बिहार की व्यापक कृषि ताकत : मखाना-लीची से बढ़कर देश के टॉप फसल उत्पादक के रूप में बिहार की कहानी
बिहार की व्यापक कृषि ताकत सिर्फ मखाना-लीची तक सीमित नहीं। यह राज्य धान, गेहूं, आलू, जूट, और गन्ना जैसी कई फसलों में देश में शीर्ष स्थान रखता है। ये सभी फसलें मिलकर बिहार को एक मजबूत कृषि बादशाह बनाती हैं जो देश की खाद्य सुरक्षा में बड़ी भूमिका निभाती हैं।
मखाना-लीची ही नहीं, बिहार कृषि में भी बादशाह है, जानिए शीर्ष फसलें
बिहार की खेती की कहानी सिर्फ मखाना और लीची तक ही सीमित नहीं है
कहानी बड़ी दिलचस्प है। बिहार में मखाना और लीची की चर्चा बहुत होती है, ठीक है, वो सच में खास हैं। लेकिन असली मज़ा तो तब आता है जब पता चले कि बिहार ने देश के कई बड़े खेलों में नंबर वन, नंबर दो या तीन का दर्जा हासिल कर रखा है। ये बात लोग कम जानते हैं।
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धान और गेहूं में बिहार ने दिखाया कमाल
आप सोचेंगे कि धान तो सब जगह उगाते हैं, लेकिन बिहार में धान की पैदावार इतनी बढ़ी है कि पूरे देश में बिहार एक ताकत बनकर उभरा है। ठीक वैसे ही गेहूं में भी। पिछले साल तो इन दोनों फसलों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई। किसानों ने खूब मेहनत की और जमीन ने भी खूब साथ दिया।
मशरूम और सिंघाड़ा जैसे फसलें बताते हैं बिहार की विविधता
बिहार की मिट्टी में सिर्फ अनाज नहीं बल्कि मशरूम और सिंघाड़ा भी खूब उगता है। मशरूम जिनके लिए बिहार नंबर वन का दर्जा पा चुका है। सिंघाड़ा की खेती यहाँ बड़ी होती है और यह राज्य के किसानों के लिए कमा-धमाके वाली फसलों में से एक है।
आलू में तीसरा नंबर, गन्ना और जूट से भरपूर है बिहार का खेत
आलू की बात करें तो बिहार ने देश में तीसरा स्थान सिपो किया है। गन्ना और जूट भी बिहार की नींव को मजबूत करते हैं। बाकी राज्यों से अलग, बिहार की ये नकदी फसलें किसानों की जेब में पैसा लाने का जरिया हैं।
किसानों की मेहनत और राज्य की नीतियाँ बनाती हैं बिहार को एग्री पॉवरहाउस
कहानी का अहम हिस्सा ये है कि बिहार की मिट्टी उपजाऊ है और किसान भी बढ़िया काम कर रहे हैं। सरकार की योजनाएं भी इन्हें मजबूत करती हैं। इस वजह से बिहार खेती के क्षेत्र में अपना मुकाम बनाता जा रहा है।
फसलों की फरमाइश ने बिहार को देश का कृषि बादशाह बनाया
जब कोई बात होती है खेती की, तो बिहार का नाम बड़ी आराम से आता है। मखाना-लीची के बाद भी, धान, गेहूं, आलू, मशरूम, सिंघाड़ा, जूट और गन्ना की फसलें बिहार को असल में देश के खेतों का बादशाह बनाती हैं। यही वजह है कि यहाँ की खेती हर साल बेहतर होती जा रही है।
अंत में यह कहा जा सकता है कि बिहार की कृषि विविधता ही इसकी ताकत है
जो बिहार के खेत हैं, उनका रंग भी रंगीन है। मखाना-लीची की चमक तो है ही, लेकिन उसके साथ-साथ ये दूसरी फसलें भी इस राज्य की पहचान बन चुकी हैं। खेती के ये सारे पहलू बिहार को देश में एक अलग मुकाम देते हैं। इसलिए, अगली बार जब कोई मखाना या लीची की तारीफ करे, तो इसे भी याद रखें कि बिहार कई और फसलों का बादशाह भी है।
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