आने वाले महीनों में बैंकिंग सेक्टर के लिए अच्छी खबर है। नई रिपोर्ट बताती है कि Banking Report के अनुसार बैंकों की कमाई कई सकारात्मक फैक्टर्स की वजह से बढ़ सकती है। ज्यादा कर्ज देने की रफ्तार, जमा पर घटती ब्याज दरें, नकद आरक्षित अनुपात में कमी और असुरक्षित लोन में फिसलन कम होने जैसे बदलाव उद्योग को मजबूती दे रहे हैं। ये ट्रेंड्स न सिर्फ मौजूदा तिमाही बल्कि अगले वित्त वर्ष में भी असर दिखा सकते हैं।
कर्ज की रफ्तार बढ़ी, जमा दरों में कटौती से बैंकों पर बोझ कम
पिछले कुछ महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बेहतर प्रदर्शन करते दिखे हैं। उद्योग में lending growth लगातार बढ़ रही है। इसके साथ ही जमा पर ब्याज दरों में कटौती की वजह से बैंकों का कुल ब्याज खर्च नीचे आया है, जिससे मुनाफे की संभावना मजबूत बनी है।
सिस्टमैटिक्स रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक अभी अपनी जमा योजनाओं की ब्याज दरों को फिर से तय कर रहे हैं। इसका सीधा फायदा उन्हें दूसरी और तीसरी तिमाही में मिलेगा। माइक्रोफाइनेंस संस्थानों में लोन न चुकाने के मामलों में कमी ने भी सिस्टम की financial stability बढ़ाई है, जिससे बैंक अब पहले से ज्यादा आत्मविश्वास महसूस कर रहे हैं।
नेट इंटरेस्ट मार्जिन में हल्की गिरावट, लेकिन आगे स्थिति स्थिर रहने की उम्मीद
दूसरी तिमाही में कई बैंक अपने अनुमान से बेहतर प्रदर्शन करते दिखाई दिए। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि नेट इंटरेस्ट मार्जिन (एनआईएम) में थोड़ा प्रेशर दिख सकता है। यह इसलिए हुआ है क्योंकि लोन पर मिलने वाले ब्याज यानी यील्ड में मामूली गिरावट आई है। लेकिन राहत की बात यह है कि जमा और उधार पर ब्याज का खर्च घटने से इसका असर सीमित रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर Reserve Bank of India ब्याज दरों में कोई नया बदलाव नहीं करता, तो तीसरी तिमाही में मार्जिन स्थिर रहेंगे और चौथी तिमाही में सुधार दिखने लगेगा। फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में किए गए बदलाव का पूरा असर वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में दिखेगा। यह ट्रेंड आने वाले महीनों में बेहतर प्रॉफिट ग्रोथ का आधार बन सकता है।
जीएसटी सुधारों और त्योहारों की वजह से बढ़ी क्रेडिट डिमांड
पहली तिमाही में जहां क्रेडिट ग्रोथ धीमी थी, वहीं दूसरी तिमाही में इसमें बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसका मुख्य कारण है जीएसटी सुधार और त्योहारी सीजन की बढ़ती मांग। त्योहारी महीनों में उपभोक्ता खर्च बढ़ने से बाजार में credit demand तेज हुई, जिसका सीधा प्रभाव बैंकों के कुल लोन पर पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सालाना आधार पर कुल लोन ग्रोथ बढ़कर 11.4% हो गई। GST reforms का असर खासतौर पर छोटे और मध्यम उद्यमों में देखने को मिला, जिन्होंने त्योहारों से पहले इन्वेंटरी बढ़ाने के लिए ज्यादा कर्ज लिया। इससे बैंकिंग सिस्टम की कुल कर्ज रफ्तार में ऊर्जा आई।
आंकड़ों में सुधार बैलेंस शीट मजबूत, मुनाफे में स्थिरता
भारतीय रिजर्व बैंक के नवीनतम डेटा बताते हैं कि 3 अक्टूबर 2025 तक बैंकिंग सिस्टम का कुल कर्ज तिमाही आधार पर 4.2% बढ़ा है। वहीं जमा में 2.9% की बढ़ोतरी दर्ज हुई। हालांकि जमा की वृद्धि अब भी लोन की रफ्तार से कम है, लेकिन कुल मिलाकर बैलेंस शीट की स्थिति बेहतर बनी हुई है। त्योहारों और वित्तीय गतिविधियों के चलते बैंकिंग सेक्टर में गतिविधि और तेज होने की उम्मीद है। इस समय बैंक unsecured loan portfolio को भी नियंत्रित कर रहे हैं ताकि सिस्टम में कोई अतिरिक्त जोखिम न बढ़े। त्योहारी सीजन के साथ-साथ डिजिटल ट्रांजेक्शन बढ़ने से भी उपभोक्ता लोन की मांग में सुधार आया है। अगर यह रफ्तार बरकरार रहती है, तो इस तिमाही और अगली तिमाही में बैंकों के लिए बेहतर लाभप्रदता का रास्ता खुल सकता है।


