बिहार चुनाव 2025: मुकेश सहनी की सीटों की जिद ने महागठबंधन में पैदा किया खतरा
बिहार चुनाव में मुकेश सहनी की 20 सीटों की जिद से महागठबंधन में पैदा हुई नई चुनौतियां
2025 के बिहार विधानसभा चुनावों के ऐलान के बाद से सियासी हलचल तेज है। नामांकन शुरू होते ही खबर आई कि मुकेश सहनी अपनी मांगों पर अड़े हैं। 20 सीटों की मांग? जी हां, एक दम साफ मांग लाई है। साथ ही उपमुख्यमंत्री का पद भी चाहिए। मतलब बात बड़ी गंभीर हो गई। कांग्रेस का जवाब थोड़ा ठहरी हुई चाल की तरह है। वे कहते हैं कि यह फैसला चुनाव के बाद करेंगे। लेकिन आपको पता है, राजनीतिक गलियारों में चर्चा हो रही है कि स्थिति कहीं कड़कड़ाती ठंड से भी ज्यादा ठंडी नहीं लग रही।
कांग्रेस की राय में चुनाव परिणाम के बाद तय होगा गठबंधन का भविष्य
कांग्रेस का रुख थोड़ा अलग है। वे साफ कहते हैं, “पहले चुनाव जीतेंगे, फिर पदों की बात करेंगे।” समझिए, अभी वे कदम-कदम पर सोच-विचार कर रहे हैं। उनका डर भी सही है। अगर सीट और पदों को लेकर जल्दीबाजी हुई, तो पूरे गठबंधन की जमीन हिल सकती है। कांग्रेस की इस रणनीति से कई बार माहौल थोड़ा तनावपूर्ण भी हो गया, लेकिन उनका लक्ष्य अभी तक गठबंधन को मज़बूती देना है।
तेजस्वी यादव की भूमिका: गठबंधन को बनाए रखना कितना आसान है?
अब आते हैं तेजस्वी यादव पर, जो महागठबंधन के लिए अहम नेता हैं। यह सोचिए, एक तरफ उनकी जिम्मेदारी कि सभी दलों को साथ रखें, वहीं दूसरी तरफ मुकेश सहनी जैसी जिद। तेजस्वी पूरी कोशिश कर रहे हैं विवाद को सुलझाने की, पर यह कोई आसान काम नहीं। राजनीतिक पार्टियां लगातार अपनी-अपनी मांग लिए आवाज़ उठा रही हैं। तेजस्वी की चुनौती बड़ी है, पर वे पीछे नहीं हट रहे।
राजनीतिक जानकार क्या मानते हैं इस विवाद को लेकर?
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं, “यह सीट बंटवारा महागठबंधन की नींव के लिए बड़ा सवाल है।” जहां एक ओर पक्षकार अपने हक की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर गठबंधन की मजबूती खतरे में दिखने लगी है। मगर, अभी भी लोगों की उम्मीदों पर काबू रखा गया है। टूटने का खतरा भले हो, लेकिन समझौता होने की गुंजाइश से इनकार नहीं किया जा सकता।
लोगों की राय: जनता चाहती है साफ-सुथरा चुनाव और एकजुट गठबंधन
अगर आप आम जनता से पूछें, तो उन्हें देखना है कि पार्टियां जुड़ी रहें। जनता को तो विकास चाहिए, राजनीति में उलझन नहीं। चुनाव के पहले सियासत की यह लड़ाई उनकी उम्मीदों के खिलाफ जा रही है। इसलिए जनता की उम्मीद है कि नेता जल्द ही अपनी मनमुटाव खत्म कर दें और बिहार के लिए एक बेहतर रास्ता निकालें।
निष्कर्ष: बिहार चुनाव 2025 की सबसे बड़ी पेशकश है गठबंधन की मजबूती
मुकेश सहनी की भारी मांग और कांग्रेस के सधे कदम के बीच तालमेल की कवायद जारी है। तेजस्वी यादव मौजूद हैं इस जटिल को सुलझाने के लिए। चुनाव 2025 से पहले यह लड़ाई महागठबंधन के लिए सबसे बड़ा चुनौती साबित हो रही है। क्या बिहार की राजनीति इसका हल निकालेगी? वक्त जल्दी बताएगा। फिलहाल यह विवाद बिहार की राजनीतिक कहानी का सबसे दिलचस्प अध्याय है।