Chamoli accident : मां की छाती से चिपके मिले जुड़वां बच्चे और मां का शव
उत्तराखंड के चमोली जिले के फली गांव में आई बाढ़ और मलबा ढहने से एक हृदयविदारक हादसा सामने आया। मलबे से निकाले गए शवों में मां और उसके जुड़वां बच्चे एक-दूसरे से लिपटे मिले। मां की छाती से चिपके बच्चों का यह दृश्य इतना दर्दनाक था कि गांव का हर शख्स रो पड़ा। पूरी घटना ने न सिर्फ गांव बल्कि पूरे क्षेत्र को गहरे गम और सदमे में डाल दिया है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के फली गांव में आई प्राकृतिक आपदा ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। यह हादसा न केवल आंखें नम कर देने वाला है बल्कि दिल को झकझोरने वाला भी है। गांव के लोग आज भी उस तस्वीर को नहीं भूल पा रहे जब मलबे से निकले जुड़वां बच्चों और उनकी मां का शव एक दूसरे से लिपटा हुआ मिला। बच्चे मां के सीने से पूरी ताकत से चिपके हुए थे, जैसे आखिरी दम तक उन्होंने मां का साथ नहीं छोड़ा। यह नजारा देख वहां मौजूद हर किसी की आंख छलक गई और पूरा गांव मातम में डूब गया।
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भारी बारिश के कारण आई आपदा से टूटा गांव का जीवन
पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश ने चमोली जिले की नदियों को उफान पर ला दिया था। पहाड़ से गिरते मलबे और पानी की तेज धारा ने फली गांव की कई झोपड़ियों और मकानों को धराशायी कर दिया। लोग रातोंरात बेघर हो गए और कई परिवारों ने अपनों को खो दिया। इन्हीं मलबों के बीच से जब गांव वालों ने तीन शव निकाले तो दिल दहलाने वाला दृश्य सामने आया। जुड़वां बच्चे अपने छोटे-छोटे हाथों से मां की छाती से चिपके हुए मिले। यह दृश्य इतना दर्दनाक था कि किसी की भी आंखें बिना आंसुओं के नहीं रह सकीं।
गांव ने एक साथ खो दिया मां और उसके मासूम बच्चों का सहारा
फली गांव में रहने वाली महिला अपने दो जुड़वां बच्चों के साथ इस आपदा की चपेट में आ गई। बताया जाता है कि जिस वक्त हादसा हुआ, महिला घर के अंदर बच्चों को सीने से लगाए बैठी थी। अचानक मलबा और पानी का बहाव घर के भीतर घुस आया और तीनों उसकी चपेट में आ गए। कुछ ही देर में उनका दम घुट गया और परिवार हमेशा के लिए खत्म हो गया। गांव वालों के लिए यह घटना किसी भयानक सपने से कम नहीं है। एक ही पल में गांव ने तीन जिंदगियां खो दीं और ऐसी तस्वीर पीछे छोड़ दी जिसे भुलाना शायद ही कभी मुमकिन हो।
मलबे से निकलते ही छलक पड़े आंसू और रो पड़ा गांव
जैसे ही रेस्क्यू टीम और ग्रामीण मिलकर मलबा हटाने लगे, उन्हें उखड़े हुए पत्थरों और मिट्टी के नीचे से तीन शव दिखाई दिए। पहले किसी को अंदाजा नहीं था कि यह दृश्य इतना करुणामयी होगा। मां का शव बीच में था और दोनों बच्चों के शव उसकी छाती से ऐसे चिपके हुए थे जैसे अब भी मां की गोद में चैन पा रहे हों। वहां मौजूद हर इंसान की आंखें नम हो गईं। कई बुजुर्ग और महिलाएं तो रो-रोकर बेहाल हो गईं। पूरे गांव में मातम छा गया।
आपदा की कहानी सुनकर कांप उठे लोग
फली गांव में जो हुआ, उसने पूरे उत्तराखंड में दर्द फैला दिया। लोग कहते हैं कि मां की ममता इतनी गहरी होती है कि मौत के बाद भी बच्चे उससे दूर नहीं हो पाते। इस घटना ने साबित कर दिया कि मां और बच्चों का रिश्ता दुनिया का सबसे मजबूत रिश्ता होता है। गांव के अलावा आसपास के इलाकों में भी यह खबर फैलते ही लोग शोक में डूब गए। सोशल मीडिया पर भी लोग इस घटना को देख-समझ कर आंखों में आंसू रोक नहीं पा रहे।
प्रशासन और बचाव दल की चुनौतियां
आपदा के समय प्रशासन और रेस्क्यू टीम को बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ीं। लगातार बारिश के बीच रास्ते टूट गए, पुल बह गए और नदियों का पानी खतरे से ऊपर बहने लगा। ऐसे माहौल में मलबे से शव निकालना बेहद कठिन काम था। लेकिन घंटों की मेहनत के बाद महिला और उसके जुड़वां बच्चों को बाहर निकाला जा सका। गांव वालों ने उनका अंतिम संस्कार भी पूरे सम्मान और गमगीन माहौल में किया।
मां और बच्चों की याद में गांव की आंखें युगों तक नम रहेंगी
गांव वालों का कहना है कि यह त्रासदी इतनी गहरी है कि इसे भुलाना असंभव है। हर किसी को जब भी उन मासूम जुड़वां बच्चों का चेहरा याद आता है, तो दिल फटने को हो जाता है। मां के साथ सटकर मिले इन बच्चों ने भले ही अब सांस लेना बंद कर दिया हो, लेकिन उनका यह दृश्य हमेशा गांव वालों की यादों में जिंदा रहेगा।
एक चेतावनी भी है यह घटना
यह घटना केवल दिल को झकझोरने वाली नहीं है बल्कि एक चेतावनी भी है कि प्रकृति के कहर के सामने इंसान कितना छोटा और असहाय हो जाता है। चमोली बाढ़ जैसी घटनाएं बताती हैं कि हमें पर्यावरण की सुरक्षा के लिए और ज्यादा कदम उठाने होंगे। पहाड़ों पर अंधाधुंध कटाई और बेतरतीब निर्माण प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि यदि हम समय रहते नहीं संभले तो आने वाले समय में ऐसी त्रासदियां और भी विकराल रूप ले सकती हैं।
गांव की महिलाएं और बच्चे आज भी सहमे हुए हैं
त्रासदी के बाद से गांव की महिलाएं और बच्चे अब भी डर में जी रहे हैं। हर बार जब बादल घिर आते हैं, सबकी आंखों में डर दिखाई देता है। गांव की गलियों में अब पहले जैसी रौनक नहीं है। हर कोई उस मां और उसके मासूम जुड़वां बच्चों की याद में गम में डूबा हुआ है।
फली गांव की करुण कहानी हमेशा सुनाई जाएगी
समय के साथ जख्म भरने लगते हैं, लेकिन कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो इंसान की आत्मा तक को छू जाते हैं। फली गांव की यह कहानी भी ऐसी ही है। आने वाली पीढ़ियां भी जब इस घटना का जिक्र करेंगी तो यही कहेंगी कि मां और बच्चों का रिश्ता सबसे गहरा होता है। मौत भी इस रिश्ते को तोड़ नहीं पाती।
उत्तराखंड के चमोली जिले की इस दर्दनाक घटना ने इंसानियत को झकझोर दिया है। मां और जुड़वां बच्चों की यह आखिरी तस्वीर हर किसी को हमेशा याद दिलाएगी कि आपदा केवल घर नहीं उजाड़ती, बल्कि रिश्तों और भावनाओं को भी बिखेर देती है।
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