बिहार NDA में सीट बंटवारे की कहानी किसी लंबी सीरियल से कम नहीं। जदयू 105 सीटों पर अड़ी है, बीजेपी पर बाकी गठबंधन को ‘समझाने’ की जिम्मेदारी है, और चिराग पासवान की नाराज़गी अब ट्विटर से निकलकर बैठकों में पहुंच चुकी है।
बिहार की सियासत में इन दिनों जो सबसे हॉट टॉपिक है, वो ना तो कोई घोटाला है, ना चुनावी रैली—बल्कि सीट बंटवारे का झमेला। एनडीए के अंदर सब पार्टियां अपनी-अपनी गिनती लेकर घूम रही हैं, जैसे किसी बारात में सब अपनी थाली अलग मांग रहे हों। जदयू को चाहिए पूरे 105 सीटें, जबकि बीजेपी ने कहा है कि “भाई, बाकी जो बची 138 सीटें हैं, उन्हें हम संभाल लेंगे।”
बीजेपी की परेशानी बढ़ी: चिराग को 25 सीटें पसंद नहीं, मांझी 15 मांग रहे हैं, और कुशवाहा बोले — “मेरा नंबर भी आएगा!”
सीटों के बंटवारे पर बातचीत इतनी गंभीर हो गई है कि अब यह सिर्फ चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि ईगो का मुद्दा बन गई है। चिराग पासवान को बीजेपी की ओर से 25 सीटों का ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने ठंडे लहजे में कहा, “अभी विचार चल रहा है।” मतलब साफ है—चिराग खुश नहीं हैं। दूसरी ओर, जितन राम मांझी की पार्टी 15 सीटें चाहती है, और उपेंद्र कुशवाहा 24 सीटों की सूची लेकर बीजेपी के दफ्तर पहुंच चुके हैं।
बीजेपी अब खुद को बिचौलिया से ज़्यादा ‘काउंसलर’ की भूमिका में देख रही है। नित्यानंद राय को अब चिराग से लेकर कुशवाहा तक सबको मनाने की जिम्मेदारी मिल गई है। रिपोर्ट्स कहती हैं कि हाल ही में राय और चिराग की मीटिंग में मुस्कानें ज़रूर दिखीं, लेकिन नंबर नहीं।
राजनीति के गणित में अटका एनडीए: जब हर कोई “थोड़ा ज़्यादा” चाहता है, और कोई “थोड़ा कम” देने को तैयार नहीं
एनडीए के इस सीट शेयरिंग ड्रामे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि हर दल अपने पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से नहीं, बल्कि “इस बार ज़्यादा हक़” की सोच के साथ बैठा है। जदयू साफ कह चुका है कि उसके उम्मीदवार 105 सीटों पर ही उतरेंगे, चाहे बाकी दलों को कितनी भी परेशानी क्यों न हो।
बीजेपी के लिए यह स्थिति थोड़ी ‘डैम इफ यू डू, डैम इफ यू डोंट’ जैसी बन चुकी है। अगर वह जदयू के सामने झुकती है, तो छोटे सहयोगी नाराज़। और अगर छोटे दलों को खुश करे, तो जदयू का चेहरा उतर जाता है। कुल मिलाकर मामला एकदम फिल्मी है—“एक सीट के बदले तीन नाराज़।”
चिराग पासवान: “हम सहयोगी हैं, पर सजावटी नहीं” — उनका गुस्सा अब हर मंच पर नजर आने लगा है
चिराग पासवान का मामला इस गठबंधन में सबसे दिलचस्प है। पिछले चुनावों में एनडीए से दूरी बनाने के बाद अब वे वापस आए हैं, लेकिन इस बार चाहते हैं कि उनकी पार्टी को वही सम्मान मिले जो पहले उनके पिता रामविलास पासवान के वक्त था। बीजेपी ने उन्हें 25 सीटों का प्रस्ताव दिया, लेकिन चिराग ने कहा—“यह सम्मानजनक नहीं।”
लोजपा (रामविलास) के सूत्रों के मुताबिक, वे 35 से 40 सीटों की मांग पर अड़े हैं। और अब जब सोशल मीडिया पर “चिराग इज बैक” ट्रेंड करने लगा है, तो बीजेपी को समझ आ गया है कि यह मामला सिर्फ सीटों का नहीं, इमेज का भी है।
मांझी और कुशवाहा: साइलेंट मोड में चल रही सियासी गिनती, लेकिन दोनों की आंखें भी 20+ सीटों पर टिकी हैं
जितन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा ने 15 सीटों की डिमांड रखी है। वहीं उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी—राष्ट्रीय लोक मोर्चा—ने 24 सीटों की लिस्ट सौंप दी है। दिलचस्प बात ये है कि कुशवाहा को 2015 में 23 सीटें मिली थीं, तो इस बार वे कह रहे हैं, “एक सीट तो बढ़ती है न भाई!”
बीजेपी नेताओं का कहना है कि कुशवाहा से डील आसान होगी, लेकिन मांझी और चिराग के मामले में “दिल से ज्यादा दिमाग” लगाना पड़ेगा। यानी अब सबकी निगाहें बीजेपी के अगले कदम पर टिकी हैं।
अंदर की बात: बीजेपी को करना है संतुलन, क्योंकि जदयू का ‘105 सीट वाला कार्ड’ सबकी गणना बिगाड़ रहा है
जदयू का रुख साफ है—105 सीटें चाहिएं ही चाहिएं। नीतीश कुमार का फॉर्मूला सीधा है, “हम बड़े भाई हैं, बाकियों को एडजस्ट करना होगा।” बीजेपी के पास अब बाकी 138 सीटें बचती हैं, जिसमें उसे खुद के उम्मीदवार भी उतारने हैं और तीन छोटे दलों को भी समायोजित करना है। आसान शब्दों में कहें तो यह गणित बिहार बोर्ड के मैथ्स से भी कठिन होता जा रहा है।
फिलहाल, सबकी नज़र अगली बैठक पर है, जहां “कौन कितनी सीट ले जाएगा” का खेल खत्म हो सकता है। लेकिन राजनीति है, यहां कब कौन पलट जाए, इसका अंदाज़ा किसी एग्जिट पोल को भी नहीं होता।
Bottom Line: बिहार की सीट शेयरिंग राजनीति अब क्रिकेट के मैच जैसी हो गई है — हर कोई चाहता है स्ट्राइक, लेकिन विकेट सिर्फ 243 ही हैं!
बिहार NDA में सीट बंटवारे की जंग अभी खत्म नहीं हुई है। चिराग की नाराज़गी, कुशवाहा की उम्मीदें और मांझी का इंतज़ार—तीनों बीजेपी के सामने सिरदर्द बन चुके हैं। अब देखना यह है कि बीजेपी इस सियासी गणित को कैसे सुलझाती है—क्योंकि एक छोटी गलती भी पूरे ‘एलायंस इक्वेशन’ को पलट सकती है।