Ayodhya : हनुमानगढ़ी मंदिर प्रसाद में बड़ी मिलावट, फूड सेफ्टी की जांच से खुलासा

रामनगरी अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में भक्तों को दिए जाने वाले प्रसाद में खतरनाक मिलावट का मामला सामने आया है। फूड सेफ्टी विभाग की जांच में तीन में से दो नमूने फेल हो गए हैं। प्रसाद में इस्तेमाल हुए घी, चीनी और आटे की गुणवत्ता मानक से कम पाई गई। इस घटना से भक्तों में आक्रोश फैला है और मंदिर प्रबंधन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

Ayodhya : हनुमानगढ़ी मंदिर प्रसाद में बड़ी मिलावट, फूड सेफ्टी की जांच से खुलासा

खबर का सार AI ने दिया · GC Shorts ने रिव्यु किया

    उत्तर प्रदेश की धार्मिक राजधानी अयोध्या से एक बेहद चिंताजनक खबर सामने आई है। यहाँ के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मंदिर में भक्तों को दिया जाने वाला प्रसाद दूषित पाया गया है। फूड सेफ्टी विभाग की जांच में यह बात सामने आई है कि मंदिर के प्रसाद में मिलावट की गई है। इस घटना से न सिर्फ भक्तों में आक्रोश है बल्कि पूरे धर्मनगरी की छवि पर भी सवालिया निशान लग गया है।

     

    फूड सेफ्टी विभाग की जांच में चौंकाने वाले नतीजे

    खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने पिछले सप्ताह हनुमानगढ़ी मंदिर से तीन अलग-अलग तरह के प्रसाद के नमूने लिए थे। इन नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा गया था। जांच की रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि तीन में से दो नमूने फेल हो गए हैं। इन नमूनों में हानिकारक तत्व और रसायन पाए गए हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।

    विभाग के अधिकारियों के मुताबिक प्रसाद में इस्तेमाल किए गए घी, चीनी और आटे की गुणवत्ता मानक के अनुसार नहीं थी। खासकर घी में मिलावट की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई है। यह घी शुद्ध नहीं था बल्कि इसमें कई तरह के नुकसानदायक पदार्थ मिले हुए थे।

     

    मंदिर प्रबंधन पर लगे गंभीर आरोप

    इस मामले के सामने आने के बाद हनुमानगढ़ी मंदिर की प्रबंधन समिति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। भक्तों का आरोप है कि मंदिर प्रबंधन ने पैसे बचाने के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता किया है। मंदिर में रोजाना हजारों भक्त आते हैं और सभी को प्रसाद दिया जाता है। ऐसे में इस तरह की लापरवाही बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

    स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि मंदिर प्रबंधन सबसे सस्ते दामों में प्रसाद का सामान खरीदता था। इससे पहले भी कई बार इस बात की शिकायत हुई थी कि प्रसाद की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। लेकिन किसी ने गंभीरता से इस मुद्दे को नहीं लिया।

     

    भक्तों में फैली चिंता और गुस्सा

    इस खबर के फैलते ही अयोध्या के भक्तों में गुस्सा और चिंता देखने को मिली है। कई भक्तों ने कहा कि वे सालों से इस मंदिर का प्रसाद खाते आ रहे हैं। अब पता चला है कि वह प्रसाद ही दूषित था। एक बुजुर्ग भक्त ने कहा कि हम भगवान हनुमान के सामने सिर झुकाकर प्रसाद लेते थे। लेकिन अब लगता है कि हमारे साथ धोखा हुआ है।

    मंदिर के पास रहने वाली एक महिला ने बताया कि उसका छोटा बच्चा अक्सर मंदिर से प्रसाद लेकर खाता था। अब उसे डर लग रहा है कि कहीं इस वजह से बच्चे की तबीयत तो नहीं बिगड़ी। कई और परिवारों की भी यही स्थिति है।

     

    प्रशासन की तत्काल कार्रवाई जरूरी

    इस मामले में जिला प्रशासन से तुरंत कार्रवाई की मांग हो रही है। फूड सेफ्टी विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि वे जल्द ही मंदिर प्रबंधन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे। मंदिर को नोटिस भेजा जा चुका है और अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो सख्त कदम उठाए जाएंगे।

    स्थानीय सांसद ने भी इस मामले पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या एक धार्मिक शहर है और यहां आने वाले भक्तों की सेवा हमारी जिम्मेदारी है। ऐसी घटनाओं से शहर की छवि खराब होती है।

     

    मंदिर प्रबंधन का सफाई का प्रयास

    दूसरी ओर हनुमानगढ़ी मंदिर की प्रबंधन समिति ने अपनी सफाई पेश करने की कोशिश की है। मुख्य पुजारी ने कहा कि वे हमेशा अच्छी गुणवत्ता का सामान खरीदने की कोशिश करते हैं। हो सकता है कि दुकानदार ने धोखा दिया हो। उन्होंने यह भी कहा कि अब वे सभी सामान की जांच करवाकर ही इस्तेमाल करेंगे।

    लेकिन भक्तों के लिए यह सफाई काफी नहीं है। उनकी मांग है कि पूरी जांच हो और जो भी दोषी पाया जाए उसे सख्त सजा मिले। साथ ही मंदिर की साफ-सफाई और प्रसाद की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए।

     

    धार्मिक स्थानों की जिम्मेदारी

    यह घटना एक बार फिर इस बात को सामने लाती है कि धार्मिक स्थानों की कितनी बड़ी जिम्मेदारी होती है। लाखों भक्त इन मंदिरों पर भरोसा करके आते हैं। उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करना किसी भी तरह से उचित नहीं है। सभी मंदिर प्रबंधकों को इस घटना से सीख लेनी चाहिए और अपने यहां की सफाई और गुणवत्ता की नियमित जांच करानी चाहिए।

    अयोध्या जैसे पवित्र शहर में ऐसी घटनाएं बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। उम्मीद है कि जल्द ही सभी जरूरी कदम उठाए जाएंगे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होगी। भक्तों का भरोसा वापस जीतने के लिए मंदिर प्रबंधन को पारदर्शिता से काम करना होगा।

    मंदिर प्रसाद मिलावट: मुख्य दोषी कौन?

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