Bareilly violence : का खुलासा खुराफातियों ने नाबालिग बच्चों से पुलिस पर करवाया पत्थराव, माहौल गरमाया
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हुई हालिया हिंसा के मामले में चौंकाने वाला सच सामने आया है। पुलिस जांच में पता चला कि असामाजिक तत्वों ने मासूम नाबालिग लड़कों को आगे कर पुलिसकर्मियों पर भारी पत्थराव किया था। इस कारनामे से पूरे इलाके का माहौल बिगड़ गया और पुलिस को मजबूरन लाठीचार्ज व आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा था।
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में हाल ही में हुई हिंसा का मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है। नई जांच से सामने आया है कि असामाजिक तत्वों ने नाबालिग लड़कों को पुलिस पर पत्थर फेंकने के लिए मोहरा बनाया। यह खुलासा पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट में हुआ है, जिससे इलाके में तनाव बढ़ गया।
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कैसे शुरू हुआ बरेली का विवाद और कब बिगड़ा माहौल
बरेली के पुराने इलाके में पिछले हफ्ते कुछ लोगों के बीच छोटी सी बात को लेकर बहस शुरू हुई थी। पुलिस ने शुरुआत में माहौल को संभालने की कोशिश की। मगर, अचानक वहां जमा भीड़ में से कई नाबालिग लड़कों को आगे कर दिया गया और पुलिस की ओर भारी पत्थर फेंके गए। इससे हालात बेकाबू होते चले गए और माहौल में डर फैल गया।
पीछे से उकसाया गया बच्चों को, पुलिस पर एकसाथ हमला किया गया
पुलिस रिपोर्ट में साफ तौर पर सामने आया है कि इन छोटे बच्चों को बड़े खुराफाती लोगों ने पीछे से उकसाया। बच्चे आगे आए और उन्हें पत्थर फेंकने को कहा गया। पुलिसकर्मियों ने देखा कि सामने आ रहे अधिकतर चेहरे मासूम बच्चों के थे, लेकिन उनके पीछे लोग उनका फायदा उठा रहे थे। इससे पुलिसकर्मी सोच में पड़ गए और अचानक उन्हें आत्मरक्षा में सख्ती बरतनी पड़ी।
पथराव के बाद पुलिस को करना पड़ा लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल
जब पत्थरबाजी बेकाबू हो गई, तब पुलिस ने हालात संभालने के लिए लाठीचार्ज किया। इसके साथ ही आंसू गैस के गोले छोड़े गए ताकि भीड़ तितर-बितर हो सके। आसपास के लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इस दौरान कुछ लोग घायल भी हो गए, जिनका बाद में इलाज कराया गया। पुलिस का कहना है कि यह कदम मजबूरी में उठाना पड़ा, ताकि शहर का माहौल शांत रखा जा सके।
जानबूझकर बच्चों को ढाल के तौर पर चुना गया था
तफ्तीश में सामने आया है कि बच्चों को पूरे मामले में सामने करने का मकसद पुलिस को फंसाना था। खुराफातियों ने नाबालिग लड़कों को आगे करके खुद को पीछे सुरक्षित रखा और माहौल बिगाड़ा। यह सोच-समझ कर रची गई साजिश थी, जिससे पहले पुलिस झिझक जाए और बाद में कार्रवाई हो तो वह आलोचना झेले।
पुलिस ने वीडियो और सीसीटीवी में ढूंढे सबूत
बरेली पुलिस ने घटना स्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और वायरल वीडियोज खंगाले हैं। इसमें साफ दिख रहा है कि कई बच्चे सबसे आगे थे और उन्हें उकसाकर पत्थर फेंकने को कहा जा रहा था। पीछे की गली में खड़े कुछ युवक उनका नेतृत्व करते दिखाई दिए। इस तफ्तीश में बच्चों की भूमिका की सच्चाई सामने आई।
माहौल बिगाड़ने वालों की पहचान में जुटी पुलिस
पुलिस टीम अब इन खुराफातियों की पहचान कर रही है, जिन्होंने मासूमों का इस्तेमाल किया। कई उपद्रवियों की तस्वीरें सामने आई हैं और पूछताछ की जा रही है। पुलिस का जोर है कि मुख्य साजिशकर्ता पर कड़ी कार्रवाई हो और भविष्य में इस तरह की घटनाएं न दोहराई जाएं। इसके लिए इलाके में पुलिस की चौकसी बढ़ा दी गई है।
सामान्य लोग और परिवार डरे, प्रशासन ने दी समझाने की सलाह
बरेली के सामान्य लोग और परिवार इस घटना से बहुत डरे हुए हैं। माता-पिता बच्चों को बाहर भेजने में डर रहे हैं। प्रशासन ने सभी लोगों को समझाया कि अफवाहों से दूर रहें और पुलिस की मदद करें। कुछ सामाजिक संस्थाओं ने भी बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान देने की बात कही है।
खुराफातियों के खिलाफ सख्ती, बच्चों को समझने की कोशिश
बरेली पुलिस ने यह भी साफ किया है कि असली दोषी चोट पहुंचाने वाले हैं, जिन्होंने बच्चों को मोहरा बनाया। पुलिस बच्चों को परेशान नहीं कर रही, बल्कि उन्हें समझाने की कोशिश कर रही है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, बच्चों के परिवार को भी कानून से जुड़ी बातें बताई जा रही हैं और उन्हें समझाया जा रहा है कि कोई उनका गलत इस्तेमाल ना कर सके।
बरेली में नजर रख रही पुलिस, लोगों से की सहयोग की अपील
बरेली पुलिस इन दिनों पूरे शहर में सतर्क है। हर गली-मोहल्ले में पुलिस की मौजूदगी बढ़ गई है। आम जनता से अपील की गई है कि किसी भी तरह की अफवाह या उत्पात देखें तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। पुलिस ने बताया कि उत्तर प्रदेश के हर जिले में ऐसे मामलों की सख्त निगरानी की जा रही है।
अंत में, जांच से मिले संकेतों पर होगी कार्रवाई
बरेली हिंसा के इस मामले में जांच लगातार चल रही है। शुरुआती रिपोर्ट में सामने आया है कि माहौल बिगाड़ने वाले लोगों ने नाबालिग लड़कों को ढाल बनाकर अपने मकसद पूरे करने की कोशिश की। पुलिस ने कहा है कि सभी सबूतों के आधार पर आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी, ताकि कानून व्यवस्था बनी रहे और किसी को मासूमों का गलत इस्तेमाल करने का मौका न मिले।
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