मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले से एक बेहद दर्दनाक और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां एक तेंदुआ अचानक गांव के खेत की तरफ आया और उसने एक मासूम बच्ची पर हमला कर दिया। बच्ची अपनी मां के पास मौजूद थी। मां के सामने ही तेंदुए ने बच्ची की गर्दन दबोच ली। मां ने जैसे ही यह मंजर देखा, उसके होश उड़ गए और उसने जोर-जोर से शोर मचाना शुरू कर दिया। खेत के अन्य लोग भी वहां पहुंचे लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता, घायल बच्ची खून से लथपथ जमीन पर गिर पड़ी।
गांववालों ने मिलकर बचाई बच्ची लेकिन हालत गंभीर
हमले के बाद जब मां और खेत में मौजूद मजदूर चिल्लाए तो तेंदुआ बच्ची को छोड़कर भाग गया। ग्रामीणों ने तुरंत बच्ची को उठाया और नजदीकी अस्पताल की ओर ले गए। बच्ची की हालत देखकर डॉक्टरों ने उसे गंभीर माना और बेहतर इलाज के लिए आगे रेफर किया। लेकिन रास्ते में ही मासूम की सांसे थम गईं। पूरे अस्पताल परिसर में यह खबर फैलते ही हर किसी की आंखें नम हो गईं।
मां के सामने बच्ची की मौत ने तोड़ा हिम्मत
उस मां के लिए यह दर्द शब्दों में बयान करना आसान नहीं है। उसने अपनी नन्हीं जान को अपनी आंखों के सामने तेंदुए के जबड़े में तड़पते देखा और कुछ कर भी नहीं सकी। बार-बार चीखते हुए उसकी आवाज गूंजी लेकिन उसकी गोद का चिराग बुझ चुका था। गांव की औरतों ने मां को संभालने की कोशिश की लेकिन उसका रो-रोकर बुरा हाल हो चुका था।
गांव में दहशत और खौफ का माहौल
इस पूरी घटना के बाद गांव में दहशत का माहौल है। बच्चे और महिलाएं घर से बाहर निकलने से डर रहे हैं। खेतों में काम करने वाले मजदूरों की भी हिम्मत टूट चुकी है। लोग अब दिन के उजाले में भी खेत में जाने से हिचकिचा रहे हैं। हर किसी की जुबान पर यही सवाल है कि आखिर इंसान और जानवर की बढ़ती टकराव की इन घटनाओं को कबर तक झेला जाएगा?
जंगल और इंसानों के बीच बढ़ रहा संघर्ष
विशेषज्ञ बताते हैं कि यह समस्या केवल बड़वानी या मध्यप्रदेश तक ही सीमित नहीं है, बल्कि देश के कई हिस्सों में तेंदुआ और दूसरे जंगली जानवर गांव-शहरों के करीब आ रहे हैं। जंगलों के घटते क्षेत्र और लगातार बढ़ते मानवीय दवाब की वजह से जानवर अपने शिकार की तलाश में गांवों तक पहुंचने लगे हैं। नतीजन अक्सर ऐसी दुर्घटनाएं सामने आती हैं, जिनमें मासूम जानें चली जाती हैं।
वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची
घटना की सूचना पाकर वन विभाग की टीम गांव पहुंची। वहां लोगों से बातचीत की गई और घटना के बारे में पूरी जानकारी जुटाई गई। टीम ने तेंदुए की तलाश शुरू कर दी है ताकि आगे किसी और पर हमला न हो सके। इसके अलावा ग्रामीणों को भी सावधान रहने और बच्चों को अकेले बाहर न जाने देने की सलाह दी गई है।
गांववासियों की मांग, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों
गांव के लोगों का कहना है कि जब तक जंगल और गांव के बीच सुरक्षा की मजबूत योजना नहीं बनेगी, तब तक ऐसे हादसे रुकने वाले नहीं हैं। कई लोगों ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि गांव के आसपास सुरक्षा दीवार, ठीक तरह की वन चौकी और रात के समय निगरानी का इंतजाम किया जाए।
मां की आंखों से बहते आंसू और प्रशासन की जिम्मेदारी
इस घटना ने एक असहाय मां से उसकी बच्ची छीन ली। एक निर्दोष बच्ची अपनी मां की गोद में हमेशा सुरक्षित रहती है लेकिन आज उस मां की आंखों के सामने नन्हीं जान चली गई। यह सिर्फ एक परिवार का दर्द नहीं है, बल्कि उस पूरे इलाके की पीड़ा है। प्रशासन और वन विभाग के सामने यह बड़ी चुनौती है कि वे लोगों में भरोसा जगाएं और उन्हें सुरक्षा का एहसास दिलाएं।
दर्दनाक घटना ने छोड़े अनगिनत सवाल
यह घटना कई सवाल छोड़ जाती है। क्या वन्यजीव संरक्षण की योजनाएं केवल कागजों में रह गई हैं? क्या ग्रामीणों को अकेले इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ेगा? और क्या किसी मासूम की बलि चढ़ने के बाद ही प्रशासन जागेगा? इन सवालों का जवाब शायद जल्द मिल जाएगा। लेकिन तब तक यह हादसा लोगों की यादों में हमेशा बना रहेगा।