Bihar Election 2025: सीमांचल के 24 सीटों पर टकराव तेज, कौन मारेगा बाजी?
Bihar Election 2025 में सीमांचल का रण गरमाया! पूर्णिया प्रमंडल की 24 सीटों पर NDA और महागठबंधन में कड़ी टक्कर जारी है।
सीमांचल: बिहार चुनाव का निर्णायक क्षेत्र
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- पूर्णिया प्रमंडल (सीमांचल) बिहार की राजनीति का सबसे अहम इलाका बन चुका है।
- इसमें अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जिलों की कुल 24 विधानसभा सीटें शामिल हैं।
- 2020 में इस क्षेत्र ने बिहार की सियासी दिशा बदली थी और अब 2025 में फिर सुर्खियों में है।
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण संपन्न हो चुका है, और अब दूसरे चरण की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार जिन इलाकों में मतदान होने जा रहा है, उनमें पूर्णिया प्रमंडल की सभी 24 सीटें शामिल हैं। 2020 में यही इलाका था जिसने बिहार की राजनीति की दिशा बदली थी। अब जब Bihar Election की आहट है, तो सीमांचल का यह क्षेत्र फिर सुर्खियों में है। अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया जैसे जिलों की राजनीति पूरे राज्य का मूड तय कर सकती है।
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सीमांचल का सियासी समीकरण और अहमियत
पूर्णिया प्रमंडल, जिसे सीमांचल भी कहा जाता है, बिहार की राजनीति का सबसे अहम इलाका बन चुका है। यहां कुल चार जिले अररिया, कटिहार, किशनगंज और पूर्णिया मिलकर 24 विधानसभा सीटें बनाते हैं। कटिहार और पूर्णिया में सात-सात सीटें, अररिया में छह और किशनगंज में चार सीटें हैं।
2020 में इस क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला हुआ था। उस वक्त एनडीए ने 12 सीटों पर कब्जा जमाया था जबकि महागठबंधन को सात सीटें मिली थीं। एआईएमआईएम ने पांच सीटों पर चौंकाने वाली जीत दर्ज की थी। यह आंकड़े बताते हैं कि सीमांचल अब किसी एक दल का गढ़ नहीं रहा।
2015 और 2020 के नतीजों से क्या सिखा बिहार?
2015 में जब जदयू, राजद और कांग्रेस एकजुट हुए थे, तो बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को सीमांचल में बड़ा झटका लगा था। महागठबंधन ने 17 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा सिर्फ छह सीटें ले सकी थी। 2020 में तस्वीर बदली। जदयू के एनडीए में लौटने से समीकरण बदल गए। एनडीए ने 12 सीटों पर जीत हासिल कर फिर से पकड़ बनाई, लेकिन एआईएमआईएम की एंट्री ने मुस्लिम वोट बैंक को बांट दिया। यही कारण रहा कि 2025 में सभी दल सीमांचल पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर इस क्षेत्र में एआईएमआईएम, कांग्रेस और राजद में आपसी तालमेल नहीं हुआ, तो एनडीए फिर बाजी मार सकता है।
कटिहार, धमदाहा और जोकीहाट सियासी गर्मी का केंद्र
पूर्णिया प्रमंडल की कई सीटें इस बार फिर सुर्खियों में हैं। कटिहार सीट से पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद का गढ़ होने के कारण यहां एनडीए के लिए प्रतिष्ठा दांव पर है। धमदाहा में मंत्री लेसी सिंह और राजद प्रत्याशी संतोष कुमार के बीच मुकाबला है। वहीं, जोकीहाट सीट पर तस्लीमुद्दीन के दो बेटे एक-दूसरे के आमने-सामने हैं एक राजद से, दूसरा जनसुराज से। यह मुकाबला पूरे राज्य का ध्यान खींच रहा है। इन सीटों के नतीजे यह तय करेंगे कि सीमांचल की दिशा किधर जाएगी क्या एनडीए फिर वापसी करेगा या महागठबंधन नई कहानी लिखेगा?
2025 में बदलती राजनीति और नए समीकरण
इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में अलग दिखाई दे रहा है। जनसुराज जैसे नए राजनीतिक दलों के बढ़ते प्रभाव ने सियासी समीकरणों को बदलना शुरू कर दिया है। युवा मतदाता, खासकर पहली बार वोट डालने वाले, इस चुनाव की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। राज्य में विकास, रोजगार, महंगाई और स्थानीय मुद्दे इस बार के मुख्य चुनावी एजेंडे के रूप में उभर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि सीमांचल क्षेत्र खासकर पूर्णिया, किशनगंज और कटिहार का रुख देखकर पूरे बिहार की राजनीति की दिशा का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इन जिलों के युवा अब रोजगार और शिक्षा के मुद्दों पर खुलकर अपनी आवाज़ उठा रहे हैं, और यही 2025 के चुनावी रण में सबसे प्रभावशाली मुद्दा साबित हो सकता है।
नतीजों का असर पूरे बिहार पर पड़ेगा
पूर्णिया प्रमंडल के नतीजे न सिर्फ सीमांचल बल्कि पूरे राज्य के सत्ता समीकरण को प्रभावित करेंगे। 243 सीटों वाली विधानसभा में इन 24 सीटों का महत्व निर्णायक है। 2020 में जिस तरह सीमांचल में छोटे दलों ने सेंध लगाई थी, वैसा ही खेल 2025 में भी देखने को मिल सकता है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि क्या एनडीए अपनी बढ़त बनाए रखेगा या महागठबंधन फिर से वापसी करेगा।
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क्या सीमांचल बिहार चुनाव की दिशा तय करेगा?
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