Anant Singh Case Update: बाहुबली नेता को न्यायिक हिरासत में भेजा गया, जानें क्या होती है पुलिस लाइन?
Anant Singh Case Update बाहुबली नेता को judicial custody में भेजा गया। जानें क्या होती है पुलिस लाइन और पुलिस हिरासत का मतलब।
बिहार की सियासत में एक बार फिर बाहुबली नेता अनंत सिंह सुर्खियों में हैं। हाल ही में दुलारचंद यादव हत्या मामले में अदालत ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत (judicial custody) में भेज दिया है। इससे पहले वे कुछ समय के लिए पुलिस लाइन में रखे गए थे। अब लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि आखिर पुलिस लाइन होती क्या है, वहां आरोपी को क्यों रखा जाता है, और क्या यह जेल जैसी जगह होती है? आइए जानते हैं पूरे मामले की पूरी जानकारी और कानूनी पहलू।
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क्या होती है पुलिस लाइन और क्यों रखा जाता है आरोपी को वहां?
हर जिले में मौजूद पुलिस लाइन दरअसल पुलिस विभाग का सेंट्रल कैंप या मुख्यालय होता है। यहीं से जिले के सभी पुलिसकर्मियों की ड्यूटी तय होती है, परेड होती है और ट्रेनिंग दी जाती है।यहां बैरक (Barracks) होते हैं जहां सैकड़ों पुलिसकर्मी रहते हैं और जिले के सभी हथियारों, वाहनों और सुरक्षा दस्तों का प्रबंधन किया जाता है।कुछ मामलों में, खासकर जब आरोपी high profile accused या हाई प्रोफाइल आरोपी होता है, तो उसे सीधे जेल भेजने के बजाय पहले police custody में पुलिस लाइन में रखा जाता है। बिहार जैसे राज्यों में पुलिस लाइन को अस्थायी हिरासत केंद्र की तरह इस्तेमाल किया जाता है, जहां आरोपी को सीमित समय के लिए रखा जाता है।
पुलिस हिरासत और न्यायिक हिरासत में क्या अंतर है?
आम जनता के मन में अक्सर यह भ्रम रहता है कि पुलिस हिरासत (police custody) और न्यायिक हिरासत (judicial custody) एक ही चीज़ हैं, जबकि दोनों में बड़ा फर्क है।पुलिस हिरासत में आरोपी पुलिस के नियंत्रण में रहता है। इस दौरान पुलिस उससे पूछताछ कर सकती है, सबूत जुटा सकती है और केस की जानकारी प्राप्त कर सकती है। लेकिन भारतीय कानून के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति 24 घंटे से ज्यादा पुलिस हिरासत में नहीं रह सकता जब तक कि कोर्ट की अनुमति न हो।
वहीं न्यायिक हिरासत का मतलब है कि आरोपी को अब जेल भेज दिया गया है और वह न्याय विभाग (Prisons Department) के नियंत्रण में है। इस दौरान आरोपी को अदालत के आदेश पर ही बाहर लाया जा सकता है।
क्यों रखा गया था अनंत सिंह को पुलिस लाइन में?
पूर्व विधायक और बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह का मामला हमेशा से हाई-प्रोफाइल रहा है। उनकी गिरफ्तारी के बाद उन्हें सीधे जेल न भेजकर पुलिस लाइन में रखा गया था। इसका कारण था उनकी सुरक्षा और लगातार होने वाली पूछताछ।
बिहार की राजधानी पटना समेत कई जिलों में पुलिस लाइन को सुरक्षा के लिहाज से सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है। यहां 24 घंटे पुलिस बल तैनात रहता है और निगरानी कड़ी होती है। इसलिए किसी high profile accused को अस्थायी तौर पर यहां रखा जाता है।
इसके अलावा प्रशासन के लिए यह सहूलियत भरा होता है क्योंकि पुलिस लाइन में ही अफसर, दस्तावेज़ और जांच टीमें मौजूद रहती हैं। कई बार कोर्ट पेशी या ट्रांजिट रिमांड से पहले भी ऐसे आरोपियों को वहीं रखा जाता है ताकि जांच प्रक्रिया में देरी न हो।
कानून क्या कहता है?
भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी आरोपी को बिना अदालत की अनुमति के 24 घंटे से अधिक पुलिस हिरासत में नहीं रखा जा सकता। अदालत यह तय करती है कि आरोपी को आगे judicial custody में भेजा जाए या नहीं।ऐसे मामलों में जहां आरोपी पर गंभीर आरोप हों और सुरक्षा खतरा हो, वहां पुलिस लाइन एक अस्थायी, सुरक्षित विकल्प मानी जाती है। यही वजह है कि Anant Singh Case एक बार फिर चर्चा में है, क्योंकि इसने बिहार की पुलिस व्यवस्था और प्रशासनिक प्रोटोकॉल पर कई सवाल उठाए हैं।
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