AI-Guided Pregnancy: बदलती जीवनशैली, तनाव, प्रदूषण और असंतुलित खानपान के कारण आज बांझपन (Infertility) एक गंभीर वैश्विक चुनौती बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया भर में हर छठा जोड़ा प्रजनन संबंधी समस्याओं का सामना कर रहा है। ऐसे में Artificial Intelligence (AI) अब इस समस्या का समाधान लेकर आया है। हाल ही में Columbia University Fertility Center की शोध टीम ने एक 19 साल से नि:संतान दंपत्ति को AI-Guided Pregnancy विधि से मातृत्व का सुख दिलाया। यह पहली बार है जब एआई की मदद से गर्भधारण संभव हुआ है, जिसने न सिर्फ विज्ञान बल्कि लाखों परिवारों के लिए उम्मीद की नई किरण जगाई है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने कैसे बदली प्रजनन तकनीक की दिशा?
कोलंबिया यूनिवर्सिटी फर्टिलिटी सेंटर की टीम ने "STAR" (Sperm Tracking and Recovery) नामक एआई निर्देशित विधि का उपयोग किया। इस तकनीक ने 3.5 मिलीलीटर semen sample का विश्लेषण करते हुए 25 लाख से अधिक तस्वीरों को स्कैन किया और उनमें से केवल दो स्वस्थ शुक्राणुओं की पहचान की। इन्हीं कोशिकाओं की मदद से सफल आईवीएफ (IVF) किया गया और महिला ने स्वस्थ गर्भधारण किया।
विशेषज्ञों के अनुसार, ये ai-guided sperm recovery method पुरुष azoospermia यानी “वीर्य में शुक्राणु की कमी” जैसी स्थितियों में वरदान साबित हो सकती है। जहां पारंपरिक तरीकों में डॉक्टरों को शुक्राणु खोजने में घंटों या दिनों का समय लगता था, वहीं एआई आधारित यह तकनीक कुछ घंटों में ही सटीक परिणाम दे देती है।
विशेषज्ञों की राय एआई से बढ़ेगी प्रजनन उपचार की सफलता दर
‘द लैंसेट’ जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में करीब 15% पुरुष infertility risk factors का सामना करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तकनीक ने sperm tracking and recovery की प्रक्रिया को आसान बना दिया है।
कोलंबिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जेव विलियम्स ने बताया “सैंपल सामान्य दिखने के बावजूद उसमें स्वस्थ शुक्राणु खोजना बेहद कठिन होता है। लेकिन अब एआई इस चुनौती को सरल बना रहा है।”
भारत सहित कई देशों में भी इस तकनीक को लेकर शोध शुरू हो चुके हैं। जानकारी के अनुसार AI जल्द ही IVF क्लीनिकों में एक जरूरी टूल बन सकता है। यह तकनीक प्रेग्नेंसी की समस्याएं और बांझपन का खतरा जैसी जटिलताओं को काफी हद तक कम करने में मदद करेगी।
एआई और भविष्य गर्भधारण की नई संभावनाएं
यह उपलब्धि सिर्फ एक केस तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे आगे का रास्ता भी खुला है। वैज्ञानिक अब इसे और बड़े स्तर पर टेस्ट करने की तैयारी कर रहे हैं ताकि एआई की मदद से गर्भधारण की संभावना को मजबूत बनाया जा सके।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह विधि न केवल एआई की मदद से प्रेग्नेंसी के अवसर बढ़ा सकती है, विशेषज्ञों का मानना है कि यह तरीका न केवल प्रेग्नेंसी की संभावनाओं को बेहतर बना सकता है, बल्कि आने वाले समय में चिकित्सा जगत में एआई आधारित नवाचारों का प्रतीक भी बन सकता है।
हालांकि, विशेषज्ञ यह भी याद दिलाते हैं कि जीवनशैली, तनाव और खानपान जैसे कारक अब भी गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, एआई केवल एक तकनीकी सहायक है. इसकी सफलता के लिए मानवीय देखभाल और स्वस्थ आदतें उतनी ही ज़रूरी
आशा की नई किरण
एआई ने चिकित्सा के एक और कठिन क्षेत्र में अपनी उपयोगिता साबित कर दी है। यह तकनीक न सिर्फ बांझपन के इलाज में मददगार होगी, बल्कि समाज में उन लाखों दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण बनेगी जो वर्षों से गर्भधारण की समस्याएं से जूझ रहे हैं।
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Mansi Arya
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