Bihar Chunav Voter Turnout: बिहार चुनाव के पहले चरण में मतदाताओं ने गजब कर दिखाया। इस बार वोटिंग के आंकड़ों ने पूरे देश को चौंका दिया। Bihar Chunav Voter Turnout ने पिछले 75 सालों के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। चुनाव आयोग के अनुसार, पहले चरण में 64.66% मतदान दर्ज किया गया ,जो अब तक का सबसे ऊँचा वोट प्रतिशत है।
1951 के बाद यह पहली बार हुआ है कि राज्य में इतनी भारी संख्या में लोगों ने लोकतंत्र के इस उत्सव में भाग लिया। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि मतदाताओं में जागरूकता और उत्साह पहले से कहीं ज्यादा बढ़ा है।
महिलाओं की भागीदारी और आसान मतदान प्रक्रिया बनी बड़ी वजह
इस बार बिहार चुनाव में महिलाओं की भागीदारी ने वोटिंग के आंकड़ों को नई ऊंचाई दी। कई जिलों में महिला वोटरों की संख्या पुरुषों से अधिक रही। छठ पूजा के बाद वोटिंग की तारीख तय होना भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। लोगों के पास समय था, और मौसम भी अनुकूल रहा। साथ ही, चुनाव आयोग ने इस बार मतदान प्रक्रिया को काफी सरल बनाया।
ऑनलाइन मतदाता सूची और पहचान सत्यापन प्रणाली (SIR) जैसी तकनीकों ने भी भूमिका निभाई। कई मतदाताओं ने नाम कटने के डर से मतदान केंद्रों तक पहुंचना जरूरी समझा। इस बार प्रशासन ने नक्सल प्रभावित इलाकों में भी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत रखा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी मतदान हुआ।
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किन जिलों में सबसे ज्यादा वोटिंग हुई
पहले चरण में कुल 18 जिलों में मतदान हुआ। इनमें मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, मधेपुरा और वैशाली में रिकॉर्ड वोटिंग दर्ज की गई। मुजफ्फरपुर में 70.96%, समस्तीपुर में 70.63%, और मधेपुरा में 67.21% मतदान हुआ। इस बार की वोटिंग ने 2000 में हुए सबसे अधिक 62.57% वोटिंग रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया।
दिलचस्प बात यह रही कि शहरी इलाकों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा। हालांकि, कुछ जगहों पर ईवीएम खराबी, बूथ कैप्चरिंग की अफवाहें और हल्की झड़पें भी देखने को मिलीं। फिर भी कुल मिलाकर मतदान शांतिपूर्ण रहा।
चुनावी माहौल और जनता का मूड
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतनी अधिक वोटिंग का मतलब जनता का सरकार और विपक्ष दोनों के प्रति गहरा रुझान दर्शाता है। एक खेमा इसे “एंटी-इनकंबेंसी वेव” बता रहा है, जबकि दूसरा “प्रो-इनकंबेंसी वोटिंग” कह रहा है।
बिहार वोटिंग को लेकर युवाओं और पहली बार वोट डालने वालों में खास उत्साह देखा गया। वोटर टर्नआउट में इस तरह की ऐतिहासिक बढ़त बताती है कि बिहार के लोग अब विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दे रहे हैं।
ऐतिहासिक तुलना और भविष्य की झलक
1951 के पहले विधानसभा चुनाव में बिहार में सिर्फ 42.6% मतदान हुआ था। फिर 2000 में यह आंकड़ा 62.57% तक पहुंचा। 2020 के कोविड चुनाव में सिर्फ 57.29% वोट पड़े थे। अब 2025 में 64.66% मतदान दिखाता है कि लोकतंत्र के प्रति जनता की निष्ठा बढ़ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दूसरे और तीसरे चरण में भी यही रुझान जारी रहा, तो बिहार विधानसभा चुनाव का कुल औसत वोट प्रतिशत देश में सबसे ऊपर जा सकता है।
पहले चरण की भारी वोटिंग ने साफ कर दिया है कि बिहार की जनता इस बार बदलाव के मूड में है। चाहे सत्ता में वापसी हो या नया जनादेश,इतना तय है कि बिहार चुनाव का यह चरण इतिहास में दर्ज हो गया है। आने वाले चरणों में नजरें अब इस पर टिकी हैं कि यह रिकॉर्ड वोटिंग किसके पक्ष में जाती है।
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