बिहार की राजनीति में एक बात तो पक्की है — यहां कभी भी कुछ भी हो सकता है। जिस नीतीश कुमार को कुछ महीने पहले ‘थका हुआ चेहरा’ कहा जा रहा था, वही अब फिर से सुर्खियों में हैं। Bihar Exit Poll 2025 ने जो तस्वीर दिखाई है, उसने खुद बीजेपी के दफ्तरों में मुस्कान और कांग्रेस के गलियारों में खामोशी ला दी है।
JDU का उभार और नीतीश की पुरानी सियासी चाल
नीतीश कुमार को आप चाहें तो “पॉलिटिकल इंजीनियर” कह लें — हर बार समीकरण बिगड़ता है, और वो नया रास्ता निकाल लेते हैं। इस बार भी कुछ वैसा ही दिखा। Exit Poll के आंकड़ों ने JDU को बीजेपी से आगे दिखाया है, और ये किसी के लिए छोटी बात नहीं है। खासकर तब, जब पिछले चुनाव में बीजेपी ने ज्यादा सीटें जीती थीं।
मुझे याद है, पटना में एक वरिष्ठ नेता ने कभी कहा था — “नीतीश को underestimate करना गलती है, वो चुप रहते हैं, लेकिन चाल लंबी होती है।” और यही बात इस बार फिर सही साबित होती दिख रही है।

बीजेपी की रणनीति ‘एग्जैक्ट’ क्यों लगी?
बीजेपी ने इस बार अपने पुराने तरीकों से हटकर जमीन पर काम किया। बिना ज्यादा शोर-शराबे के, उन्होंने booth level पर फीडबैक सिस्टम मजबूत किया। और जब Exit Poll के आंकड़े आए, तो पार्टी ने साफ कहा — “यह एग्जैक्ट है।” यानी भरोसा पूरा। पर सच्चाई ये भी है कि बीजेपी की नज़र सिर्फ गठबंधन पर नहीं, बल्कि post-poll power game पर भी है।
कांग्रेस की आवाज़ अब भी धीमी क्यों?
महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस नेताओं की जो प्रतिक्रियाएं आई हैं, वो ज्यादा डिफेंसिव लगीं। “रिजल्ट के बाद देख लेंगे” — यह वही लाइन है जो तब बोली जाती है जब हाथ में ठोस जवाब नहीं होते। बिहार में कांग्रेस हमेशा दूसरों की सवारी करती दिखी है, और ये बार-बार साबित होता है कि वहां उसका अपना वोट बेस अब बस किताबों में है।
नीतीश का 'वापसी कार्ड' काम कर गया?
एक और दिलचस्प बात — जनता नीतीश से नाराज़ होती है, लेकिन पूरी तरह छोड़ती भी नहीं। शायद बिहार का मतदाता उसे ‘स्थिरता का चेहरा’ मानता है। गांवों में बात करें तो लोग कहते हैं — “भई, बाकी सब तो बोलते हैं, काम नीतीश करता है।” यही perception इस बार फिर JDU के पक्ष में हवा बना रहा है।
राजनीति का असली खेल अब शुरू होगा
Exit Poll के बाद असली खेल अब शुरू होता है — जोड़-तोड़, समर्थन, बयानबाज़ी और सत्ता की खींचतान। बिहार में कोई भी नतीजा ‘फाइनल’ नहीं होता जब तक काउंटिंग पूरी न हो जाए। और नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है — वो आखिरी मिनट तक equation पलटने का हुनर रखते हैं।
मुझे बस इतना लगता है कि इस बार बिहार की कहानी में suspense बाकी है। जो दिख रहा है, वो पूरा सच नहीं। और जो छिपा है, वो शायद 10 बजे वाली काउंटिंग में सामने आएगा।


