राजस्थान के भीलवाड़ा जिले से आई खबर ने एक बार फिर मानवता को झकझोर कर रख दिया है। भीलवाड़ा के सीताकुंड जंगल में ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर हर कोई दहल गया। यहां 10-12 दिन के एक नवजात को जंगल में ले जाकर उसके मुंह में पत्थर ठूंस दिया गया था और फेवीक्विक जैसे कैमिकल से उसके होंठ जबरन चिपका दिए गए थे। इतना ही नहीं, उस मासूम को पत्थरों के नीचे दबा दिया गया, जिससे उसकी चीखें बाहर तक न आएं।
यह दृश्य देख किसी का भी दिल पिघल सकता है, लेकिन वह मासूम किस्मत से बच गया। घटना जैसी सामने आई, हर तरफ इसकी चर्चा हो रही है।
कैसे सामने आई पूरी घटना और मासूम को कैसे मिला जीवनदान
सीताकुंड के जंगल में यह भयानक वारदात उस वक्त सामने आई, जब एक स्थानीय चरवाहा अपने जानवरों के साथ जंगल में गया था। अचानक उसकी नजर झाड़ियों के बीच हल्की-हल्की आवाज पर पड़ी। चरवाहे ने जैसे ही नजदीक जाकर देखा, तो पत्थरों के नीचे से सिसकियों की आवाजें आ रही थीं। हिम्मत जुटाकर चरवाहे ने पत्थर हटाए, तो उसके सामने एक नवजात शिशु था, जिसके मुंह में जबरदस्ती पत्थर ठूंस दिए गए थे और ऊपर से फेवीक्विक लगा दी गई थी।
यह देखकर चरवाहा भी हैरान रह गया। उसने तुरंत गांव के कई लोगों को बुलाया और सभी ने मिलकर नवजात को बाहर निकाला। बच्चा बहुत डरा-सहमा हुआ था और सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था। गांव वालों ने बिना समय गंवाए तुरंत पुलिस को सूचना दी और बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
अस्पताल में चल रहा इलाज, बच्चे की हालत में सुधार
घटना के बाद नवजात को जिला अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों की टीम ने उसकी तुरंत देखभाल शुरू की। शुरुआत में बच्चे को सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी, क्योंकि उसके होंठ फेवीक्विक की वजह से चिपके हुए थे और मुंह में पत्थर डला हुआ था। डॉक्टरों ने सूझबूझ के साथ उसका मुंह साफ किया और उसे ऑक्सीजन पर रखा। कुछ घंटे बाद उसकी हालत में थोड़ा सुधार देखने को मिला।
डॉक्टरों के मुताबिक, अगर उसे थोड़ी देर और दबा रखा जाता, तो उसकी जान बचाना मुश्किल हो जाता। समय पर मदद मिलने से मासूम की जान बच गई।
मोके से जुड़ी पुलिस की जांच और केस दर्ज करने की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे जंगल क्षेत्र की बारीकी से जांच की। पुलिस ने वहां से कई सबूत जुटाए हैं। साथ ही, आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है, ताकि पता चल सके कि बच्चा किसने और कब वहां छोड़ा। आरोपी फरार हैं, लेकिन पुलिस अपने सभी सुरागों के जरिए उनको जल्द पकड़ने की कोशिश में लगी है।
राजस्थान पुलिस ने मासूम के साथ हुई इस हैवानियत पर केस दर्ज किया है और IPC की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज कर लिया है। अब पुलिस की टीम आसपास के सभी गांवों में पूछताछ कर रही है और बच्चे के परिवार तक पहुंचने की कोशिश कर रही है।
ऐसी घटना आखिर क्यों, समाज को सोचने की जरूरत
भीलवाड़ा के सीताकुंड जंगल में इस मासूम के साथ जो कुछ हुआ, उससे समाज में कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। आखिर कौन इतने निर्दयी हो सकते हैं जो एक नवजात को इस तरह मारने की कोशिश करें। गरीबी, सामाजिक दबाव, अवैध संबंध, या बेटा-बेटी के फर्क जैसी सोच ऐसी घटनाओं के पीछे जिम्मेदार हो सकती हैं।
हर किसी को मिलकर ऐसा सामाजिक माहौल बनाना होगा, जिसमें न कोई बच्चा बेसहारा हो और न ही कोई मां-बाप अपने बच्चे के साथ ऐसा अपराध करे। बच्चों की सुरक्षा समाज की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है।
मासूम की जिजीविषा और चरवाहे की सतर्कता ने बचाई जान
इस खबर में अगर सबसे सकारात्मक कोई बात है, तो वह उस मासूम की जिजीविषा और चरवाहे की इंसानियत है। जिसकी सतर्कता से यह बच्चा समय रहते बचा लिया गया। अगर चरवाहा वहां से नहीं गुजरता, तो शायद इस मासूम की जिंदगी कुछ और होती। आज उसके इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार है। अस्पताल का स्टाफ, पुलिस और स्थानीय लोगों ने मिलकर इस बच्चे को एक नई जिंदगी दी है।
यह घटना हम सभी को जागरूक करती है कि कभी भी किसी भी संदिग्ध हालात में हमें चुप नहीं रहना चाहिए, बल्कि तुरंत कदम उठाना चाहिए।
पुलिस व प्रशासन का संदेश: बच्चों की सुरक्षा में सबका सहयोग जरूरी
भीलवाड़ा पुलिस ने भी इस घटना के बाद लोगों से अपील की है कि अगर आपके आसपास ऐसी कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे तो तुरंत पुलिस को सूचना दें। किसी मासूम की जान और भविष्य हमारे जागरूक रहने पर निर्भर करता है। प्रशासन और समाज, दोनों को मिलकर ऐसे मामलों पर जीरो टॉलरेंस दिखाना चाहिए।
राजस्थान के इस दिल दहला देने वाले मामले ने सभी के दिल को छू लिया है, लेकिन साथ ही उम्मीद भी दिखाई है कि अगर हम सतर्क और जागरूक रहें, तो किसी भी मासूम की जान बचाई जा सकती है।
समाज को बदलना होगा सोच, तभी रुकेगी मासूमों के खिलाफ हैवानियत
भीलवाड़ा की इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि समाज में अभी भी कई कुरीतियां और क्रूरता मौजूद हैं। बच्चों की सुरक्षा और सम्मान के लिए हर एक नागरिक को आगे आना होगा। कानून के सख्त प्रावधान और सामाजिक जागरूकता ही इस तरह की घटनाओं को रोक सकते हैं। हम सभी मिलकर एक ऐसा समाज बना सकते हैं, जहां कोई बच्चा इस तरह की दरिंदगी का शिकार न हो।
सोच बदलने की शुरुआत हम सबको अपने घर से करनी होगी, बच्चों के प्रति संवेदनशील होना होगा, और हर ऐसी घटना का विरोध करना होगा। यही इस खबर का सबसे बड़ा संदेश है।