Bihar Election: दशहरा पर BJP को बड़ा झटका, दिग्गज नेता जनसुराज में शामिल

अररिया जिले के वरिष्ठ और चार बार के विधायक जनार्दन यादव ने भाजपा छोड़कर प्रशांत किशोर के राजनीतिक मंच जनसुराज में शामिल होकर राज्य की राजनीति में नया समीकरण तैयार किया है। यह कदम न केवल जनसुराज की ताकत बढ़ाएगा, बल्कि आने वाले बिहार चुनाव में भाजपा के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। यादव की लोकप्रियता और अनुभव पार्टी को चुनावी रणनीति में मजबूत बनाएंगे।

Bihar Election: दशहरा पर BJP को बड़ा झटका, दिग्गज नेता जनसुराज में शामिल

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    बिहार चुनाव को लेकर सियासी घमासान जारी है। जनसुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर लगातार भारतीय जनता पार्टी पर हमलावर हैं। पिछले कुछ दिनों से उन्होंने भाजपा के शीर्ष नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। अब उन्होंने भाजपा को बड़ा झटका दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और चार टर्म विधायक रहे जनार्दन यादव को अपने साथ कर लिया है। जनार्दन यादव ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है। उन्होंने प्रशांत किशोर का हाथ थाम लिया और जनसुराज में शामिल हो गए।  प्रशांत किशोर ने उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई। जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह ने कहा कि जनार्दन यादव का अररिया की राजनीति में एक अलग ही पहचान है। उनका जनसुराज में स्वागत है।

     

    किशोर के जनसुराज में शामिल हुए जनार्दन यादव

    अररिया जिले के प्रभावशाली नेता जनार्दन यादव ने राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के नए राजनीतिक मंच जनसुराज का हाथ थामा है। इस फैसले ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है। जनार्दन यादव चार बार विधायक रह चुके हैं और उनका अररिया की राजनीति में मजबूत आधार रहा है।

    जनसुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह ने जनार्दन यादव के पार्टी में शामिल होने पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि जनार्दन यादव का अररिया की राजनीति में एक विशेष स्थान है और उनका स्वागत है। यह जोड़ना सिर्फ एक व्यक्ति का शामिल होना नहीं है बल्कि जनसुराज पार्टी को एक मजबूत नेता मिल गया है।

     

    भाजपा की उपेक्षा से परेशान थे जनार्दन यादव

    जनार्दन यादव ने अपने इस फैसले के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि भाजपा के शीर्ष नेताओं ने उनकी उपेक्षा की है। उन्होंने स्पष्ट किया कि 2015 में चुनाव हारने के बाद भी वे अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। रोजाना जनता के बीच जाकर उनकी समस्याओं को सुनते रहे हैं लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें दरकिनार कर दिया।

    अररिया के इस वरिष्ठ नेता का कहना है कि बिहार में पलायन, अपराध और भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है। एनडीए सरकार के विधायकों से जनता असंतुष्ट है। ऐसे हालात में उन्होंने महसूस किया कि उनकी आवाज पार्टी के अंदर दब रही है।

     

    प्रशांत किशोर की सोच से हुए प्रभावित

    जनार्दन यादव ने बताया कि वे प्रशांत किशोर की सोच और दृष्टिकोण से काफी प्रभावित हैं। उनका मानना है कि प्रशांत किशोर बिहार की राजनीति को एक नई दिशा देने का काम कर रहे हैं। यही वजह है कि उन्होंने जनसुराज का सदस्य बनकर बिहार के विकास में अपना योगदान देने का फैसला किया है।

    यह बदलाव सिर्फ व्यक्तिगत नहीं है बल्कि राज्य की राजनीति में एक बड़ा संकेत है। जनसुराज लगातार भाजपा और एनडीए सरकार पर हमले कर रही है और अब उसे एक अनुभवी नेता का साथ मिल गया है।

     

    राजनीतिक करियर की शुरुआत 1977 में हुई थी

    जनार्दन यादव की राजनीतिक यात्रा 1977 से शुरू हुई थी। उस समय वे जनता पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने थे। हालांकि कम उम्र के कारण उन्हें अयोग्य ठहरा दिया गया था। लेकिन 1980 में उपचुनाव में वे भाजपा के टिकट पर जीत गए। इसके बाद 2000 और 2005 में भी वे भाजपा से ही जीते थे।

    2015 का चुनाव उनके लिए निराशाजनक रहा जब उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस हार के बाद भी वे अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे और जनता की सेवा करते रहे। लेकिन अब उन्होंने नया रास्ता चुना है।

     

    बिहार चुनाव पर पड़ने वाला प्रभाव

    जनार्दन यादव का यह फैसला आने वाले बिहार चुनाव पर गहरा असर डाल सकता है। अररिया में उनका मजबूत वोट बैंक है और यह जनसुराज को फायदा पहुंचा सकता है। भाजपा के लिए यह नुकसान की बात है क्योंकि एक अनुभवी नेता का साथ छूट गया है।

    प्रशांत किशोर की रणनीति साफ दिख रही है। वे पुराने और अनुभवी नेताओं को अपने साथ जोड़कर जनसुराज को मजबूत बना रहे हैं। यह बदलाव बिहार की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है और चुनावी परिणामों को प्रभावित कर सकता है।

    जनार्दन यादव का जनसुराज में जाना क्या दर्शाता है?

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