हाल ही में उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय के छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं पर पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज की घटना ने बहुत हंगामा मचा दिया है। इस मामले की गहनता को समझते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना का संज्ञान लिया और मामले की जांच के आदेश दिए। जांच पूरी होने के बाद की गई रिपोर्ट सीएम को सौंपी गई है जिसमें पुलिस की कार्रवाई और घटना के सभी पहलुओं का ब्यौरा शामिल है। यह घटना छात्रों के उस प्रदर्शन के दौरान हुई थी जिसमें उनकी पीएचडी डिग्री की वैधता को लेकर विवाद था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसके तहत संबंधित चौकी इंचार्ज, इंस्पेक्टर समेत चार पुलिसकर्मी निलंबित किए गए हैं। अब तक जो रिपोर्ट सामने आई है, उसके अनुसार पुलिस ने स्थिति को संभालने के बजाए अत्यधिक बल प्रयोग किया था जिससे कई विद्यार्थी घायल हुए। इस घटना पर छात्रों, कार्यकर्ताओं और आम जनता की भी तीव्र प्रतिक्रिया देखी गई।
इस पूरे मामले की जांच अयोध्या रेंज के आईजी प्रवीण कुमार को सौंपी गई थी। उन्होंने पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भेज दी जिससे सरकार ने भी त्वरित और निर्णायक कदम उठाए। इस घटना ने प्रदेश में पुलिस और प्रशासन के कामकाज पर भी सवाल उठाए हैं, इसलिए इसकी सटीक जांच जरूरी थी।
बाराबंकी में क्यों हुआ विवाद और लाठीचार्ज की वजह क्या थी
बाराबंकी के श्रीराम स्वरूप मेमोरियल विश्वविद्यालय में कानून के एलएलबी कोर्स की मान्यता रद्द होने के बाद भी कुछ छात्रों ने वहां एडमिशन लिया था। इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गया क्योंकि यह माना जा रहा था कि विश्वविद्यालय गलत तरीके से एडमिशन ले रहा है। छात्रों और एबीवीपी के कार्यकर्ता इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शन को काबू करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे मामला हिंसक हो गया। पुलिस की इस कार्रवाई में करीब 25 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
छात्रों का कहना था कि उनकी पढ़ाई और भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है इसलिए वे न्याय चाहते हैं। वहीं पुलिस का तर्क था कि कुछ लोग प्रदर्शन के बहाने उग्रता फैला रहे थे जिन्हें नियंत्रित करना जरूरी था। इस माहौल में पुलिस ने बल प्रयोग कर स्थिति को काबू में करने की कोशिश की, पर इससे स्थिति और बिगड़ गई।
इस पूरे विवाद में यह भी सामने आया कि विश्वविद्यालय के खिलाफ कई शिकायतें थी जैसे कि फर्जी डिग्री देने, अनियमितताएं और जमीन के अवैध कब्जे के आरोप। इसी वजह से छात्रों का आंदोलन ज्यादा तेज हुआ था। पुलिस की लाठीचार्ज कार्रवाई ने इस प्रदर्शन को और ज्यादा तूल दे दिया। बाद में सरकार ने मामले की जांच शुरू की।
सीएम योगी ने क्या लिया फैसला और जांच रिपोर्ट में क्या सामने आया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले में तुरंत संज्ञान लिया और जांच के आदेश दिये। उन्होंने पुलिस विभाग को दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई करने को कहा। आरोपित पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया और जांच के लिए आईजी अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को जिम्मेदारी सौंपी गई। जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि पुलिस ने स्थिति संभालने की बजाय 21 मिनट के अंदर हिंसक रूप ले लिया था, और अत्यधिक बल प्रयोग किया गया।
मामले की जांच में पाया गया कि पुलिस ने कई कानून व्यवस्था के नियमों की उपेक्षा की। लाठीचार्ज के कारण घायल हुए छात्रों में कई की हालत गंभीर थी और उन्हें इलाज के लिए लखनऊ भेजना पड़ा। रिपोर्ट में पुलिस के व्यवहार की कड़ी निंदा की गई है और दोषियों के खिलाफ कड़ी सजा की सिफारिश भी की गई।
इसके अलावा विश्वविद्यालय के बारे में भी जांच के आदेश दिये गए कि क्या वहां की पढ़ाई और डिग्री वैध हैं या नहीं। अयोध्या के मंडलायुक्त को इस बात की छानबीन करने के लिए कहा गया। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि शिक्षा के क्षेत्र में किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर जांच कर जल्द कार्यवाही होगी।
छात्रों और एबीवीपी का प्रदर्शन, उनका कहना और सरकार की प्रतिक्रिया
छात्रों और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता जिला बाराबंकी में इस घटना के बाद सड़कों पर उतर आए। उनकी मांग थी कि विश्वविद्यालय की डिग्रियों की मान्यता का सही खुलासा हो और लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो। एबीवीपी ने प्रदेश सरकार को अल्टीमेटम देते हुए कहा कि मामले का शीघ्र समाधान जरूरी है, अन्यथा वह आंदोलन तेज करेंगे।
सरकार ने भी उनकी बात सुनी और दो दिन के भीतर कार्रवाई कर चार पुलिसकर्मियों को निलंबित किया। इसके साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद एबीवीपी के पदाधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि पूरी जांच होगी और न्याय मिलेगा। योगी सरकार के इस कड़े रुख से छात्रों को कुछ हद तक संतुष्टि मिली, लेकिन वे अभी भी जांच के अंतिम नतीजों के इंतजार में हैं।
इस पूरे मामले ने शिक्षा के क्षेत्र में अनियमितताओं के खिलाफ एक नया सशक्त संदेश दिया है। साथ ही यह भी दिखाया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रशासनिक और पुलिसिया अन्याय पर तुरंत कार्रवाई करने को प्राथमिकता देते हैं। छात्रों और उनके परिवारों की भावनाओं को समझते हुए सरकार ने जो कदम उठाए, उन्हें महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अंत में: बाराबंकी लाठीचार्ज मामले से समाज और शासन को क्या सिखना चाहिए
बाराबंकी के इस घटना ने समाज के लिए यह संदेश दिया है कि हर नागरिक, खासकर छात्र अपने अधिकारों के लिए आवाज उठाएं, परन्तु ऐसा शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। वहीं प्रशासन को चाहिए कि वह संवेदनशीलता से काम लेकर कानून व्यवस्था बनाए, लेकिन प्रशासनिक कठोरता से बचना जरूरी है। पुलिस बल का इस्तेमाल स्थिति को बिगाड़ने की बजाय नियंत्रण करने के लिए होना चाहिए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इस मामले में त्वरित कार्रवाई यह दिखाती है कि प्रशासन बड़े विवादों और असंतोष को देखते हुए उचित कदम उठा सकता है। सरकारों को चाहिये कि वे युवाओं के भविष्य को प्रभावित करने वाली गलतियों को गंभीरता से लें और शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता बढ़ाएं। इसी से विश्वास और जनमानस में सुधार होगा।
कुल मिलाकर, बाराबंकी लाठीचार्ज केस ने शिक्षा, प्रशासन और छात्र आंदोलनों के बीच सही तालमेल की जरूरत पर बल दिया है। उम्मीद है कि जांच रिपोर्ट की सिफारिशों के बाद माँगे पूरी होंगी और ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी। सचेत और संवेदनशील प्रशासन ही लोकतंत्र की मजबूती का आधार होता है।