America : में इतनी सारी बंदूकें क्यों होती हैं और लोग उनका इस्तेमाल क्यों करते हैं?
अमेरिका में बंदूकें सिर्फ आत्मरक्षा का साधन नहीं मानी जातीं, बल्कि वहां के समाज और संस्कृति का अहम हिस्सा हैं। हर साल लाखों लोग नई गन खरीदते हैं और कई आठ-दस हथियार अपने पास रखते हैं। इसका कारण शिकार, खेलकूद, कलेक्शन और निजी सुरक्षा जैसे अलग-अलग कारण हैं। लेकिन इसी वजह से अमेरिका में हर साल करीब 40 हजार लोगों की मौत गोली से हो जाती है। गन कल्चर वहां एक गंभीर और बड़ी समस्या बन चुका है।
अमेरिका की धरती पर हर साल करीब 40 हजार मौतें गोलियों से होती हैं। यह आंकड़ा किसी युद्ध या आतंकवादी हमले का नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के जीवन का है। सोचिए, एक ऐसा देश जहां दुनिया की सबसे आधुनिक तकनीक और सबसे सशक्त लोकतंत्र मौजूद है, वहां बच्चे से लेकर बड़ों तक हर दिन गन हिंसा का खतरा झेलते हैं। सिर्फ पिछले साल ही करीब 2 करोड़ नई गन बेची गईं। इसका मतलब है कि हर कुछ सेकंड में एक नई बंदूक किसी के हाथ में पहुंच रही है। इन मौतों और खरीदारी के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्यों अमेरिका में बंदूकें रोज की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी हैं। वहां के समाज में बंदूक सिर्फ सुरक्षा का साधन नहीं, बल्कि मानो एक पहचान की तरह इस्तेमाल होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिकी समाज में गन रखना उतना ही सामान्य है जितना अन्य देशों में अपने घर में ताला लगाना। यही वजह है कि जब हम आंकड़ों को देखते हैं तो वह बेहद चौंकाने वाले लगते हैं। सच यह है कि अमेरिका का गन कल्चर अब सिर्फ एक बहस नहीं, बल्कि वहां की सामाजिक हकीकत बन चुका है। यह हकीकत हर साल हजारों लोगों की जान ले लेती है और लाखों परिवारों को घायल कर जाती है।
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क्यों अमेरिकी लोग सिर्फ एक नहीं बल्कि कई गन खरीदते हैं
भारत जैसे देश में हम सोच भी नहीं सकते कि एक व्यक्ति के पास पांच या दस बंदूकें हो सकती हैं। लेकिन अमेरिका में गन मालिकों के लिए यह आम बात है। वहां के लोग बताते हैं कि गन रखना उनकी ज़रूरत और शौक दोनों है। बहुत से लोग शिकार के लिए एक बंदूक रखते हैं, खेल और शूटिंग प्रतियोगिताओं के लिए दूसरी गन रखते हैं, आत्मरक्षा के लिए पिस्तौल घर में रखते हैं और इसके अलावा कलेक्शन के तौर पर पुरानी या दुर्लभ बंदूकें भी खरीदते हैं। इतना ही नहीं, परिवार में हर सदस्य के पास अलग-अलग गन होना वहां की परंपरा की तरह दिखता है। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि अमेरिकी संस्कृति में बचपन से ही बच्चों को खिलौने के रूप में गन दी जाती है। जब वे बड़े होते हैं तो असली बंदूक उनके लिए डर की चीज़ नहीं रहती बल्कि सामान्य वस्तु बन जाती है। यही कारण है कि वहां बंदूक खरीदना किसी मोबाइल फोन या कार खरीदने जैसा माना जाता है। अमेरिका में यह भी देखा गया है कि कई लोग यह मानते हैं कि जितनी ज्यादा गन उनके पास होंगी, वे उतना सुरक्षित महसूस करेंगे। हालांकि सच यह है कि जिन घरों में गन ज्यादा होती हैं, वहां हादसे भी ज्यादा होते हैं।
स्कूल से सड़क तक क्यों गूंजती हैं गोलियों की आवाज
अमेरिका में गन हिंसा का सबसे डरावना पक्ष यह है कि यह सिर्फ बड़ी घटनाओं तक सीमित नहीं रहती। न्यूयॉर्क, शिकागो, टेक्सास या कैलिफॉर्निया जैसे राज्यों में समाचारों पर नज़र डालें तो हर दिन कहीं न कहीं गोलीबारी की ख़बर सामने आती है। और यह गोलीबारी सिर्फ गैंगस्टर या अपराधियों तक सीमित नहीं है। अक्सर यह घटनाएं आम स्कूलों या सार्वजनिक जगहों पर होती हैं, जहां निर्दोष लोग अचानक गोलियों का शिकार बन जाते हैं। पिछले कुछ दशकों में कई बार ऐसा हुआ है जब कोई छात्र स्कूल में गन लेकर पहुंच गया और उसने अपने ही सहपाठियों को गोलियों से भून डाला। किसी ने गुस्से में, तो किसी ने मानसिक तनाव में, लेकिन नतीजा हमेशा खूनखराबे के रूप में सामने आया। सड़क पर छोटी सी बहस, लाल बत्ती पर झगड़ा या किसी पड़ोसी से मनमुटाव—इन सबका नतीजा अमेरिका में अक्सर गोलियों की बारिश के रूप में निकलता है। वहां इतनी आसानी से किसी भी दुकान से गन खरीदी जा सकती है कि लोग इसे विवाद सुलझाने का हथियार मान लेते हैं। यही वजह है कि अमेरिका की धरती गोलियों की आवाज़ से बार-बार हिलती रहती है, और यह सिलसिला कब थमेगा, इसका किसी को जवाब नहीं मिलता।
सरकार और समाज क्यों नहीं रोक पा रहे गन कल्चर
अमेरिकी सरकार और वहां के नेता भी इस समस्या से वाकिफ हैं। हर बार जब कोई बड़ा शूटिंग कांड होता है, सरकार से लेकर मीडिया तक इस पर बहस होती है। राष्ट्रपति भी भाषण देते हैं और वादा करते हैं कि बंदूक नियंत्रण कानूनों को कड़ा किया जाएगा। लेकिन जब बात कार्रवाई की आती है तो मामला अटक जाता है। वजह है वहां की गन लॉबी, जिसे बहुत बड़ा राजनीतिक और आर्थिक समर्थन मिलता है। जो कंपनियां बंदूक बनाती हैं, वे हर साल अरबों डॉलर कमाती हैं और इन पैसों का इस्तेमाल चुनावी राजनीति को प्रभावित करने में किया जाता है। सांसद और नेता भी जानते हैं कि अगर उन्होंने गन विरोधी सख्त कदम उठाए तो उनका राजनीतिक करियर खतरे में पड़ सकता है। यही कारण है कि शब्दों में गन हिंसा पर चिंता जताई जाती है लेकिन कानून बनाने की बात आते ही सब ठंडा हो जाता है। समाज में भी इस मुद्दे पर मतभेद है। कुछ लोग मानते हैं कि बंदूक रखने का अधिकार उनकी आज़ादी का हिस्सा है, जबकि दूसरी तरफ बड़ी संख्या में लोग चाहते हैं कि गन कंट्रोल कानून कड़े हों। लेकिन इन दोनों विचारों के बीच टकराव इतना गहरा है कि इसका हल आज तक नहीं निकल पाया है।
भविष्य में गन हिंसा का खतरा और बच्चों पर असर
अमेरिका का गन कल्चर सिर्फ आज की पीढ़ी को प्रभावित नहीं कर रहा, बल्कि आने वाले सालों में और भी गहरे असर छोड़ सकता है। सोचिए, जब बच्चे स्कूल में हर रोज़ शूटिंग ड्रिल करते हैं, जब उन्हें क्लास में पढ़ाई के साथ यह भी सिखाया जाता है कि गोली चलने पर कैसे छुपना है, तो उनका मनोविज्ञान कैसा बनेगा। वहां का बच्चा यह मानकर बड़ा होता है कि उसके आस-पास का माहौल सुरक्षित नहीं है। यह डर उसके पूरे व्यक्तित्व पर असर डालता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अमेरिका में किशोरों में डर, तनाव और मानसिक अवसाद तेजी से बढ़ रहा है और इसका एक बड़ा कारण यही असुरक्षा की भावना है। अगर आने वाले समय में गन कानून और ढीले पड़े तो खतरा और गहरा होगा। संभव है कि वहां की नई पीढ़ी बंदूक को सिर्फ सुरक्षा साधन न मानकर, तनाव और गुस्सा निकालने का ज़रिया समझने लगे। और अगर ऐसा हुआ तो आने वाले दशकों में हालात और भी अधिक भयानक हो सकते हैं। फिलहाल इतना साफ है कि अमेरिका की गन समस्या दुनिया के सामने एक बड़ी चेतावनी है कि जब समाज हथियारों पर भरोसा करने लगे तो वहां शांति को बनाए रखना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
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नाम है सौरभ झा, रिपोर्टर हूँ GCShorts.com में। इंडिया की राजनीति, आम लोगों के झमेले, टेक या बिज़नेस सब पर नजर रहती है मेरी। मेरा स्टाइल? फटाफट, सटीक अपडेट्स, सिंपल एक्सप्लेनर्स और फैक्ट-चेक में पूरा भरोसा। आप तक खबर पहुंचे, वो भी बिना घुमा-फिरा के, यही मकसद है।
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