पटना, 27 अक्टूबर 2025। बिहार का मौसम अब पूरी तरह चुनावी हो गया है। गलियों में पोस्टर, चौपालों में चर्चा। हर किसी की जुबान पर एक ही सवाल इस बार कौन? महागठबंधन ने इस बार जो दांव चला है, वो थोड़ा अलग है। Bihar Elections 2025 में अब उनकी नज़र सीधी अति पिछड़ी जातियों पर है। और तरीका घोषणा पत्र के ज़रिए भरोसा जीतने का।
घोषणा पत्र बना नया चुनावी चेहरा
महागठबंधन ने जो दस्तावेज़ जारी किया, उसे देखकर एक बात साफ समझ आती है। ये सिर्फ वादों की लिस्ट नहीं है, बल्कि सोच है। इस बार बात सीधी है समाज के उस तबके को जोड़ना जो सालों से राजनीति के किनारे खड़ा है। शिक्षा, रोज़गार, न्याय और बराबरी की बात। थोड़ा भावुक, थोड़ा व्यावहारिक अंदाज़। ऐसा लगता है मानो नेताओं ने जनता से सीधा संवाद किया हो।
24 ऐलान, हर वर्ग को छूने की कोशिश
घोषणा पत्र में 24 ऐलान हैं। सबके लिए कुछ न कुछ। कहा गया है कि अति पिछड़ों को सरकारी नौकरियों में विशेष मौका मिलेगा। गांवों में स्किल ट्रेनिंग सेंटर खोले जाएंगे। किसानों के लिए नई योजनाएं, युवाओं के लिए रोजगार, महिलाओं के लिए सुरक्षा और सशक्तिकरण। बातें सुनने में मीठी हैं। लेकिन अंदर एक सवाल भी उठता है क्या ये सब इस बार पूरा होगा?
महिलाओं और युवाओं पर खास ध्यान
महागठबंधन ने महिलाओं के लिए ‘आत्मनिर्भर बिहार’ योजना लाने की बात कही है। हर जिले में रोजगार सहायता केंद्र खोलने का वादा है। कहा गया कि शिक्षा और रोजगार ही असली विकास की कुंजी है। सुनने में सब अच्छा लगता है, मगर जनता अब सिर्फ सुनना नहीं चाहती। उसे देखना है, महसूस करना है कि बदलाव सच में हो।
वंचित न्याय की नई परिभाषा
इस घोषणा पत्र में बार-बार एक शब्द आता है वंचित न्याय। यही इस पूरी रणनीति का दिल है। नेताओं का कहना है कि बिहार तब ही आगे बढ़ेगा जब हर वर्ग को बराबर मौका मिलेगा। किसानों की आय दोगुनी करने का इरादा जताया गया है। दलित और गरीब बस्तियों में पक्के मकान देने का वादा किया गया है। सुनने में पुराना लगता है, लेकिन इस बार लहजा कुछ बदला हुआ है।
विपक्ष का तंज, जनता की चुप्पी
जैसे ही घोषणा पत्र जारी हुआ, विपक्ष ने तुरंत हमला बोला। कहा वही पुराने वादे, बस पैकिंग नई है। किसी ने कहा चुनावी जुमला है, किसी ने बोला कागज पर सपने। लेकिन जनता अब ज्यादा बोल नहीं रही। शायद देखना चाहती है कि आखिर इस बार क्या सच में कुछ नया होगा।
गांव की हवा बदल रही है
गांवों में लोग अब चाय की दुकान पर भी गंभीर बातें करने लगे हैं। “इस बार कुछ अलग लग रहा है” कोई कह देता है। Bihar Elections 2025 में इस बार बहस सिर्फ जाति या पार्टी की नहीं, भरोसे की भी है। लोगों की आंखों में उम्मीद है, लेकिन चेहरे पर शक भी। यह मिला-जुला सा माहौल है, जैसा बिहार की राजनीति में हमेशा रहता है।
अंत में वही सवाल, क्या ये वादे बदलेंगे बिहार?
राजनीति में घोषणाएं हमेशा होती हैं। हर बार कोई नया सपना दिखाया जाता है। लेकिन हर चुनाव कुछ उम्मीदें भी छोड़ जाता है। इस बार महागठबंधन का प्लान मजबूत दिखता है, पर नतीजे क्या होंगे, कोई नहीं जानता। वक्त बताएगा कि क्या ये 24 वादे सिर्फ शब्द रह जाएंगे या बिहार की नई कहानी लिखेंगे।


