Bihar Election 2025 : मुंगर की रैली में बोले अमित शाह. NDA पांडवों की तरह एकजुट, लालू‑राबड़ी ने बिहार को तहस‑नहस कर दिया
मुंगर की रैली में बोले अमित शाह कि एनडीए पांडवों की तरह एकजुट होकर बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में सुरक्षा और विकास दोनों का संतुलन बना है। मुंगर की रैली में बोले अमित शाह कि लालू‑राबड़ी शासनकाल में हत्या, अपहरण और फिरौती का दौर था जिसने राज्य को तहस‑नहस कर दिया, लेकिन अब एनडीए ने बिहार को स्थिरता और सम्मान दिलाया है।
Bihar Election 2025 मुंगर की रैली में बोले अमित शाह, NDA पांडवों की तरह एकजुट, लालू‑राबड़ी के जंगलराज से बिहार को बचाएंगे
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धूप तेज थी। सामने भीड़ का सैलाब। मंच पर आए अमित शाह ने हाथ उठाया तो नारा गूंजा – “जय बिहार! जय मोदी!”। बिहार की मिट्टी में चुनाव की तपिश अब महसूस होने लगी है। हर सभा एक संदेश बन रही है, हर भाषण नए शब्द लिख रहा है।
अमित शाह बोले – NDA पांडवों की तरह एकजुट होकर मैदान में उतरा है
शाह ने मुस्कराते हुए कहा – “एनडीए पांडवों की तरह है। एक लक्ष्य, एक इरादा। धर्म की रक्षा के लिए एकजुट।” भीड़ तालियों से गूंज उठी। उन्होंने कहा, “हम पांच हैं – बीजेपी, जेडीयू, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा, लोक जनशक्ति पार्टी और जनता का विश्वास। ये पंच एकजुट हैं। बाकी जो हैं, वो सिर्फ सत्ता के लिए साथ हैं।”
फिर बोले – “एनडीए एक परिवार है, लेकिन विपक्ष? वो बस बिखरी भीड़ है, जिसे अब जनता पहचान चुकी है।” भीड़ से कोई चिल्लाया – “सही कहा!” शाह ने सिर हिलाया और बोले – “बस अब काम की बात करते हैं।”
लालू‑राबड़ी शासन पर हमला, बोले – उस दौर में डर और खून का राज था
मुंगर की यह रैली राजनीतिक नहीं, भावनात्मक थी। शाह का हर वाक्य पुराने दौर की याद दिला रहा था। उन्होंने कहा – “लालू‑राबड़ी के राज में अपराध था, फिरौती थी, अपहरण था। लोग घर से निकलते डरते थे। शाम के बाद बाजार सूने हो जाते थे।” भीड़ में कुछ बुजुर्गों ने सिर झुकाया – शायद यादें ताज़ा थीं।
शाह का स्वर ऊँचा हुआ – “उनके शासन ने बिहार को तहस‑नहस कर दिया। अब जंगलराज कभी लौटकर नहीं आएगा।” तालियां बजीं, झंडे लहराए गए।
शाह ने विकास का एजेंडा रखा, बोले – बिहार को अब रफ्तार चाहिए
उन्होंने कहा – “हमने बिहार को अंधेरे से निकालकर बिजली दी, सड़कें दीं, स्कूल‑कॉलेज दिए। अब हमें इसे आगे ले जाना है।” पास खड़े कुछ नौजवान चिल्लाए – “रोजगार भी दें!” शाह रुके, मुस्कुराए, बोले – “रोजगार भी होगा, उद्योग भी।” भीड़ ने हूटिंग नहीं की, बल्कि तालियाँ दीं।
यह पल संकेत था कि जनता सुनना चाहती है, पर सवाल भी रख रही है।
एनडीए और जेडीयू की एकता पर विश्वास जताया
शाह ने कहा – “कई लोग अफवाह फैला रहे हैं कि जेडीयू और बीजेपी में मतभेद है। मैं साफ कह देता हूं, ये गठबंधन टूटने वाला नहीं। ये बिहार के विकास का भरोसा है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संयोजन ही बिहार का भविष्य है।
भीड़ के बीच बैठे किसान बोले – “नीतीश मैदान में हैं तो भरोसा बना है।” किसी ने सिर हिलाया, कोई बस चुपचाप सुनता रहा।
लालू परिवार पर सीधा निशाना – बोला, बिहार को बंधक बनाकर रखा था
शाह ने तत्काल आवाज बुलंद की – “लालू‑राबड़ी ने बिहार को बंधक रखा। उनके समय में जंगलराज की परिभाषा बनी।” उन्होंने कहा – “अब वही लोग फिर लौटना चाहते हैं। लेकिन बिहार की जनता तैयार है, उन्हें रोकने के लिए।”
रैली में जयकारे लगे – “बिहार में फिर एनडीए।” मंच के पीछे माइक पर भाजपा का गाना बज उठा – “सबका साथ, सबका विकास।”
शाह का भावुक पल – बोले, मां‑बहनों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है
शाह ने कहा – “अब वो वक्त चला गया जब बेटी स्कूल जाने से डरती थी। अब बिहार का हर कोना सुरक्षित है। वो मोदी जी का विजन है और हमारी जिम्मेदारी।” भीड़ जोर से तालियां बजाने लगी। एक महिला झंडा लेकर बोली – “हमारे गांव की सड़क बनी, अब हम भी निकलते हैं हाट‑बाजार।” शाह ने मुस्कुराकर सलाम किया।
चुनाव से पहले जनता को दिया संदेश – जंगलराज या विकास, फैसला आपका
अमित शाह ने अंत में जनता से सवाल किया – “क्या लालू का जंगलराज चाहिए?” आवाज आई – “नहीं।” फिर उन्होंने कहा – “तो यह चुनाव जंगलराज बनाम जनसेवा का चुनाव है। विकास चुनिए, सुरक्षा चुनिए, स्थिरता चुनिए, और बिहार को फिर आगे बढ़ाइए।”
वह रुके, पानी पिया और कहा – “हम पांडव हैं, धर्म की जीत तय है।” भीड़ हँस पड़ी, कुछ बोले – “जय एनडीए।”
मुंगर की रैली बनी चर्चा का केंद्र, संदेश पूरे बिहार में गूंजा
सभा खत्म होने के बाद लोग धीरे‑धीरे मैदान से निकले। पर शाह के शब्द हौले‑हौले हर गांव तक पहुँचने वाले थे। सोशल मीडिया पर क्लिप्स चलने लगीं – “अमित शाह बोले – एनडीए पांडवों की तरह एकजुट।” राजनीतिक गलियारों में यह पंक्ति अब चर्चा का नया शीर्षक बन चुकी है।
रिपोर्टर नोट कर रहा था – जनता ने खूब सुना, तालियां भी दीं, पर उनकी नज़र अब भी मुद्दों पर है। बिहार का दिल बदल रहा है, पर सवाल आज भी वही – क्या विकास की यह यात्रा जारी रहेगी?
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