धाराली के बाद फिर बरसी आफत – इस बार कहां टूटा कहर?
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ में बादल फटा - मचैल माता यात्रा मार्ग पर भारी तबाही, 46 लोगों की मौत
जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले में शुक्रवार सुबह एक विनाशकारी प्राकृतिक आपदा आई, जिससे पूरा इलाका सदमे में है। पद्दार उप-मंडल के चिशोती गाँव में अचानक बादल फटने से विनाशकारी बाढ़ आ गई।
कुछ ही पलों में, मूसलाधार बारिश और पहाड़ों से मलबा इलाके में फैल गया, जिससे गाँव की सूरत ही बदल गई। यह स्थान मचैल माता यात्रा के मार्ग पर स्थित है, जहाँ वर्तमान में हज़ारों श्रद्धालु आते हैं।
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46 लोगों की मौत, कई अब भी लापता
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक 46 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। बचाव दल को आशंका है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है क्योंकि कई लोग अभी भी मलबे में दबे हुए हैं या बाढ़ के पानी में बह गए हैं।
सेना, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ बचाव अभियान जारी रखे हुए हैं
घटना की सूचना मिलते ही, भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस की टीमें घटनास्थल पर पहुँच गईं।
क्षतिग्रस्त सड़कों, भारी मलबे और तेज़ पानी के बहाव के कारण बचाव कार्य बाधित हुए हैं, लेकिन फंसे हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का बयान
जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस त्रासदी पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा:
"किश्तवाड़ में बादल फटने की घटना से मुझे गहरा दुख हुआ है। मैं शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूँ और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ।"
उन्होंने अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य में तेज़ी लाने और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने का निर्देश दिया है।
पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने का बढ़ता खतरा
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि मानसून के मौसम में जम्मू और कश्मीर जैसे पहाड़ी राज्यों में बादल फटने की घटनाएँ बढ़ रही हैं। अचानक भारी बारिश के कारण भारी मात्रा में पानी और मलबा नीचे की ओर बहता है, जिससे गाँवों और तीर्थयात्रा मार्गों के लिए गंभीर खतरा पैदा हो जाता है।
तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए चेतावनी
अधिकारियों ने मचैल माता यात्रा के तीर्थयात्रियों से आग्रह किया है कि वे अपनी यात्रा शुरू करने से पहले मौसम की नवीनतम स्थिति की जाँच कर लें और जोखिम भरे क्षेत्रों से बचें।
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