बिहार चुनाव 2025: नामांकन के बाद भोरे सीट से महागठबंधन प्रत्याशी जितेंद्र पासवान गिरफ्तार, सियासत में मचा तूफान
शाम ढल रही थी, भोरे के बाजार में चुनावी गर्मी थी। समर्थक नारे लगा रहे थे, जुलूस आगे बढ़ रहा था। तभी अचानक माहौल बदल गया। पुलिस की गाड़ी आई और जितेंद्र पासवान को रोक दिया गया। लोग पहले तो सोच में पड़ गए – ये मज़ाक है या सच? पर अगले पल सबने देखा, नेता को गिरफ्तार कर लिया गया। हवा जैसे रुक सी गई थी।
नामांकन के बाद गिरफ्तारी, सबका ध्यान खींचा
बुधवार को बिहार चुनाव 2025 के नामांकन के दौरान भोरे सीट पर भीड़ सामान्य से ज्यादा थी। पासवान अपने समर्थकों के झुंड के बीच पहुंचे। चेहरे पर आत्मविश्वास था। लेकिन जैसे ही हस्ताक्षर पूरे हुए, पुलिस ने कदम बढ़ा दिया। अधिकारी बोले, “सर, हमारे पास वारंट है।” पासवान ने कुछ कहने की कोशिश की, पर बात पूरी नहीं हो सकी। गिरफ्तारी की खबर ने जैसे आग की तरह फैल गई।
2017 के पुराने केस से जुड़ा मामला
पुलिस का कहना है कि 2017 में जितेंद्र पासवान के खिलाफ एक मामला दर्ज हुआ था। उस वक्त राजनैतिक आंदोलन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा था। मामला चलता रहा, लेकिन पासवान अदालत में पेश नहीं हुए। अब वॉरंट निकल गया था। पुलिस ने कहा — “यह कार्रवाई कानून के तहत की गई है, इसमें राजनीति नहीं।” पर जनता की राय कुछ अलग थी।
भोरे में हंगामा, लोगों ने पुलिस पर सवाल उठाए
गांव में खबर पहुंचते देर नहीं लगी। भीड़ बढ़ी, नाराजगी भी। समर्थक बोले — “चुनाव के वक्त ही क्यों?” स्टेशन रोड पर कुछ देर तक नारेबाजी चली। दुकानदारों ने अपनी दुकाने बंद कर दीं। पुराने लोग बोले, “कानून को भी वक्त देखना चाहिए।” भोरे में पहली बार ऐसा माहौल दिखा जहाँ चुनाव से ज़्यादा गिरफ्तारी चर्चा में थी।
महागठबंधन ने बताया राजनीतिक साजिश
भाकपा माले ने इसे साजिश कहा। पार्टी प्रवक्ता बोले, “जितेंद्र पासवान को जानबूझ कर निशाना बनाया गया है।” उन्होंने कहा कि विपक्ष ताकत नहीं झेल पा रहा, इसलिए न्याय का मुखौटा पहनकर राजनीतिक खेल खेला जा रहा है। महागठबंधन के कार्यकर्ताओं की बैठक देर रात हुई। सब तय कर रहे थे कि अब रणनीति क्या होगी।
पुलिस का बयान – सब कानूनी है
दूसरी तरफ पुलिस सख्त रुख में थी। अधिकारियों ने बताया कि गिरफ्तारी पूरी तरह अदालत के आदेश के बाद हुई है। “हम अपना काम कर रहे हैं, राजनीति हमें नहीं छूती,” एक अधिकारी ने कहा। वहीं स्थानीय लोग बोल रहे थे कि मामला कितना पुराना था, ये याद तक नहीं था। सब हैरान कि इतना पुराना केस अचानक कैसे बाहर आया।
थाने के बाहर समर्थकों का विरोध
गिरफ्तारी के बाद सैकड़ों समर्थक थाने के बाहर जमा हुए। कोई चिल्ला रहा था, कोई बस खड़ा था, आंखों में गुस्सा था। पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। थोड़ी देर में माहौल काबू में आया, पर नारे अब भी चल रहे थे। “नेता जी को छोड़ो... नेता जी को छोड़ो...” आवाज़ देर रात तक गूंजती रही।
चुनाव आयोग ने ली रिपोर्ट
यह मामला अब चुनाव आयोग तक पहुंच गया है। बिहार चुनाव 2025 के तहत किसी प्रत्याशी की गिरफ्तारी जैसी घटना दुर्लभ है। आयोग ने जिला प्रशासन से पूरी रिपोर्ट मांगी है। अंदर की खबर है कि भोरे सीट पर अब माहौल पूरी तरह बदल गया है। विपक्षी दल भी इस घटना को अपने प्रचार में जोड़ने की तैयारी कर चुके हैं।
भोरे सीट पर नया समीकरण
भोरे का चुनाव मुकाबला पहले भी रोचक था। अब पासवान की गिरफ्तारी ने इसे और पेचीदा बना दिया। एक स्थानीय नेता ने कहा, “अब ये सिर्फ वोट की लड़ाई नहीं रही, भावनाओं की लड़ाई हो गई है।” वहीं एनडीए के नेता बोले, “कानून ने जो किया वो सही किया।” सियासत अब और तेज होने वाली है।
स्थानीय जनता का मत – भ्रम और बहस
हर गली में बहस है। एक ओर लोग कह रहे हैं “कानून अपना काम कर रहा,” दूसरी ओर सवाल उठ रहे हैं “क्या वक्त सही है?” एक चायवाले ने कहा, “चुनाव में अब हर तरह का ड्रामा होता है।” उसकी हंसी में व्यंग था। भोरे की हवा अब गहरी है — राजनीति और कानून दोनों आमने-सामने हैं।
भाकपा माले की अगली चाल
पार्टी ने बयान जारी किया कि वे कानून का सामना करेंगे, भागेंगे नहीं। “पासवान की उम्मीदवारी वापस नहीं होगी,” उन्होंने कहा। पर अंदर की बात यह है कि अगर उन्हें अदालत से राहत नहीं मिली तो पार्टी किसी नए नाम पर विचार कर सकती है। इस बीच प्रचार जारी है — “असली संघर्ष यही है।” पोस्टर बदल गए हैं लेकिन नारे वही हैं।
नतीजा – सियासत ने फिर दिखाया अपना असली चेहरा
कुल मिलाकर बिहार चुनाव 2025 में यह घटना एक नया मोड़ है। हर जगह चर्चा है। क्या कानून ने सही किया या राजनीति ने मौका पकड़ा? जनता देख रही है। जितेंद्र पासवान भले हिरासत में हों, पर उनका नाम अब जनता की याद में बस गया है। अगले कुछ दिन तय करेंगे कि यह मामला चुनाव जीत का कारण बनेगा या बाकी शोर में खो जाएगा।