Bihar Election 2025 छपरा की रैली में खेसारी लाल यादव बोले, मैं रवि भैया से पूछना चाहता हूं, युवाओं से अपील, विकास पर वोट करें
छपरा का मौसम गर्म था। राजनीतिक और लोगों के दोनों ही मायनों में। लाल झंडे लहरा रहे थे, और मंच पर माइक पकड़े एक चेहरा परिचित था — खेसारी लाल यादव। वो अब बस भोजपुरी गानों के नायक नहीं, चुनावी मैदान के खिलाड़ी हैं। “मैं रवि भैया से पूछना चाहता हूं...,” — पूरे मैदान में यही लाइन गूंज उठी। भीड़ में एक पल को सन्नाटा, फिर तालियाँ, शोर और नारों की आवाज़।
फिल्मी स्टार अब राजनीतिक लहर में, छपरा बना चर्चा का केंद्र
छपरा सदर विधानसभा का माहौल इस वक्त कुछ अलग है। भोजपुरी स्टार से नेता बने खेसारी लाल यादव अब RJD के प्रत्याशी हैं। उनके आने से रैली का रंग बदल गया। मंच पर जब वो पहुंचे, तो मोबाइल कैमरे आसमान की तरफ उठ गए। हर ओर भीड़, गांव-गांव से लोग आए, किसी ने कहा – “हम अपने हीरो को करीब से देखने आए हैं।”
खेसारी ने मुस्कुराते हुए अभिवादन किया, फिर अचानक बोले – “मैं रवि भैया से पूछना चाहता हूं…”। भीड़ तालियों में डूब गई। एक साउंड बॉक्स की आवाज़ गूंजी – “बोलिए खेसारी भैया ज़िंदाबाद।”
रवि किशन पर सीधा वार, बोले – भोजपुरी वालों के हक का सवाल है
खेसारी ने मंच से कहा – “रवि भैया सांसद हैं। मगर बताइए मेरे भाई, आपने भोजपुरी और बिहार के लिए क्या किया?” उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “आपने भारत मंडपम में भाषण दिया होगा, लेकिन बिहार के गाँवों में अँधेरा क्यों है? हमारे बच्चों के पास नौकरी क्यों नहीं है?”
फिर उनकी आवाज़ भारी हुई, बोले – “अगर राजनीति सिर्फ ग्लैमर है, तो जनता को फिर मायूस होना पड़ेगा। मैं चाहूंगा कि इस बार राजनीति में संवेदना भी लौटे।” मंच से भीड़ की तरफ हाथ उठाकर बोले, “अब वक्त है विकास का।”
युवा वोटरों को साधने की कोशिश, मंच से रोजगार की चर्चा
सभा में हज़ारों युवा थे। कोई मोबाइल से लाइव चला रहा था, तो कोई नारा लगा रहा था – “खेसारी आएंगे, बदलाव लाएंगे।” यादव ने कहा – “भाईयों, बहनों, अब फिल्मों की बात छोड़िए। बिहार की बात कीजिए। यहां नौजवान प्लंबर, सिक्योरिटी गार्ड, ड्राइवर बनकर बाहर जा रहा है। क्यों? क्योंकि बिहार में उद्योग नहीं हैं।”
थोड़ा रुककर बोले, “मैं चाहता हूं कि जो बच्चा छपरा में पैदा हुआ, वह यहीं अपने बूढ़े मां-बाप के पास रह सके। उसे दिल्ली-मुंबई भागना न पड़े।” फिर खुद ही हल्की मुस्कान के साथ बोले – “यह सपना है मेरा, और इसे मैं पूरा कराऊंगा, आपके साथ।”
मोदी सरकार और केंद्र की नीतियों पर प्रहार
खेसारी लाल यादव ने केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए। बोले – “केंद्र ने बड़े-बड़े वादे किए, लेकिन बिहार में क्या हुआ? उद्योग धंधा ठप, किसानी आधी, बेरोजगारी पूरी।” भीड़ से किसी ने आवाज़ लगाई – “सही कहा खेसारी भैया।” वह मुस्कुराए और बोले – “सही कहा? अब सम्भालिए, ऐसा ही तो वोट बदलता है।”
उन्होंने कहा कि ये चुनाव जाति या धर्म का नहीं, रोज़गार का है। “अगर हमें बिहार के बच्चों का भविष्य बनाना है, तो इस बार विकास और शिक्षा पर वोट करना होगा।”
राजनीति में अभिनय से ज़्यादा ईमानदारी चाहिए - खेसारी
उसके बाद उनका लहजा भावुक हो गया। बोले – “मैंने गानों में गरीबों की कहानियाँ गाईं। अब असली ज़िंदगी में उनकी आवाज़ उठाने आया हूँ।” उन्होंने ग्रामीण दर्शकों की तरफ हाथ बढ़ाकर कहा – “कोई किसी को ठग न सके, यह मेरी लड़ाई है। मैं अभिनय का नहीं, बदलाव का उम्मीदवार हूँ।” भीड़ इसपर झूम उठी।
कहीं बच्चों के कंधे पर झंडा, कहीं महिलाओं के हाथ में पोस्टर था। हर कोई उस मंच को अपनी उम्मीद की तरह देख रहा था।
भीड़ ने दी फिल्मी अंदाज़ में प्रतिक्रिया
खेसारी लाल का भाषण खत्म होते ही मंच के सामने भीड़ टूट पड़ी। लोग उनके नाम के नारे लगा रहे थे — “हमरे बिहार के बेटा, अब दिल्ली में बोलेगा!” कुछ लोगों ने गाड़ी के पीछे दौड़ भी लगाई। वो गाड़ी की खिड़की से हँसते हुए हाथ हिलाते निकले।
गांव की बूढ़ी अम्मा बोलीं — “हमने उन्हें रील में देखा था, अब सच्चे में मंच पर देखा। बोलते दिल से हैं।” शायद यही उनकी ताकत है — फेम और भावनाओं का मेल।
राजनीति की नई स्क्रिप्ट लिखने की कोशिश
छपरा की इस सभा ने यह साफ कर दिया कि खेसारी लाल यादव सिर्फ एक नाम नहीं, एक भावना बन चुके हैं। अब सवाल यह है कि क्या यह भावना वोट में बदल पाएगी? उन्होंने जाते-जाते कहा – “जो वादा फिल्मों में निभाता हूं, वही वादा अब आपकी गलियों में निभाऊंगा।”
लोग ताली बजा रहे थे, पर आंखें भी कुछ देर तक पीछे तकती रहीं। भीड़ छँट गई, पर वो एक पंक्ति – “मैं रवि भैया से पूछना चाहता हूं…” – अब छपरा के हर नुक्कड़ पर सुनाई दे रही है।


