बिहार चुनाव की टिकट जंग – "टिकट दिया तो जीत पक्की", छुटभैये नेताओं के दावों से बड़ी पार्टियों में मचा हड़कंप
चुनाव आता नहीं कि हवा बदल जाती है। बिहार में ऐसा ही हुआ है। बिहार चुनाव की तारीखें अभी ठीक से आई भी नहीं, और टिकट के लिए दौड़ शुरू हो गई। सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह आवाज़ गूंज रही है – “टिकट दिया तो जीत पक्की।” अब चाहे छोटा नेता हो या बड़ा चेहरा, इस जंग में कोई पीछे नहीं।
भागलपुर बना सबसे बड़ा केंद्र
भागलपुर ज़िले में इस बार माहौल कुछ और ही है। सात सीटें हैं, और हर सीट पर दावे। सुल्तानगंज, कहलगांव और नाथनगर – यही वो तीन जगह हैं जहां सबसे ज़्यादा हलचल है। कोई इलाके में चाय बांटता दिखा, तो कोई बैनर लगाता नज़र आया। सब कहते हैं, “जनता हमारे साथ है।” सच्चाई? शायद वही जो कैमरे में मुस्कान दिखा दे।
छोटे नेताओं का बड़ा जोश
हर गली में अब राजनीति है। छुटभैये नेताओं का जोश आसमान पर है। कोई बाइक रैली निकाल रहा है तो कोई फेसबुक लाइव में प्रचार कर रहा है। एक युवा कार्यकर्ता बोला, “अब जनता समझ चुकी है, हमें ही टिकट देना चाहिए।” आसपास के लोग हँस पड़े। बोले – कहना आसान है, पर टिकट पाना उतना नहीं।
बेटिंग, बहस और टिकट का तनाव
बड़े-बड़े नेताओं की रातों की नींद उड़ गई है। पार्टी दफ्तरों में भीड़ लगी है। फोन कॉल्स लगातार। कोई कहता है – हाईकमान से बात चल रही है। कोई दावा करता है – अगली बार पोस्टर पर मेरा ही चेहरा होगा। भागलपुर में एक सीनियर नेता मुस्कुराकर बोले, “पहले टिकट हम बाँटते थे, अब खुद मांगने की बारी है।” ये कहते हुए उन्होंने फाइल बंद कर ली।
सोशल मीडिया पर जंग
अब बिहार की राजनीति सिर्फ चौक-चौराहे की बात नहीं रही। हर उम्मीदवार के पास है – ट्विटर, फेसबुक और कैमरे का एंगल। “जनता का असली बेटा” और “आपका अपना नौकर” जैसे स्लोगन हर जगह छप रहे हैं। कोई वीडियो बना रहा है, कोई मीम बना रहा है। इस बार प्रचार की जंग डिजिटल है। टिकट की लड़ाई जितनी ज़मीन पर है, उतनी ही मोबाइल स्क्रीन पर भी।
बड़ी पार्टियों में बेचैनी
बीजेपी और जदयू में सिरदर्द बढ़ गया है। आरजेडी और कांग्रेस में भी हालत अलग नहीं। हर नेता चाहता है कि टिकट उसी को मिले। मज़ेदार बात ये है कि हर पार्टी का नेता कह रहा है – इस बार जनता हमारे साथ है। अलग-अलग पार्टी, एक जैसा भरोसा। पर टिकट हाथ में आने से पहले सब सपनों में ही जीत रहे हैं।
जनता का मूड भी तैयार
भागलपुर की गलियों में चाय की दुकानें अब राजनीतिक अड्डा बन गई हैं। पुराने लोग ताश खेलते हैं और नए लोग चर्चा करते हैं – “किसे मिलेगा टिकट?” एक चायवाले ने कहा, “बाबू, अब हर गली से उम्मीदवार निकलेगा, फिर वोट कौन देगा?” सब हँस पड़े। पर बात में सच्चाई थी। जनता तमाशा देख रही है, सबको पहचान रही है।
भावनाओं और दावों का संग्राम
हर उम्मीदवार अपने इलाके की कहानी सुनाता है — “मैं यहीं पैदा हुआ, जनता मुझसे प्यार करती है।” लेकिन सच्चाई ये है कि प्यार और जीत दो अलग बातें हैं। एक बूढ़े कार्यकर्ता ने कहा, “अब नेता सुबह जनता से मिलते हैं और शाम को टीवी एंकर से।” राजनीति अब शो बन चुकी है, और जनता उसकी दर्शक।
कहलगांव में दावेदारों की भीड़
कहलगांव सीट पर तो गजब माहौल है। यहां एक पार्टी से चार दावेदार। सबने पोस्टर छपवा लिया, कोई भी पीछे नहीं। एक ने कहा, “टिकट मुझे मिलेगा क्योंकि मेरा नाम जनता जानती है।” दूसरे ने तड़पकर बोला, “नाम नहीं, काम बोलता है।” तीसरे ने कैमरे की तरफ मुस्कराकर कहा, “दोनों में मैं ही हूं।” और बस, माहौल हल्का हो गया।
नाथनगर में मुकाबला टाइट
नाथनगर हमेशा से चुनावी हॉटस्पॉट रहा है। इस बार तो रिकॉर्ड तोड़ दावे हुए हैं। पुराने विधायक भी मैदान में हैं, और नये चेहरे भी। हर गली में बैनर चमक रहा है। एक जगह दीवार पर लिखा था – “टिकट उसके हिस्से आएगा जो जनता का सच्चा साथी।” शायद किसी समर्थक का विश्वास अब भी बाकी है।
असली जंग पार्टी दफ्तरों में
चुनावी मैदान में उतरने से पहले असली लड़ाई पार्टी दफ्तरों में चल रही है। दावेदारों की लाइनें लग रही हैं, कई लोग दिल्ली तक पहुंचे हैं। अब देखना यह है कि किसका फोन पहले बजता है। जैसे-जैसे नंबर पास आते हैं, सांसें भी वहीं अटकती हैं।
कुल मिलाकर माहौल गरम
ये बिहार है। यहां राजनीति उत्सव भी है और चुनौती भी। बिहार चुनाव हर बार कहानी लिखता है — इस बार भी कुछ अलग नहीं। फर्क बस इतना है कि अब हर दावेदार खुद को विजेता कह रहा है। टिकट मिला तो जीत पक्की, नहीं मिला तो बयान तैयार। यही बिहार की राजनीति की रफ्तार है – तेज, रोचक और थोड़ा थका देने वाली।
अंत में – जनता की परीक्षा बाकी
अब सबकी नजर जनता पर है। कौन पार्टी किसे टिकट देती है, यह अगले कुछ हफ्तों में साफ होगा। लेकिन ये तय है – दावेदारों के दावे चाहे जितने बड़े हों, असली फैसला अब भी जनता के हाथ में है। बात बस इतनी सी – दिलचस्प मुकाबला शुरू हो चुका है, और बिहार फिर सियासत के रंग में रंग गया है।