cakes and meats : अस्पताल में जन्मदिन पार्टी का वीडियो वायरल अब कार्रवाई तय
अस्पताल के अंदर जन्मदिन मनाने का यह नजारा देखकर हर कोई हैरान रह गया। केक काटा गया, मीट पकाया गया और मुफ्त दवा काउंटर पर समोसा, मिठाई, वेफर्स और कोल्ड ड्रिंक सजाई गई। इस पूरे जश्न का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों की नाराज़गी और आलोचना तेज हो गई। अब स्वास्थ्य विभाग ने इसे गंभीर मामला मानते हुए जांच शुरू कर दी है और दोषी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी की जा रही है।
यह घटना पढ़कर हर कोई हैरान है कि आखिर सरकारी अस्पताल में जन्मदिन का जश्न कैसे मनाया जा सकता है। जिस जगह पर लोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं, वहीं पर कुछ कर्मचारियों ने अस्पताल को पार्टी हॉल बना दिया। मामला सामने आते ही न केवल चर्चाओं का दौर शुरू हुआ बल्कि वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन को भी मजबूरन एक्शन लेना पड़ा।
ओपीडी बंद होते ही शुरू हुई तैयारी, अस्पताल बना जश्न का ठिकाना
अस्पताल का दृश्य उस दिन अलग ही था। मनोरोग विभाग की ओपीडी जैसे ही बंद हुई, कुछ कर्मचारियों ने वहां चूल्हा जला लिया और मीट पकाना शुरू कर दिया। जिन कमरों में आमतौर पर इलाज या दवा दी जाती है, वहां अचानक खाने की खुशबू फैल गई। यही नहीं, जन्मदिन का केक भी काटा गया। मरीजों की मदद करने के बजाय कर्मचारी खुद दावत में व्यस्त नजर आए।
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मुख्यमंत्री निशुल्क दवा काउंटर पर सज गई दावत की थाली
यहां तक कि जिस जगह से सामान्य रूप से मरीज मुफ्त दवा लेने के लिए कतार में खड़े रहते हैं, उसी जगह पर समोसा, मिठाई, वेफर्स और कोल्ड ड्रिंक की प्लेटें सजा दी गईं। मुख्यमंत्री के नाम पर चल रहे इस दवा काउंटर की तस्वीर पूरे सोशल मीडिया पर चर्चा का मुद्दा बन गई। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे टेबल पर प्लेटें सजाकर नाश्ता परोसा गया। यह नजारा देखकर आम लोग हैरान रह गए कि अस्पताल का महौल मरीजों की मदद करने वाला होना चाहिए था या किसी जन्मदिन पार्टी का।
वीडियो वायरल होने के बाद हर तरफ शुरू हुई चर्चा
कुछ कर्मचारियों की मस्ती उस समय भारी पड़ गई जब वहां मौजूद किसी ने पूरा वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया। देखते ही देखते, यह वीडियो वायरल हो गया। जैसे ही जनता तक यह खबर पहुंची, हर तरफ आलोचना होने लगी। लोग कहने लगे कि जिस जगह पर मरीज इलाज के लिए आते हैं, वहीं पर मजाक बनाकर किस तरह का माहौल तैयार किया गया है।
प्रशासन अलर्ट, अधिकारियों ने मांगी रिपोर्ट और शुरू हुई जांच
जैसे ही वीडियो प्रशासन तक पहुंचा, तत्काल अधिकारियों ने संज्ञान लिया। स्वास्थ्य विभाग ने इस पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अस्पताल प्रबंधन से रिपोर्ट मांगी गई है और यह पता लगाने की कोशिश जारी है कि किस कर्मचारी ने इस जश्न को आयोजित किया। अधिकारियों का कहना है कि सरकारी अस्पताल की छवि जनता से जुड़ी होती है, और ऐसी घटनाओं को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मरीजों और परिजनों में नाराजगी, बोले- अस्पताल में इलाज चाहिए पार्टी नहीं
जिन मरीजों और उनके परिजनों ने यह सब देखा, उन्होंने साफ कहा कि अस्पताल में हमें इलाज की जरूरत है, न कि पार्टी और जश्न की। एक परिजन ने कहा – “हम यहां दवा लेने आए थे, लेकिन जो दृश्य देखा उससे लगा जैसे कहीं शादी-ब्याह का इंतजाम हो रहा हो।” इस घटना ने मरीजों का भरोसा भी कमजोर किया और अस्पताल प्रशासन की छवि को भी धक्का पहुंचाया।
अस्पताल के भीतर क्यों बार-बार घटती हैं ऐसी घटनाएं
यह सवाल अब हर किसी के मन में है कि आखिर अस्पताल जैसे गंभीर माहौल में इतनी लापरवाही क्यों दिखाई जाती है। यह पहला मौका नहीं है जब सरकारी अस्पतालों से ऐसी तस्वीरें सामने आई हों। कभी वार्ड में बच्चे खेलते हुए नजर आते हैं, कभी नर्सें मोबाइल पर वीडियो बनाते हुए दिख जाती हैं, और अब जन्मदिन पार्टी की घटना ने मामले को और गंभीर बना दिया है। यह सीधे तौर पर अस्पताल प्रशासन की निगरानी में कमी को दिखाता है।
सरकार की योजनाओं को लग रहा धक्का, मुफ्त दवा योजना पर उठे सवाल
मुख्यमंत्री द्वारा चलाए जा रहे मुफ्त दवा काउंटर पर जब मिठाई और कोल्ड ड्रिंक की प्लेटें सजाई गईं, तो लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया कि आखिर जनता की मदद के नाम पर शुरू की गई योजनाओं को कर्मचारी किस तरह मजाक बना रहे हैं। यह घटना उस भरोसे पर चोट थी, जो सरकार और जनता के बीच जुड़ा हुआ है।
एक्शन की नौबत: किसे मिलेगी सजा?
अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जांच पूरी होने के बाद कौन जिम्मेदार पाया जाएगा और किस पर सख्त कार्रवाई होगी। सूत्रों के अनुसार, शुरुआती जांच में कुछ कर्मचारियों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने अस्पताल में पार्टी कराई। माना जा रहा है कि दोषियों पर निलंबन तक की कार्रवाई हो सकती है।
क्या हम सबको नहीं सोचना चाहिए?
इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। आखिर अस्पताल, जहां हर रोज गरीब मरीज अपनी उम्मीद लेकर आते हैं, उसे हल्के में लेना क्या सही है? जिम्मेदारी केवल डॉक्टरों या अधिकारियों की नहीं है, बल्कि वहां काम करने वाले हर कर्मचारी की है। अगर इलाज देने वाली जगह पर ही जश्न होने लगे, तो मरीजों का भरोसा डगमगा जाएगा।
नतीजा और सबक
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि नियम और व्यवस्था क्यों बनाई जाती है। अगर अस्पताल को ही पार्टी हॉल की तरह इस्तेमाल किया जाएगा तो जनता का क्या होगा। प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे ताकि आगे कोई भी कर्मचारी इस तरह की हरकत न कर सके। जनता भी यही चाहती है कि अस्पताल सेवा का केंद्र बने, न कि जश्न का ठिकाना।
विडंबना यह है कि मरीज इलाज की उम्मीद लेकर अस्पताल जाते हैं, लेकिन वहां उन्हें समोसा और मीट की महक मिलती है। यह दृश्य न केवल शर्मनाक है बल्कि यह सोचने पर भी मजबूर करता है कि हमारे सार्वजनिक संस्थानों की गंभीरता कितनी बची है।
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