Ayodhya : में 240 फुट ऊंचा रावण पुतला तैयार होने से पहले ही दहन पर लगा प्रतिबंध।

अयोध्या पुलिस ने दशहरे से एक दिन पहले 240 फुट ऊंचे रावण पुतले को जलाने पर रोक लगा दी। सर्कल ऑफिसर देवेश चतुर्वेदी ने बताया कि सुरक्षा मानकों को देखते हुए यह फैसला लिया गया। प्रशासन का कहना है कि इतने विशाल पुतलों से आसपास के इलाकों में आग लगने का खतरा था। फिल्म कलाकार रामलीला समिति ने अब तक उचित अनुमति भी नहीं ली थी।

Ayodhya : में 240 फुट ऊंचा रावण पुतला तैयार होने से पहले ही दहन पर लगा प्रतिबंध।

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    अयोध्या में इस साल रावण दहन के लिए तैयार किए गए पुतले की चर्चा पूरे देश में हो रही है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और अन्य राज्यों के कारीगरों ने करीब 240 फुट ऊंचा रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले तैयार कर लिए हैं। यह पुतला अपने आकार और सजावट में बेहद भव्य है। इसमें रावण के दैत्य रूप और उसकी शक्ति को पूरी तरह से दिखाने की कोशिश की गई है। हर साल की तरह इस बार भी दशहरे के मौके पर इस पुतले को दहन करने की योजना बनाई गई थी।

     

    दहन से तीन दिन पहले लगा प्रतिबंध और इसका असर

    लेकिन इस बार कुछ अलग हुआ। पुतले के दहन से तीन दिन पहले ही प्रशासन ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया। इसे लेकर लोगों में चिंता और चर्चा दोनों शुरू हो गई। अयोध्या रावण पुतला का निर्माण लाखों लोगों की मेहनत का परिणाम है और इसे जलाना धार्मिक उत्सव का हिस्सा माना जाता है। प्रतिबंध लगने के कारण अब आयोजकों को नई योजना बनानी पड़ रही है। प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा कारणों और भीड़ प्रबंधन के चलते यह कदम उठाया गया है।

     

    स्थानीय लोगों और आयोजकों की प्रतिक्रिया

    स्थानीय लोग और उत्सव आयोजक इस निर्णय से थोड़े निराश हैं। उनका कहना है कि दशहरा का उत्सव पुतले के दहन के बिना अधूरा लगता है। आयोजक बताते हैं कि पुतले की सुरक्षा, ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन पर ध्यान देना जरूरी है। कई लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर अपनी राय व्यक्त की है। कुछ लोग प्रशासन के कदम का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ लोग कह रहे हैं कि यह परंपरा को बाधित करता है।

     

    पुतले के निर्माण में लगी मेहनत और लागत

    इस विशाल रावण पुतले के निर्माण में महीनों की मेहनत लगी है। कारीगर लकड़ी, कपड़ा, और रंगों का उपयोग करके इसे आकार देते हैं। पुतले के मेघनाद और कुंभकर्ण भी उसी शैली में बनाए गए हैं। अनुमानित लागत करोड़ों रुपये में बताई जा रही है। यह पुतला न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि पर्यटन और स्थानीय व्यवसाय के लिए भी महत्वपूर्ण है। दशहरे के दौरान लाखों लोग इसे देखने आते हैं और आसपास के बाजारों में भी काफी हलचल रहती है।

     

    सुरक्षा कारणों के चलते क्यों लगाया गया प्रतिबंध

    अयोध्या रावण पुतला को जलाने पर प्रतिबंध लगाने का मुख्य कारण सुरक्षा को बताया गया है। इतने बड़े पुतले को जलाने से आसपास की भीड़, आग की फैलाव की संभावना और अन्य जोखिम बढ़ सकते हैं। प्रशासन का कहना है कि बड़े पैमाने पर भीड़ और यातायात नियंत्रण करना कठिन होगा। इस कारण उन्होंने पुतले के दहन को फिलहाल स्थगित कर दिया है।

     

    दशहरे के पर्व पर लोगों का उत्साह कम नहीं

    हालांकि दहन पर रोक लग गई है, फिर भी अयोध्या में दशहरे का उत्सव उत्साहपूर्ण तरीके से मनाया जा रहा है। लोग पूजा, भजन, कथा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा ले रहे हैं। रावण पुतला भले ही जल न पाया हो, लेकिन यह लोगों के धार्मिक भावनाओं और उत्सव की महत्ता को कम नहीं करता।

     

    अब आगे क्या होगा और पुतले का भविष्य

    प्रतिबंध के बाद यह सवाल उठता है कि अब पुतले का क्या होगा। आयोजक और प्रशासन इस पर विचार कर रहे हैं। कुछ प्रस्ताव हैं कि इसे सुरक्षित जगह पर संरक्षित किया जाए या छोटे पैमाने पर जलाया जाए। वहीं कई लोग चाहते हैं कि अगली बार इस तरह की योजना पहले से प्रशासन की अनुमति लेकर बनाई जाए। यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि परंपरा भी बनी रहे और सुरक्षा भी बनी रहे।

     

    मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा

    अयोध्या रावण पुतला और दहन पर लगे प्रतिबंध की खबरें मीडिया में प्रमुखता से छाई हुई हैं। सोशल मीडिया पर लोग इसके समर्थन और विरोध दोनों कर रहे हैं। कई ट्विटर और फेसबुक पोस्ट में प्रशासन की सुरक्षा कारणों की तारीफ की जा रही है। वहीं कई वीडियो और फोटो वायरल हो रहे हैं जिनमें पुतले की भव्यता दिखाई गई है। यह चर्चा पूरे देश में दशहरे से पहले लोगों की नजरों में है।

    अयोध्या रावण पुतला दहन प्रतिबंध उचित है?

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