बिहार चुनाव 2025: बीजेपी ने पहली लिस्ट में 15 राजपूत, 11 भूमिहार, 7 ब्राह्मण, 9 वैश्य और 5 यादव उम्मीदवारों को जगह दी
चुनावी बिसात बिछ चुकी है। बीजेपी ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है। और यह लिस्ट खास है। 15 राजपूत, जो कि बिहार के प्रमुख समुदायों में से एक हैं, को इसमें सबसे ज्यादा स्थान मिला है। ऐसा क्यों? आओ समझते हैं।
राजपूतों का भारी पकड़ वाला वर्ग
राजपूत बिहार में बड़े प्रभाव वाले वोटर समूह हैं। 15 उम्मीदवारों की महाराष्ट्र में देश की सबसे बड़ी संख्या के साथ, पार्टी ने इसकी ताकत महसूस की है। यह रणनीति जानबूझकर बनाई गई है ताकि इस वर्ग के समर्थक पार्टी से जुड़े रहें।
भूमिहार और ब्राह्मण के उम्मीदवारों की भूमिका
11 भूमिहार और 7 ब्राह्मण उम्मीदवारों को जगह देना पार्टी के लिए एक बड़ा कदम है। इन जातियों का राजनीतिक महत्व बिहार में बहुत ज्यादा है। ये जातियां पिछले कई दशक से सत्ता की दुहाई देती हैं। बीजेपी चाहती है कि उनका वोट बैंक मजबूत बने।
वैश्य वर्ग की ताकत और वोटर सपोर्ट
वैश्य समाज को इस लिस्ट में खास महत्व मिला है। 9 वैश्य उम्मीदवारों का चयन इस बात का सबूत है कि पार्टी ने आर्थिक रूप से प्रभावशाली वर्ग को नजरअंदाज नहीं किया। ये उम्मीदवार बिहार के व्यापारी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यादव वोट बैंक पर नजर
5 यादव उम्मीदवार नामांकन में हैं। यादव बिहार की राजनीति के प्रमुख हिस्से हैं। पार्टी चाहती है उनको भी भरोसे में रखें। हालांकि यह संख्या थोड़ी कम लग सकती है पर इसका अपना राजनीतिक कारण है। यह दिखाता है कि बीजेपी ने चुनाव की रणनीति बड़े ही सोच-समझकर तैयार की है।
जातीय समीकरण पर पार्टी की पकड़
जातीय वोटर का बिहार में महत्व हम सभी जानते हैं। बीजेपी ने सामाजिक समीकरण की गुंजाइश को भरपूर समझा है। यह लिस्ट इस बात को जाहिर करती है कि पार्टी बिहार के हर वर्ग को ध्यान में रखकर काम कर रही है। यह सिर्फ चुनाव नहीं, रणनीति का खेल है।
राजनीतिक विश्लेषण और आगामी मुकाबले
यह पहली लिस्ट आने के बाद बिहार की राजनीति और ज्यादा गरमा गई है। विपक्षी दलों ने इसे चुनावी तिकड़म बताया जबकि बीजेपी समर्थक इसे जीत की पहली सीढ़ी। अब देखना होगा कि आगे की सूचियां क्या रंग दिखाती हैं और कैसे उम्मीदवार चयन प्रक्रिया आगे बढ़ती है।
मतदाता और अपेक्षाएं
बिहार के मतदाता जानते हैं कि जातीय समीकरण पर दांव लगाना कितना जरूरी है। वे सावधान हैं, बदलाव चाहते हैं। यह लिस्ट उन्हें नई उम्मीद भी देती है और पुराने सवाल भी उठाती है। बिहार की राजनीति इस बार कुछ अलग ही रंग लाएगी।