Bihar Election 2025: अब पूरे जोश पर है। पहले चरण की वोटिंग में बस कुछ दिन बाकी हैं और सियासी गलियारों में हलचल तेज़ हो चुकी है। सभी दलों की नज़र इस बार भागलपुर प्रमंडल पर टिकी है, जो राज्य की राजनीति में हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है। नौ प्रमंडलों में से एक यह क्षेत्र न सिर्फ जातीय समीकरण, बल्कि विकास के मुद्दों के आधार पर भी वोटों का रुख तय करता है।
भागलपुर प्रमंडल का सियासी इतिहास और अहमियत
भागलपुर प्रमंडल में दो जिले भागलपुर और बांका शामिल हैं, जिनकी कुल 12 विधानसभा सीटें हैं। इनमें सात सीटें भागलपुर जिले और पांच सीटें बांका जिले में आती हैं। यह प्रमंडल भले ही आकार में छोटा हो, लेकिन इसका राजनीतिक प्रभाव बिहार की सत्ता की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभाता है।
2020 के Bihar election में इस प्रमंडल से एनडीए ने 9 और महागठबंधन ने 3 सीटें जीती थीं। भाजपा को यहां 5,जदयू को 4, जबकि राजद को 2 और कांग्रेस को 1 सीट मिली थी। 2015 के चुनाव में तस्वीर बिल्कुल उलट थी उस वक्त महागठबंधन ने यहां 11 में से 10 सीटें अपने नाम की थीं। वहीं 2010 में एनडीए ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 12 में से 10 सीटें जीती थीं। इससे साफ है कि भागलपुर प्रमंडल में सत्ता परिवर्तन का इतिहास हर चुनाव में बदलता रहा है, जिससे यह इलाका हमेशा सुर्खियों में बना रहता है।
कौन सी सीटें हैं चर्चा में और कौन किसके मुकाबले में?
2025 के Bihar Polls 2025 में भागलपुर, कहलगांव और सुल्तानगंज जैसी सीटें सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। भागलपुर सीट से कांग्रेस के अजीत कुमार शर्मा मैदान में हैं, जो तीन बार से लगातार विधायक हैं। भाजपा ने एक बार फिर रोहित पांडेय पर भरोसा जताया है, जिन्हें 2020 में मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। कहलगांव सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला है .
जदयू के शुभानंद मुकेश, कांग्रेस के प्रवीण सिंह और राजद के रजनीश भारतीय मैदान में हैं। सुल्तानगंज में भी कांग्रेस और राजद के बीच सीधी टक्कर देखी जा रही है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि भागलपुर प्रमंडल की ये तीन सीटें पूरे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दिशा तय कर सकती हैं।
जातीय और स्थानीय समीकरण – किसके पक्ष में जाएगी हवा?
भागलपुर प्रमंडल में electoral mood हर बार बदलता रहा है। यहां यादव, कुशवाहा, भूमिहार और दलित समुदाय निर्णायक भूमिका निभाते हैं। राजद अपने पारंपरिक यादव और मुस्लिम वोट बैंक पर भरोसा कर रही है, जबकि एनडीए की नज़र विकास और महिला सशक्तिकरण के मुद्दों पर है। कांग्रेस का प्रयास है कि शहरी मतदाताओं और युवा वर्ग को साधा जाए। राजनीतिक पंडितों के अनुसार, इस बार स्थानीय उम्मीदवारों की छवि और जमीनी काम चुनावी नतीजों में बड़ा रोल निभाएंगे।
भागलपुर प्रमंडल की भूमिका और आगे की संभावनाएँ
राजनीति के जानकार कहते हैं कि election in Bihar के हर चरण में भागलपुर प्रमंडल की भूमिका निर्णायक रही है। यहां का परिणाम कई बार पूरे राज्य की दिशा तय करता है। 2025 में भी सभी दल इस क्षेत्र में पूरी ताकत झोंक रहे हैं — बड़े नेताओं की रैलियां, रोड शो और स्थानीय गठबंधन लगातार तेज़ हो रहे हैं। अगर इतिहास को देखा जाए, तो यह इलाका कभी भी एकतरफा नहीं रहा। बदलते जनमत और स्थानीय मुद्दे इसे “किंगमेकर प्रमंडल” बनाते हैं।
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