Bharat-Pak match par boycott ki jung : एशिया कप 2025 में उठते सवाल

भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला एशिया कप 2025 का मैच इस बार मैदान से ज्यादा विवादों में है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा है और सोशल मीडिया पर #BoycottINDvPAK ट्रेंड कर रहा है। लोग मांग कर रहे हैं कि पाकिस्तान से किसी भी तरह का खेल संबंध तोड़ दिए जाएं। वहीं सरकार और बीसीसीआई इसे केवल खेल बताते हुए मैच कराने के पक्ष में है, लेकिन जनता का आक्रोश लगातार बढ़ रहा है।

Bharat-Pak match par boycott ki jung : एशिया कप 2025 में उठते सवाल

एशिया कप 2025 में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मुकाबले पर इस बार मैदान से ज्यादा चर्चा मैदान के बाहर हो रही है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश का दिल दहला दिया। इस हमले में देश के कई जवान और निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस घटना के बाद स्वाभाविक था कि लोगों का गुस्सा पाकिस्तान की ओर बढ़े, क्योंकि आतंकी घटनाओं का तार अक्सर वहीं से जुड़ता है। सोशल मीडिया पर देखते ही देखते माहौल बदल गया और बायकॉट की मांग तेज हो गई।

BoycottINDvPAK ट्विटर और इंस्टाग्राम पर ट्रेंड करने लगा। लोग हाथों में तख्तियां लेकर सड़कों पर निकले, उन्होंने नारे लगाए और इस बात पर जोर दिया कि जब तक आतंक का समर्थन पाकिस्तान से होता रहेगा, तब तक खेल के नाम पर किसी दोस्ती की बात नहीं हो सकती। लोगों का कहना है कि एक तरफ हमारे जवान शहीद हो रहे हैं और दूसरी तरफ हम क्रिकेट खेलकर पाकिस्तान को बढ़ावा दें, यह ठीक नहीं लगता। यह तर्क उनके लिए काफी मजबूत है।

हालांकि इस बीच सरकार और बीसीसीआई का रुख थोड़ा अलग दिख रहा है। उनका मानना है कि खेल और राजनीति को पूरी तरह अलग रखना चाहिए। बीसीसीआई का तर्क है कि इस बड़े टूर्नामेंट में शामिल होना भारत की जिम्मेदारी भी है क्योंकि इसके नियम पहले ही तय हो चुके हैं। लेकिन जनता का गुस्सा ऐसा है कि उसे समझाना मुश्किल हो रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस बार बायकॉट की आवाज ज्यादा भारी पड़ेगी या फिर 'खेल जारी रहना चाहिए' वाला तर्क सामने आएगा।

 

सरकार और बीसीसीआई क्यों मैच कराने के पक्ष में हैं

जब बात भारत और पाकिस्तान के क्रिकेट मैच की आती है तो यह केवल खेल नहीं रहता, बल्कि सम्मान और भावना का सवाल भी बन जाता है। सरकार और बीसीसीआई दोनों जानते हैं कि एशिया कप जैसा टूर्नामेंट पूरी दुनिया की नजरों में होता है। ऐसे में अचानक मैच को रद्द कर देना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सवाल खड़े कर सकता है। बीसीसीआई के अधिकारियों का कहना है कि टूर्नामेंट का फैसला पहले से हो चुका है और इसमें अचानक बदलाव करना आसान नहीं है।

सरकार का रुख भी कुछ ऐसा ही है। उनका कहना है कि आतंक पर भारत का जवाब अलग मोर्चों पर चलता रहेगा, लेकिन खेल का मंच हर बार बंद करना दीर्घकालीन समाधान नहीं है। इसके अलावा यह भी मानना है कि अगर टीम इंडिया मैदान में पाकिस्तान को हराती है तो उसका असर कहीं ज्यादा गहरा होगा। इस तर्क को मानने वाले लोग कहते हैं कि दुनिया देखेगी कि भारत केवल सैन्य ताकत से ही नहीं, बल्कि खेल के मैदान पर भी पाकिस्तान को झुका सकता है।

पर सवाल यह भी है कि जनता के गुस्से की आग इतनी बड़ी है कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बीसीसीआई और सरकार को यह समझना होगा कि लोगों का दर्द कितना गहरा है। जब लोग सड़कों पर उतरते हैं और मैच के खिलाफ नारे लगाते हैं, तो यह केवल खेल का मामला नहीं रह जाता, बल्कि राष्ट्रीय अस्मिता का सवाल बन जाता है। यही कारण है कि सरकारी और खेल प्रशासनों की स्थिति को 'तार पर चलने' जैसा कहा जा सकता है। एक तरफ टूर्नामेंट की जिम्मेदारी और दूसरी तरफ जनता का गुस्सा, दोनों को संतुलित करना आसान नहीं होगा।

 

सोशल मीडिया पर गुस्से की तस्वीर और लोगों का मनोभाव

अगर सोशल मीडिया की ओर नजर डालें तो तस्वीर और साफ हो जाती है। ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर BoycottINDvPAK लगातार ट्रेंड कर रहा है। हजारों लोग लिख रहे हैं कि इस मैच का होना शहीदों का अपमान होगा। यहां तक कि कई पूर्व खिलाड़ी और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस बहस में उतर आए हैं। कुछ लोग कहते हैं कि जब जवान सरहद पर शहीद हो रहे हैं, तो क्रिकेट के बहाने पाकिस्तान को मंच देना हमारी कमजोरी होगी।

लोगों का मनोभाव बहुत संवेदनशील है। हर पोस्ट, हर वीडियो और हर स्टेटस यही बता रहा है कि जनता इस बार भावनात्मक स्तर पर बहुत आहत है। खास बात यह है कि यह गुस्सा केवल शहरों में ही नहीं, बल्कि छोटे कस्बों और गांवों तक पहुंच गया है। वहां भी युवा क्रिकेट को लेकर बात कर रहे हैं और यही सवाल पूछ रहे हैं—क्या क्रिकेट पाकिस्तान से ज्यादा जरूरी है? पर दूसरी ओर एक वर्ग ऐसा भी है जो कह रहा है कि खेल का बहिष्कार कर देना हमेशा सही समाधान नहीं होता।

भले ही यह वर्ग कम है, लेकिन उनकी दलील है कि अगर भारत मैदान में पाकिस्तान को हराता है, तो वही सबसे बड़ा जवाब होगा। वे मानते हैं कि भावनाएं अपनी जगह हैं, लेकिन खेल से हर बार किनारा कर लेने से भारत को लंबे समय में नुकसान हो सकता है। यही दो राय अब पूरे समाज में टकरा रही हैं और इसी वजह से यह मुद्दा और गहरा होता जा रहा है।

 

क्या बायकॉट भारी पड़ेगा या मैच खेला जाएगा

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस सारी बहस का नतीजा क्या होगा। क्या सरकार और बीसीसीआई जनता की आवाज सुनकर मैच रद्द कर देंगे? या फिर अंतरराष्ट्रीय दबाव और पहले से तय कार्यक्रमों की वजह से मैच खेला जाएगा? मौजूदा हालात को देखें तो यह मुद्दा केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं रहा। यह देश की सुरक्षा, शहीदों के सम्मान और राष्ट्रीय भावना से जुड़ा मामला बन चुका है।

अगर बायकॉट की मांग भारी पड़ती है, तो यह एक बड़ा संदेश होगा कि भारत में जनता की आवाज सबसे ऊपर है। यह संदेश पाकिस्तान को भी जाएगा कि भारत किसी भी स्तर पर उसके साथ सामान्य व्यवहार के पक्ष में नहीं है। लेकिन अगर मैच होता है, तो सरकार और बीसीसीआई को जनता को यह समझाना होगा कि क्यों यह फैसला लिया गया। उन्हें यह दिखाना होगा कि मैदान में जीत ही असली जवाब होगा।

इस पूरे मामले ने एक बात साफ कर दी है कि भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाला कोई भी मैच अब केवल खेल भर नहीं है। यह राष्ट्रीय गर्व और अस्मिता से जुड़ा मुद्दा बन चुका है। हर बार जब दोनों देश आमने-सामने आते हैं, तो तनाव और भावनाएं साथ चलने लगती हैं। यही वजह है कि इस बार का मुकाबला चाहे हो या न हो, लेकिन इससे जुड़े सवाल लंबे समय तक चर्चा में बने रहेंगे।

नतीजा चाहे जो भी निकले, लेकिन इतना तय है कि इस बहस ने यह दिखा दिया है कि भारत की जनता अब आतंक और खेल को अलग नहीं देख पा रही। शहीदों के बलिदान के बीच क्रिकेट का जश्न मनाना बहुतों को सही नहीं लगता। यही कारण है कि बायकॉट की मांग इस बार पहले से ज्यादा मजबूत दिखाई दे रही है। आने वाले दिनों में साफ हो जाएगा कि असल में कौन सा पक्ष भारी पड़ता है—जनता का गुस्सा या अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की मजबूरी।

भारत-पाक मैच के खिलाफ बायकॉट की मांग क्यों हो रही है?
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ रोष है। इसी कारण लोग एशिया कप 2025 के भारत-पाक मैच के बायकॉट की मांग कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर कौन सा हैशटैग ट्रेंड कर रहा है?
सोशल मीडिया पर #BoycottINDvPAK लगातार ट्रेंड कर रहा है, जहां लोग पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के खेल संबंधों का विरोध कर रहे हैं।
सरकार और बीसीसीआई का रुख इस विवाद पर क्या है?
सरकार और बीसीसीआई का मानना है कि खेल और राजनीति को अलग रखना चाहिए। उनका कहना है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट की जिम्मेदारी के कारण मैच कराना जरूरी है। प्रश्न 4: क्या वाकई भारत-पाक मैच रद्द हो सकता है?
क्या वाकई भारत-पाक मैच रद्द हो सकता है?
अभी इसपर कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है। यदि जनता का दबाव बढ़ता है तो बायकॉट संभव है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियम और बीसीसीआई की मजबूरी भी बड़ी बाधा हैं।
लोग मानते हैं कि बायकॉट ही समाधान है?
ज्यादातर लोगों का मानना है कि पाकिस्तान को क्रिकेट का मंच देकर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि मैदान में हराना ही सबसे बड़ा जवाब है।

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Manish Garg

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