Nepal Crisis: नेपाल से 250 भारतीय छात्र सुरक्षित लौटे
काठमांडू से लेकर तराई तक नेपाल इन दिनों राजनीतिक हलचल से गुजर रहा है। अचानक हुए तख्तापलट ने वहां पढ़ाई और रिसर्च कर रहे हजारों विदेशी छात्रों को डरा दिया। इस उथल-पुथल में सबसे ज्यादा असर भारतीय छात्रों पर पड़ा। जो छात्र पढ़ाई के लिए नेपाल में थे, उन्हें एक डर का माहौल झेलना पड़ा और आखिरकार सुरक्षा घेरे में देश वापसी करनी पड़ी।
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कैसे शुरू हुआ डर का सिलसिला
भारतीय छात्र नेपाल के अलग-अलग शहरों में पढ़ रहे थे। राजनीति में अचानक बदलाव और सत्ता पलटने की खबरें सामने आते ही वहां हालात तनावपूर्ण हो गए। शहरों में सेना और पुलिस की गश्त बढ़ा दी गई। जगह-जगह नाके लगने लगे। हॉस्टल में रह रहे छात्र असमंजस में थे कि कब क्लासेस बहाल होंगी और कब हालात सामान्य होंगे। हर छात्र के मन में एक ही सवाल था—अगर हालात खराब हुए तो वापसी का रास्ता सुरक्षित होगा या नहीं।
भरतपुर से रक्सौल तक यात्रा
सरकार और भारतीय दूतावास की मदद से छात्रों को सुरक्षित भारत वापस लाने की योजना बनाई गई। शनिवार सुबह भरतपुर में मौजूद छात्रों को नेपाल पुलिस की मदद से गाड़ियों में बैठाया गया। दर्जनों सुरक्षा वाहन उनके काफिले के आगे और पीछे चल रहे थे। हर कुछ किलोमीटर पर पुलिस की पेट्रोलिंग टीम तैनात थी। तनावपूर्ण माहौल के बीच गाड़ियों का यह काफिला धीरे-धीरे रक्सौल बॉर्डर तक पहुंचा। वहां भारतीय प्रशासन पहले से उनके स्वागत और औपचारिकताओं के लिए तैयार था। छात्रों को जांच और औपचारिक कागज़ी कार्रवाई के बाद भारतीय अधिकारियों के हवाले कर दिया गया।
छात्रों की अपनी आपबीती
जिस समय ये छात्र भरतपुर से रवाना हुए, उनके चेहरे पर राहत और डर दोनों साफ झलक रहे थे। कुछ छात्रों का कहना था कि उन्होंने जिंदगी में पहली बार इस तरह की स्थिति देखी। एक मेडिकल छात्र ने कहा, हम सोच भी नहीं सकते थे कि पढ़ाई के बीच ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। जिस शहर में कल तक हम लाइब्रेरी जा रहे थे, वहां आज सेना और पुलिस सड़क पर थी। गाड़ियां रुकवाकर तलाशी हो रही थी। हम सब बहुत असहज थे। एक अन्य छात्रा ने बताया कि जब हॉस्टल बंद किया गया और क्लासेस स्थगित कर दी गईं, तब लगा कि अब वापसी ही बेहतर विकल्प बचा है। उन्होंने कहा, हम दिन-रात फोन पर अपने घरवालों को भरोसा दिला रहे थे कि हम सुरक्षित हैं, लेकिन अंदर से हम खुद ही घबराए हुए थे। बेशक नेपाल हमारा पड़ोसी मुल्क है, लेकिन जब वहां सत्ता बदलने जैसा बड़ा घटनाक्रम एकाएक होता है, तो हम जैसे बाहर से आए लोगों के मन में भय बढ़ जाता है।
घरवालों की चिंता और आंखों के आंसू
भारतीय सीमा पार करते ही, कई छात्रों ने फोन पर परिजनों से संपर्क किया। कुछ विद्यार्थी वीडियो कॉल पर जैसे ही अपने घरवालों को दिखाई दिए, परिवारजन खुशी के मारे रो पड़े। एक पिता ने कहा कि वह बेटे के लौटने तक चैन से एक पल भी नहीं सो पाए। बताया जा रहा है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली तक के छात्र इस समूह में शामिल थे, जिन्हें घर लौटने की बेचैनी बराबर सताती रही।
दूतावास और प्रशासन की भूमिका
भारतीय दूतावास ने हालात बिगड़ते ही छात्र समुदाय से संपर्क बनाए रखा। हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए। छात्रों को भरोसा दिलाया गया कि उन्हें सुरक्षित वापस भेजने की तैयारी पूरी तरह से की जा रही है। भारतीय प्रशासन की तरफ से भी बॉर्डर पर सुविधाएं बढ़ा दी गईं। छात्रों के लिए वहां प्राथमिक जांच की व्यवस्था की गई। स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों ने भी खाने-पीने का इंतजाम किया।
नेपाल में बाकी रह गए विद्यार्थी
हालांकि करीब 250 छात्र भारत लौट आए हैं, लेकिन अभी भी कई भारतीय छात्र नेपाल में ही मौजूद हैं। उनमें से कुछ का कहना है कि वे फिलहाल हालात को देखते हुए वहीं रुकना चाहेंगे। उनका मानना है कि क्लासेस जल्द शुरू हो सकती हैं और स्थिति स्थिर होने के बाद वे पढ़ाई जारी रख पाएंगे। परंतु कुछ छात्रों के परिजन लगातार दबाव बना रहे हैं कि वे भी जल्द लौट आएं।
बॉर्डर पर माहौल
रक्सौल बॉर्डर पर जब गाड़ियां पहुंचीं, तो स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए थे। वहां मौजूद लोगों ने छात्रों की आंखों में झलकती राहत देखी। कुछ छात्र इतने भावुक थे कि बिना कुछ कहे बस चुपचाप जमीन पर बैठ गए। सारी थकान और तनाव जैसे उनकी आंखों से आंसुओं के रूप में बाहर आ गया। सीमा पर सुरक्षा बढ़ी हुई थी। प्रशासन लगातार लोगों को संयम से काम लेने की अपील कर रहा था।
एक अनुभव जो हमेशा याद रहेगा
इन छात्रों की वापसी सिर्फ घर आने की बात नहीं। यह उनके लिए एक ऐसा अनुभव रहा जिसे जीवनभर भुलाया नहीं जा सकेगा। विदेश में पढ़ाई करना जहां उत्साह और सपनों से भरा होता है, वहीं ऐसे हालात इस बात का एहसास दिला देते हैं कि किसी भी वक्त राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य बदल सकता है। जो पल इन्हें मजबूर करता है कि पढ़ाई के साथ-साथ जागरूक रहना भी जरूरी है।
नेपाल में अगला कदम
नेपाल में राजनीतिक घटनाक्रम किस दिशा में जाएगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा। लोग सवाल कर रहे हैं कि वहां स्थिरता कब आएगी और विदेशी छात्रों के लिए पढ़ाई का सुचारु माहौल कब तक बहाल होगा। अभी तो सिर्फ इतना साफ है कि नेपाल में हालात असामान्य हैं और विदेशी नागरिक, खासकर छात्र, सबसे ज्यादा संवेदनशील स्थिति में हैं। भारत सरकार और दूतावास लगातार सही कदम उठाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि किसी भी भारतीय को खतरे में न रहना पड़े। इस बीच लौटे छात्र सिर्फ यही कह रहे हैं कि यह कुछ दिन उनके जीवन की सबसे चुनौतीपूर्ण यादों में से एक रहेंगे।
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