Anil Ambani बैंक ऑफ बड़ौदा ने अनिल अंबानी पर लगाया फ्रॉड का आरोप
Anil ambani और रिलायंस कम्युनिकेशन के लोन अकाउंट को बैंक ऑफ बड़ौदा ने फ्रॉड घोषित किया। ईडी जांच, कानूनी जटिलताएं और वित्तीय संकट बढ़ता जा रहा है।
देश के शीर्ष उद्योगपति अनिल अंबानी की मुसीबतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में बैंक ऑफ बड़ौदा ने रिलायंस कम्युनिकेशन (RCom) और उसके प्रमोटर अनिल अंबानी के लोन अकाउंट को फ्रॉड घोषित कर दिया है। इससे पहले भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया ने इसी कंपनी के लोन अकाउंट को फ्रॉड करार दिया था।
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बैंक ऑफ बड़ौदा का फ्रॉड नोटिस और उसके मायने
बैंक ऑफ बड़ौदा ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में यह जानकारी दी कि अनिल अंबानी की कंपनी RCom और उसकी सहयोगी कंपनियां लोन खाते के मामले में फ्रॉड हैं। ये लोन कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) शुरू होने से पहले लिए गए थे। कंपनी ने कहा कि वह इससे जुड़ी कानूनी सलाह ले रही है और मामले को लेकर पूरी तरह सजग है।
क्या है CIRP?
CIRP वह प्रक्रिया है जिसके तहत दिवालिया घोषित कंपनियों को पुनर्स्थापित करने या परिसमापन करने के लिए कानूनी कदम उठाए जाते हैं। RCom इस प्रक्रिया का हिस्सा है और इसका निपटान एनसीएलटी की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। इस बीच, बैंकों द्वारा इसे फ्रॉड घोषित करना इस मामले को और भी जटिल बना रहा है।
ईडी की जांच जारी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में कदम उठाए हैं और मुंबई में कई जगहों पर छापेमारी की है। यह जांच मनी लॉन्ड्रिंग के संबंधित 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित फंड डायवर्जन की है। अनिल अंबानी और उनके व्यवसायियों पर यह आरोपों की जांच जारी है।
अनिल अंबानी का पक्ष
अनिल अंबानी ने स्पष्ट किया है कि वे RCom के रोज़ाना प्रबंधन या किसी सक्रिय भूमिका में नहीं थे, बल्कि सिर्फ नॉन-एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे। उन्होंने कहा है कि वे जांच में पूरी तरह सहयोग कर रहे हैं और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही बात साफ होगी।
बाजार पर असर
रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। हाल ही में शेयर 2.8 प्रतिशत गिरकर 1.39 रुपये के स्तर पर आ गया। पिछले 52 हफ्तों में इसका न्यूनतम मूल्य 1.33 रुपये था। इस खबर ने निवेशकों में चिंता बढ़ा दी है।
आगे की राह
अनिल अंबानी और RCom के सामने अब कई कानूनी तथा वित्तीय चुनौतियां हैं। कई बड़े बैंकों की जांच और फ्रॉड के ठप्पे के बाद कंपनी की संपत्तियों की लिक्विडेशन की संभावना भी बनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि कानूनी प्रतिक्रियाओं और समाधान योजनाओं के जरिए ही कंपनी अपनी स्थिति मजबूत कर सकेगी।
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