बिहार में विधानसभा चुनाव की हलचलें अब तेज़ हो गई हैं। चुनाव आयोग ने बिहार सरकार को निर्देश दिया है कि राज्य में सभी जरूरी ट्रांसफर-पोस्टिंग की प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाए। निर्वाचन आयोग ने इस बाबत बिहार के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव से पहले किसी भी तरह की प्रशासनिक अड़चन न रहे। बिहार चुनाव को लेकर आम जनता के मन में अब यह सवाल उठ रहा है कि चुनाव की तारीखों का ऐलान आखिर कब होगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त के बिहार दौरे की तैयारी तेज
खबर है कि मुख्य चुनाव आयुक्त 6 अक्टूबर के आसपास बिहार का दौरा करने वाले हैं। इस दौरे से पहले आयोग चाहता है कि राज्य में अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग की सभी गतिविधियां समाप्त हो जाएं। इसका सीधा मतलब है कि बिहार चुनाव का शंखनाद मुख्य चुनाव आयुक्त की यात्रा के बाद कभी भी हो सकता है।
निर्वाचन आयोग ने क्या लिखा है पत्र में
आयोग ने पत्र में साफ लिखा है कि राज्य में चुनाव की निष्पक्षता बनाये रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों और नियुक्तियों का काम जल्द निपटा लिया जाए। इस निर्देश के पीछे आयोग की मंशा है कि चुनाव के दौरान कोई भी अधिकारी राजनीतिक दबाव में न आए। बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया पारदर्शी और स्वतंत्र रहे, इसके लिए आयोग हर कदम पर सतर्कता बरत रहा है।
आखिर क्यों जरूरी थी ट्रांसफर-पोस्टिंग की प्रक्रिया पूरी करना
हर चुनाव से पहले आयोग राज्य सरकारों को आदेश देता है कि जिलों, थानों और महत्वपूर्ण पदों पर लंबे समय से कार्यरत अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया जाए। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि चुनाव में किसी भी तरह की पक्षपात या गड़बड़ी की संभावना न रहे। बिहार चुनाव के मद्देनजर भी यह कदम उठाया गया है ताकि प्रशासन निष्पक्ष रह सके।
क्या 6 अक्टूबर के बाद आएगा बड़ा ऐलान?
अब तक के संकेतों से यही लगता है कि 6 अक्टूबर के बाद ही बिहार चुनाव आयोग चुनाव की तारीखों को लेकर बड़ा ऐलान कर सकता है। आमतौर पर मुख्य चुनाव आयुक्त की राज्य यात्रा के बाद ही तारीखों की घोषणा होती रही है। ऐसी स्थिति में राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी और तेज कर दी है। चुनावी माहौल हर दिन गर्म होता जा रहा है।
हर जिले में बढ़ेगी हलचल, प्रशासन सतर्क
सभी जिलों और प्रशासनिक अधिकारी अब पूरी तरह चुस्ती में आ गए हैं। जैसे-जैसे 6 अक्टूबर नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे प्रशासनिक तैयारियों में तेजी देखी जा रही है। जिला निर्वाचन अधिकारियों को विशेष सतर्कता बरतने और चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप देने को कहा गया है। बिहार चुनाव अब जनता के बीच चर्चा का सबसे बड़ा विषय बन गया है।
चुनाव आयोग के फैसलों से बढ़ा भरोसा
निर्वाचन आयोग के ताजा फैसलों से जनता का भरोसा फिर जगा है। आयोग बार-बार यह जता रहा है कि वह राज्य में निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए पूरी तरह कटिबद्ध है। ट्रांसफर-पोस्टिंग के आदेश से भी यह साफ हो गया है कि आयोग किसी तरह की लापरवाही या दबाव बर्दाश्त नहीं करेगा। बिहार चुनाव इस बार नई पारदर्शिता के साथ संपन्न होने की उम्मीद है।
राजनीतिक गलियारों में बढ़ी सरगर्मी
जैसे-जैसे तारीखों के ऐलान की घड़ी नजदीक आ रही है, राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो चुकी है। हर पार्टी, नेता और समूह ने अपनी-अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। चुनावी अभियान को लेकर मशविरा चल रहा है और वोटरों को लुभाने के लिए नए वादों की बारिश होने वाली है। बिहार चुनाव आगामी कुछ दिनों में नया मोड़ लेने वाला है।
जनता की नजर आयोग पर
अब आम लोगों की निगाहें मुख्य चुनाव आयुक्त की यात्रा और आयोग के फैसलों पर टिकी हुई हैं। सबको यह जानने की उम्मीद है कि कब चुनाव की तारीखें घोषित होंगी और कौन-सी पार्टी जीत की ओर बढ़ेगी। बिहार चुनाव ने राज्य में अब उत्सुकता का माहौल बना दिया है।
अभी क्या करना बाकी है
आयोग के निर्देश के अनुसार, प्रशासन को अपने स्तर पर सभी जरूरी तैयारियां पूरी करनी होंगी। बिहार चुनाव के दौरान हर बूथ पर व्यवस्था मजबूत करने, जरूरी संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और सुरक्षित चुनाव संपन्न कराने की जिम्मेदारी उठानी होगी। यह काम अब अंतिम दौर में है।
अंत में यही है बड़ी बात
6 अक्टूबर के बाद ही बिहार चुनाव में सबसे बड़ा ऐलान हो सकता है। चुनाव आयोग के आदेशों से यह साफ है कि इस बार चुनावी प्रक्रिया में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। अब राज्यवासी उम्मीद के साथ चुनाव की तारीखों के ऐलान का इंतजार कर रहे हैं।
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बिहार चुनाव कब होने चाहिए?
Saurabh Jha
नाम है सौरभ झा, रिपोर्टर हूँ GCShorts.com में। इंडिया की राजनीति, आम लोगों के झमेले, टेक या बिज़नेस सब पर नजर रहती है मेरी। मेरा स्टाइल? फटाफट, सटीक अपडेट्स, सिंपल एक्सप्लेनर्स और फैक्ट-चेक में पूरा भरोसा। आप तक खबर पहुंचे, वो भी बिना घुमा-फिरा के, यही मकसद है।