बिहार चुनाव 2025: बक्सर के युवाओं की कोचिंग और शिक्षा पर चल रही चर्चाएं
अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' बक्सर पहुंचा, युवाओं से आमना-सामना
रविवार की सुबह थी। बक्सर की गलियों में हलचल थी। अमर उजाला का चुनावी रथ 'सत्ता का संग्राम' पहुंचा, और बक्सर के युवाओं से मिला। उन्हें सुनना था, समझना था कि वे क्या चाहते हैं। कोचिंग संस्थान, शिक्षा व्यवस्था और रोजगार। ये मुद्दे उनके जहन में घूम रहे हैं। कुछ बातें सीधे दिल से निकली, कुछ उम्मीदों के साथ। अच्छा लगा सुनकर।
कोचिंग और शिक्षा को लेकर युवाओं की नब्ज टटोली गई
कोचिंग क्लास को लेकर युवाओं की राय मिली-जुली थी। कहीं कुछ बेहतर था, तो कई ने शिकायतें कीं। सरकारी और निजी दोनों तरह की पढ़ाई में सुधार की गुंजाइश देखी जा रही थी। कुछ ने कहा कि सही मार्गदर्शन नहीं मिलता, तो कुछ ने बेहतर संसाधन की मांग की। युवा चाहते हैं कि पढ़ाई में नया जोश आए, रोजगार के रास्ते खुलें।
युवा कहते हैं, शिक्षा और रोजगार में सुधार होना चाहिए
युवाओं की आवाज़ साफ थी: बेहतर शिक्षा चाहिए। रोजगार के ज्यादा अवसर चाहिए। पढ़ाई का मकसद कामयाबी ताकि परिवार की मदद कर सकें, बेहतर जिंदगी बना सकें। कई ने बताया कि शिक्षा का मतलब केवल डिग्री नहीं, बल्कि सही दिशा में मेहनत करना है। यह रंग मानव कहानी सा था। सपने थे, उम्मीदें भरी। लेकिन हकीकत कुछ अलग दिखी।
मतदाता बनने से पहले सवाल करते हैं, क्या होगा बक्सर और बिहार का भविष्य?
युवा सोचते हैं, वोट देना सिर्फ कागज पर नाम लिखवाना नहीं। ये उनकी आवाज़ है, उनकी बदलाव की चाहत। वे पूछते हैं, नई सरकार क्या करेगी? क्या रोजगार बढ़ेगा? क्या स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी? ये सवाल उनके मन में गूंजते हैं। वे बदलाव के लिए तैयार हैं, पर अपनी उम्मीदों को भी लेकर सतर्क हैं।
सत्ता का संग्राम अभियान के माध्यम से आम जनता की समस्याएं सामने आ रही हैं
यह अभियान सिर्फ चुनाव की तैयारी नहीं, बल्कि जनता की सच्चाई सामने लाने का जरिया भी है। बक्सर के मतदाता भी इसकी अहमियत समझते हैं। वे खुलकर बात कर रहे हैं, अपनी समस्याओं की चर्चा कर रहे हैं। शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य जैसी बड़ी चिंताएं हैं। यह संवाद सरकार के लिए भी एक संदेश है कि अब फर्क दिखाना होगा।
सपनों के साथ जमीनी हकीकत का मिलाजुला अनुभव
युवा अपने सपनों को लेकर उत्साहित भी हैं, और रणनीति तैयार भी। पर जमीन पर परेशानियां भी हैं। संसाधनों की कमी, सही कोचिंग न मिलना, स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव। ये उन चुनौतियों से जूझ रहे हैं जो उन्हें रोकती हैं। वे चाहते हैं कि न केवल चुनावी वक्तव्य, बल्कि असली काम हो। यही उनकी सबसे बड़ी मांग है।
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युवाओं की शिक्षा में मुख्य प्राथमिकता क्या हो?