Bihar : में पति ने जमीन बेचकर पढ़ाया था लेकिन पत्नी की नौकरी लगते ही छोड़ दिया अपने पति और बच्चों को

बिहार में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है जहां खुशबू नाम की महिला होमगार्ड बनने के बाद अपने पति और बच्चों को छोड़कर चली गई। परिवार ने उसकी पढ़ाई के लिए अपनी जमीन तक बेच दी थी। पति ने हर संभव मदद की थी। लेकिन नौकरी लगते ही खुशबू ने सबको छोड़ दिया। यह मामला यूपी के ज्योति मौर्या केस से मिलता जुलता है।

Bihar : में पति ने जमीन बेचकर पढ़ाया था लेकिन पत्नी की नौकरी लगते ही छोड़ दिया अपने पति और बच्चों को

बिहार प्रदेश के एक छोटे से गांव से आई खुशबू की चर्चा इन दिनों हर जगह हो रही है। वजह है उनकी ज़िंदगी में आया बड़ा बदलाव। होमगार्ड बनने के बाद खुशबू ने अपना घर, पति और बच्चे सबको छोड़ दिया। खबरें बताती हैं कि इस मामले को लोग ज्योति मौर्या केस की तरह ही देख रहे हैं, जिसमें महिला ने पति की मेहनत के बाद खुद को आगे बढ़ाया और फिर परिवार को छोड़ दिया था।

 

पढ़ाई के लिए परिवार ने बेची थी पूरी जमीन

खुशबू का परिवार कभी आर्थिक तंगी में रहा। खुशबू के पिता और पति ने उसकी पढ़ाई के लिए अपनी सारी जमीन तक बेच दी थी। हर कोई चाहता था कि खुशबू आगे बढ़े और जिंदगी में कुछ बड़ा करे। परिवार ने अपने खुद के सपनों को त्यागकर खुशबू को पढ़ाया, ताकि वह एक दिन अपनी पहचान बना सके।

 

होमगार्ड बनने के बाद बदलाव आया

जब खुशबू होमगार्ड बनी तो परिवार को लगा कि उनका सपना पूरा हो गया। लेकिन धीरे-धीरे खुशबू का व्यवहार बदलने लगा। वह अपने पति और बच्चों से दूर होती गई। उनके माता-पिता और पति ने बार-बार समझाया, लेकिन खुशबू ने सबकी बातों को नजरअंदाज किया और अपने फैसलों पर अड़ गई। अंत में खुशबू ने अपने पति और बच्चों को छोड़ने का फैसला कर लिया।

 

घर छोड़कर खुशबू ने क्या कहा?

जब खुशबू से बात की गई, तो उसने साफ कह दिया कि वह अब अपने फैसलों में परिवार को शामिल नहीं करना चाहती। खुशबू ने बताया कि होमगार्ड बनने के बाद उसकी सोच बदल गई है और वह अपनी जिंदगी खुद के हिसाब से जीना चाहती है। परिवार को छोड़ना उसके लिए आसान नहीं था, लेकिन खुशबू का कहना है कि वह अब पूरी तरह अपने काम में ध्यान देना चाहती है।

 

पति और परिवार की भावनाओं पर क्या असर पड़ा?

खुशबू के पति ने मीडिया को बताया कि उन्होंने अपनी पत्नी की सफलता के लिए सबकुछ दांव पर लगा दिया था। बच्चों की पढ़ाई और परिवार की जरूरतों के लिए भी उन्होंने समझौते किए, मगर खुशबू ने सबकुछ छोड़ दिया। परिवार के लोग आज भी खुशबू के लौटने का इंतजार कर रहे हैं।

 

गांव में चर्चा और लोगों की राय

खुशबू का मामला अब पूरे गांव में चर्चा की वजह बना हुआ है। लोग कह रहे हैं कि पढ़ाई के बाद नौकरी लगने पर बदल जाना ठीक नहीं है। गांव की बुजुर्ग महिलाएं कहती हैं, “आज की लड़कियां पढ़ तो लेती हैं, मगर जिम्मेदारियों से भागना अच्छा नहीं।” कुछ लोग खुशबू के फैसले को सही मानते हैं, पर ज्यादा लोग परिवार की पीड़ा महसूस कर रहे हैं।

 

ज्योति मौर्या केस से तुलना क्यों?

यूपी की ज्योति मौर्या का मामला भी बहुत चर्चा में रहा था। वहां भी महिला ने पढ़ाई और नौकरी के बाद अपने पति को छोड़ दिया था। उस केस के बाद अब बिहार में खुशबू का मामला चर्चा में आ गया है। लोगों का कहना है कि महिलाओं को अधिकार तो मिलना चाहिए, लेकिन परिवार की भावनाओं का भी ध्यान रखना जरूरी है।

 

होमगार्ड की नौकरी और महिलाओं की बदली सोच

आजकल महिलाओं के लिए होमगार्ड जैसी सरकारी नौकरी बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। बहनों को स्वतंत्रता की ओर आगे बढ़ते देखना अच्छा लगता है। मगर कई बार बढ़ती जिम्मेदारियां और नए विचार उनके रिश्तों पर असर डालते हैं। खुशबू के केस में ये बदलाव साफ देखा जा सकता है।

 

क्या हो सकती है खुशबू की आगे की राह?

खुशबू ने होमगार्ड बनकर अपने अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया था। लेकिन परिवार से रिश्ता टूटने के बाद आगे उसकी राह कैसी होगी, यह कोई नहीं जानता। गांव के लोग चर्चा कर रहे हैं कि खुशबू कभी न कभी अपने फैसले पर सोचेंगी और हो सकता है वापस लौट आएं।

 

समाज की नजर में खुशबू का मामला

ग्रामीण समाज में ऐसी घटनाएं कम ही होती हैं। जब भी कोई महिला पढ़-लिखकर आगे बढ़ती है, तो उसकी कामयाबी का जश्न मनाया जाता है। मगर खुशबू के मामले ने रिश्तों और भावनाओं के सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग सोचने पर मजबूर हैं कि बदलते समय में नौकरी और परिवार साथ कैसे चले?

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