बेगूसराय में दर्दनाक रेल हादसा, ट्रेन की चपेट में आने से एक ही परिवार के चार लोगों की मौत, मेला देखकर लौटते वक्त हादसा
बेगूसराय की ठंडी रात। हवा में ढोल और मेले की सुगंध अब भी थी। कुछ ही घंटे पहले बच्चे झूला झूल रहे थे, और अब वही परिवार जमीन पर गिरा पड़ा था। शुक्रवार की देर रात बेगूसराय में हुए इस हादसे ने सबको हिला दिया। चार लोग, एक ही परिवार और एक पल की गलती – जिसने सब कुछ खत्म कर दिया।
रास्ता वही था, लेकिन मंज़िल नहीं रही
यह हादसा बरौनी-कटिहार रेलखंड पर साहेबपुर कमाल और उमेश नगर स्टेशन के बीच हुआ। रात का वक्त था। परिवार के लोग मेला देखकर लौट रहे थे। रास्ता छोटा था, पैदल ट्रैक पार करने का मन बनाया। ट्रेन की सीटी गूंजी, शायद उन्होंने समझा – अभी वक्त है। लेकिन नहीं। कुछ सेकंड में ही एक्सप्रेस ट्रेन वहां पहुंची और चारों को अपनी चपेट में ले लिया।
आवाज सुनी, दौड़ पड़े लोग, पर बहुत देर हो चुकी थी
शोर मचा। गांव के लोग दौड़ पड़े। रेल की आवाज अभी दूर जा रही थी, लेकिन पटरी के पास हालात गंभीर थे। चारों शरीर बिखरे पड़े थे। किसी के हाथ से मिठाई का डिब्बा गिरा था, तो किसी के कपड़ों पर मेले का रंग भी अब खून में बदल चुका था। गांव वालों ने बताया – “पहली बार ऐसा देखा, आंखों के सामने सब खत्म हो गया।”
रात में पुलिस पहुँची, ट्रैक पर पसरा सन्नाटा
तुरंत जीआरपी और स्थानीय थाने की टीम मौके पर पहुंची। पूरे इलाके में सन्नाटा था। हल्की बारिश होने लगी, ट्रैक पर खून के निशान अब मिटने लगे थे। पुलिस ने फ्लैशलाइट जलाकर शवों को धीरे-धीरे हटाया। डिप्टी एसपी ने बताया कि यह हादसा रात करीब 10 बजे का है। इसके बाद कुछ देर के लिए रेल ट्रैफिक रोक दिया गया।
शवों की पहचान सुबह हुई, गांव में चीखें गूंजी
सुबह जब परिजन पहुंचे, तो दृश्य सहन करना मुश्किल था। चीख-पुकार गूंज गई। मृतकों की पहचान स्थानीय निवासी दंपत्ति और उनकी दो बेटियों के रूप में हुई। एक छोटे बालक के हाथ में पकड़ी मेले की टिकट अब भी कसी हुई थी। गांव की औरतें सिर पकड़कर रो रही थीं। हर कोई कह रहा था – “भगवान, इतनी जल्दी क्यों बुला लिया।”
लोगों की यादों में जिंदा रहेगा वो मेला
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल यह परिवार इसी मेले में जाता था। उनकी सबसे बड़ी बेटी पहली बार झूला झूली थी। छोटी ने गुब्बारा खरीदा था। किसी ने सोचा भी नहीं था कि लौटते वक्त सब खत्म हो जाएगा। "आपस में हंसी-मजाक करते निकले थे, पर वक्त ने सबकुछ छीन लिया," एक पड़ोसी ने आंसू छिपाते हुए कहा।
रेलवे प्रशासन ने जताया दुख, चेतावनी जारी
पूर्व-मध्य रेलवे ने गहरा दुख जताया है। अधिकारी बोले – "लगातार अपील की जाती है कि लोग ट्रैक क्रॉस न करें।" लेकिन यह इलाका ऐसा है, जहां लोग शॉर्टकट के लिए पटरियों से गुजरने की आदत में हैं। अब रेलवे ने कहा है कि यहां गार्ड और बैनर लगाए जाएंगे। वह चेतावनी जो शायद चार जानें पहले सुन ली गई होती, तो ये खबर न होती।
पुलिस की जांच – कोई लापरवाही या संयोग?
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। अब तक जो सामने आया है, उसमें कोई आपराधिक एंगल नहीं दिखा। यह एक हादसा था – लेकिन शायद टल सकता था। अधिकारी बोले, "ग्रामीण इलाकों में ट्रैक पार करना बड़ी समस्या बन गया है। हम अवैध पार मार्ग बंद करेंगे।” उन्होंने कहा कि परिवार को सरकारी सहायता मिलेगी।
ट्रेन के ड्राइवर का बयान
ड्राइवर ने बताया कि "जैसे ही मैंने रेल लाइन पर लोगों को देखा, तुरंत ब्रेक लगाया, लेकिन दूरी इतनी कम थी कि ट्रेन रुक नहीं सकी। कुछ सेकंड में सब ख़त्म हो गया।" उसने कहा कि यह उसकी जिंदगी की सबसे डरावनी रात थी। उसने भी वह दृश्य नहीं भुलाया जहां झूले से लौटे बच्चे अब वहीं पड़े थे।
गांव में शोक और सन्नाटा
अब गांव की गलियों में शोर नहीं, बस सन्नाटा है। जिस घर में कल तक मिठाई की खुशबू थी, आज वहां चिता की धुआं है। चार जनों की एक साथ मौत ने पूरे इलाके को हिला दिया। “ऐसे ही छोटे रास्ते कितने परिवारों को निगल जाते हैं,” एक बुजुर्ग ने कहा। उनकी आंखें सूख चुकी थीं, लेकिन आवाज में दर्द अब भी बाकी था।
प्रशासन की टीम मौके पर, मदद का आश्वासन
डीएम और एसपी ने घटनास्थल का दौरा किया। उन्होंने परिजनों को ढांढस बंधाया। जिलाधिकारी ने कहा – “पीड़ित परिवार को सरकार की तरफ से सभी जरूरी सहायता दी जाएगी।” मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की गई है। साथ ही रेलवे ट्रैक पर सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दे दिया गया है।












