वोट अधिकार यात्रा से बिहार में गरमाई राजनीति

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने 'वोटर अधिकार यात्रा' की शुरुआत की। इस यात्रा का उद्देश्य मतदाताओं के अधिकारों की रक्षा और लोकतंत्र को मजबूत करना है।

वोट अधिकार यात्रा से बिहार में गरमाई राजनीति

बिहार में 'वोटर अधिकार यात्रा': लोकतंत्र का रक्षा यज्ञ

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्षी महागठबंधन के प्रमुख नेताओं राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने 'वोटर अधिकार यात्रा' का आयोजन किया है। यह यात्रा बिहार के 20 से अधिक जिलों से होकर गुजर रही है और लगभग 1,300 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इसे 16 दिन में पूरा कर 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में विशाल रैली के साथ समाप्त होगा। इस यात्रा का उद्देश्य मतदाताओं के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना, चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और लोकतंत्र को मजबूत बनाना है।

यात्रा की शुरुआत और उद्देश्य

इस यात्रा की शुरुआत 17 अगस्त 2025 को सासाराम से की गई, जहां बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने स्थानीय लोगों से मुलाकात की और चुनाव आयोग तथा सरकार पर कड़ी टिप्पणी की। राहुल गांधी ने इस यात्रा में कहा कि भारत में चुनावी घोटाला हो रहा है। उन्होंने चुनाव आयोग और बीजेपी पर वोट चोरी का आरोप लगाया और दावा किया कि कई मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं, जिससे उनके वोट का अधिकार प्रभावित हो रहा है।

तेजस्वी यादव ने भी यह सुनिश्चित करने की बात कही कि बिहार के लोगों के वोट हर हाल में सुरक्षित रहेंगे और किसी भी प्रकार की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। वे इस यात्रा को लोकतंत्र की रक्षा का एक प्रमुख कदम बता रहे हैं।

चुनाव आयोग पर विवाद

राहुल गांधी के आरोपों के जवाब में चुनाव आयोग ने भी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने राहुल गांधी को सात दिन का समय दिया है ताकि वे अपने आरोपों के समर्थन में प्रमाण और शपथपत्र प्रस्तुत करें, नहीं तो सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई ठोस सबूत नहीं पेश किए गए तो आरोप निराधार माने जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने दोहरे मतदान और वोट चोरी के आरोपों को पूरी तरह से खारिज किया है और स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को पारदर्शी बताया है।

यात्रा के दौरान राजनीति और जनसंपर्क

यात्रा के दौरान राहुल गांधी और तेजस्वी यादव पैदल और वाहन मार्ग दोनों से जनता के बीच पहुंच रहे हैं। वे गांव-गांव, कस्बों में जाकर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं और उनकी उम्मीदों को समझने की कोशिश कर रहे हैं। इस यात्रा में विपक्षी दलों के अन्य नेता भी शामिल हैं, जिनका मकसद भाजपा सरकार की नीतियों और चुनाव प्रबंधन को चुनौती देना है।

यात्रा का आयोजन गांवों, छोटे शहरों और जिलों में जन-समर्थन जुटाने और चुनाव आयोग के प्रति जनता का विश्वास बहाल करने के लिए किया गया है। इस प्रयास में महिलाओं, युवा और किसान वर्ग को विशेष महत्व दिया जा रहा है।

व्यापक राजनीतिक प्रभाव

यह यात्रा बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रही है। मतदाताओं के वोट अधिकार की लड़ाई केवल एक चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि लोकतंत्र के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस यात्रा ने विपक्ष के नेताओं को एक मंच पर एकजुट किया है और चुनाव के हालात को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

तेजस्वी यादव ने भी इस दौरान उद्घोषणा की है कि अगली बार बिहार में राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए पहली पसंद होंगे, जो महागठबंधन की एकता और राहुल गांधी के प्रति बढ़ते जनसमर्थन को दर्शाता है।