गुजरात के भरूच जिले में एक बड़ा हादसा हुआ, जब केमिकल प्लांट लगी भीषण आग ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। संघवी ऑर्गेनिक्स प्राइवेट लिमिटेड के प्लांट से उठतीं ऊंची-ऊंची लपटें दूर गांवों तक दिखाई दे रही थीं। यह दृश्य इतना भयावह था कि आसपास के गांवों में लोगों के बीच अफरा-तफरी मच गई। लोग घर छोड़कर बाहर भागने लगे। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को डर लग रहा था कि कहीं आग और ज्यादा न फैल जाए।
भीषण आग की शुरुआत और प्लांट में फैली अफरातफरी
बताया जा रहा है कि प्लांट में बने बड़े केमिकल टैंकों में अचानक आग लग गई। देखते ही देखते आग ऐसी भड़की कि पूरे प्लांट में अफरातफरी मच गई। काम कर रहे कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए दौड़ पड़े। धुएं और आग की लपटों के बीच चीख-पुकार का माहौल था। घटना की सूचना तुरंत दमकल विभाग को दी गई और करीब छह से ज्यादा दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।
दमकल विभाग ने लगातार संघर्ष कर ढाई से तीन घंटे में पाया काबू
आग पर काबू पाना आसान नहीं था क्योंकि प्लांट के अंदर ज्वलनशील रसायन मौजूद थे। जैसे ही आग एक हिस्से में कम होती, दूसरा हिस्सा जलने लगता। दमकल कर्मियों को आग बुझाने में पसीना आ गया। स्थानीय पुलिस ने इलाके को खाली करवाया ताकि कोई बड़ा हादसा न हो। लगभग ढाई से तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग को नियंत्रण में लाया गया।
आसपास के संजाली गांव और इलाकों में दहशत का माहौल
आग लगने के बाद पास के गांवों में लोग घर से भागकर खुले मैदान में जा पहुंचे। संजाली गांव के लोगों का कहना था कि आग की लपटें इतनी ऊंची थीं कि लग रहा था मानो पूरा इलाका जल उठेगा। बच्चों और महिलाओं में सबसे ज्यादा डर दिखाई दिया। गांव वालों ने बताया कि उन्होंने ऐसी आग पहले कभी नहीं देखी।
घटना के बाद जांच बैठाने और सुरक्षा इंतजाम की मांग
स्थानीय लोग और सामाजिक संगठनों ने कंपनी से जवाब मांगा कि आखिर इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई। उनका कहना था कि केमिकल प्लांट लगी भीषण आग से साबित होता है कि सुरक्षा इंतजाम पुख्ता नहीं थे। क्षेत्र के लोगों का आरोप है कि हर साल किसी न किसी केमिकल फैक्ट्री में हादसा हो जाता है। सरकार और संबंधित विभाग को चाहिए कि ऐसी घटनाओं पर रोक लगाने के लिए सख्त कदम उठाएं।
सरकारी अधिकारी और प्रशासन की पहली प्रतिक्रिया
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी फौरन मौके पर पहुंचे। उन्होंने आग को नियंत्रित करने के काम में दमकल कर्मियों का सहयोग किया और आसपास के इलाकों को खाली कराया। प्रशासन ने कहा कि हादसे में फिलहाल जनहानि की कोई पुष्टि नहीं हुई है। हालांकि अग्निशमन विभाग ने शुरुआती जांच के आधार पर कहा कि आग के पीछे का कारण शॉर्ट सर्किट या केमिकल में अचानक हुई प्रतिक्रिया हो सकता है।
ऐसे हादसों से सबक लेना क्यों जरूरी है
भरूच जैसे औद्योगिक जिले में केमिकल फैक्ट्रियां बड़ी संख्या में हैं। यहां हजारों मजदूर काम करते हैं और कई परिवारों की रोजी-रोटी इन्हीं पर निर्भर है। लेकिन जब केमिकल प्लांट लगी भीषण आग जैसी दुर्घटनाएं होती हैं तो यह न सिर्फ कामगारों, बल्कि पूरे इलाके के लोगों की जिंदगी को खतरे में डाल देती हैं। इस वजह से यह और भी जरूरी है कि फैक्ट्रियों में सुरक्षा के सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए।
स्थानीय लोगों की अपील और भविष्य की चिंता
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि कंपनी को अगली बार से हर संभव सुरक्षा इंतजाम करने चाहिए। आस-पास के गांवों ने भी प्रशासन से गुहार लगाई कि जल्दी से जल्दी एक उच्च स्तरीय जांच हो और ऐसा सिस्टम बने जिससे भविष्य में ऐसे हादसे न हों।
मानव जीवन और पर्यावरण पर असर
इस तरह की आग का असर सिर्फ कर्मचारियों या कंपनी तक सीमित नहीं रहता। धुएं से वातावरण प्रदूषित होता है और गांव के लोगों की सेहत पर असर पड़ सकता है। डॉक्टरों का मानना है कि लंबे समय तक ऐसे धुएं के संपर्क में रहने से सांस की बीमारी, आंखों में जलन और त्वचा की समस्या हो सकती है। इसलिए स्थानीय प्रशासन ने लोगों को घर से बाहर कम निकलने और मास्क लगाने की सलाह दी।