर पुलिस आयुक्त राम बदन सिंह को डर था कि कंप्रेसर से शवों को नुकसान हो सकता है। इसके बाद पीड़ित परिवारों से लिखित सहमति ली गई कि अगर इस प्रक्रिया में कोई नुकसान होगा तो वे आपत्ति नहीं करेंगे। सभी परिवारों की सहमति मिलने के बाद ही यह काम शुरू किया गया ।
सोमवार से तीन कंप्रेसर के साथ नया अभियान
कंप्रेसर की सफलता को देखते हुए अब प्रशासन ने तीन कंप्रेसर लगाने का फैसला किया है। सोमवार से नए सिरे से बचाव अभियान शुरू होगा जिसमें तीनों कंप्रेसर का एक साथ उपयोग किया जाएगा। इससे काम की गति तेज होने और बाकी छह लापता लोगों को जल्दी निकालने की उम्मीद है।
बल्लियां लगाकर रोका जाएगा बहाव
नदी में पानी के तेज बहाव को रोकने के लिए 500 से अधिक बल्लियां मंगवाई गई हैं। ये बल्लियां नदी में फंसे शवों को बहने से रोकने के काम आएंगी। राजस्थान की तरफ से आने वाले पानी को रोकने के लिए मिट्टी के बैग से बांध बनाने का काम भी जारी है।
13 में से एक की जान बची
इस दर्दनाक हादसे में कुल 13 लोग उटंगन नदी में डूब गए थे। इनमें से केवल विष्णु नाम के एक व्यक्ति को जिंदा बचाया जा सका था। अब तक छह लोगों के शव मिल चुके हैं और छह लोग अभी भी लापता हैं। इन लापता लोगों में कई नाबालिग भी शामिल हैं जिनकी उम्र 15 से 26 साल के बीच है।
यह हादसा दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान हुआ था जब गांव के लोग हाथ पकड़कर एक कतार बनाकर नदी में गए थे। उन्हें लगा था कि पानी कमर तक ही है लेकिन अचानक वे गहरे गड्ढे में गिर गए ।