Chhath Festival 2025 : श्रद्धा, अनुशासन और आस्था से रंगे घाट नीतीश कुमार और योगी आदित्यनाथ ने दिया भगवान सूर्य को अर्घ्य
Chhath Festival 2025 पर पूरे देश में श्रद्धा और आस्था का सागर उमड़ पड़ा है। बिहार, उत्तर प्रदेश, और झारखंड के घाटों पर व्रती महिलाओं ने भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और योगी आदित्यनाथ ने भी पूजा में भाग लेकर प्रदेश की सुख-शांति की कामना की।
छठ महापर्व की छटा में रंगे घाट, नेताओं ने दी श्रद्धा की मिसाल
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सुबह की हल्की ठंड, हवा में गीले मिट्टी की खुशबू। हर तरफ से भजन की आवाजें। यही तो है छठ महापर्व का नजारा। आस्था का समंदर उमड़ा है। कोई टोकरियों में प्रसाद सजा रहा है, तो कोई नदी किनारे घुटनों तक पानी में खड़ा, सूर्य को निहार रहा है। यह सिर्फ पूजा नहीं, एक भाव है जो हर चेहरे पर साफ झलकता है।
पटना और लखनऊ में आस्था का समंदर
पटना के घाटों पर तिल रखने की जगह नहीं। महिलाएं सिर पर सुप लेकर खड़ी हैं। गीत गा रही हैं, मुस्कुरा रही हैं। वही दृश्य लखनऊ में भी दिखा। गोमती नदी किनारे लोगों की भीड़, मंत्रों की गूंज और जल में डूबे दीपक जैसे तारे चमक रहे हों।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पटना के घाट पहुंचे। उन्होंने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। उनके चेहरे पर संतोष था। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में श्रद्धालुओं के बीच अर्घ्य अर्पित किया। उन्होंने कहा, "छठ सिर्फ एक पर्व नहीं, हमारी संस्कृति की आत्मा है।"
भोर से पहले ही घाटों पर जुटी भीड़
रात अभी खत्म भी नहीं हुई थी, लेकिन महिलाएं तैयार थीं। साड़ी के पल्लू संभालतीं, प्रसाद की टोकरी उठाए निकल पड़ीं। उनके साथ बच्चे, परिवार, पड़ोसी सब चल पड़े। घाट तक पहुंचते-पहुंचते आसमान हल्का नीला हो गया। सूरज की पहली किरण जैसे ही दिखी, सबने हाथ जोड़ लिए।
गीतों की गूंज "उग हे सूरज देव" हर ओर फैली थी। ये सिर्फ शब्द नहीं, एक भाव था जो हर दिल में उतर गया।
देश-दुनिया में गूंजा छठ का नाम
भारत ही नहीं, विदेशों में भी भोजपुरी समाज ने इस पर्व को जी भरकर मनाया। दुबई, मॉरीशस, लंदन, न्यूयॉर्क जहां भी भोजपुरी लोग हैं, वहां घाट बना। मिट्टी के दीए जले, अरघ्य चढ़ा, और गीत गाए गए।
सोशल मीडिया पर भी छठ का रंग दिखा। नेताओं, कलाकारों, आम लोगों सबने तस्वीरें और वीडियो शेयर किए। हर जगह बस एक ही बात “जय छठी माई।”
एकता, अनुशासन और विश्वास का पर्व
छठ पूजा की खूबसूरती यही है कि इसमें कोई दिखावा नहीं। सब कुछ सादगी से। मिट्टी के बर्तन, घर का बना प्रसाद, और अनगिनत भावनाएं। यही इसकी ताकत है।
नीतीश कुमार ने कहा, “छठ हमें सिखाता है कि प्रकृति ही हमारी असली पूजा है।” योगी आदित्यनाथ ने कहा, “ये पर्व समाज को जोड़ता है, सीमाओं को मिटाता है।” सच कहा उन्होंने। ये पर्व लोगों को करीब लाता है। अमीर-गरीब, शहर-गांव, सब एक लाइन में खड़े होकर एक ही सूरज को प्रणाम करते हैं।
शाम की पूजा, जब सूरज ढलता है और दिल भर आता है
डूबते सूरज के साथ जब अर्घ्य दिया गया, तो माहौल में शांति थी। बस जल में तैरते दीपक और आसमान में उड़ती उम्मीदें। बच्चे हंस रहे थे, औरतें गीत गा रही थीं, बुजुर्ग आंखें मूंदे बैठे थे। यह दृश्य किसी फिल्म से कम नहीं था।
लोग कहते हैं, यह पूजा आत्मा को सुकून देती है। शायद सच में ऐसा ही है। क्योंकि जब सूरज ढलता है, तो मन के अंधेरे भी धीरे-धीरे मिट जाते हैं।
भक्ति और भावनाओं से भरा एक दिन
छठ का असली मतलब है समर्पण। बिना कुछ मांगे बस शुक्रिया कहना। प्रकृति को, जीवन को, रोशनी को। यही वजह है कि हर साल यह पर्व और बड़ा होता जा रहा है।
आज के समय में जब लोग भागदौड़ में उलझे हैं, छठ जैसे पर्व हमें रुकना सिखाते हैं। सोचने पर मजबूर करते हैं – हम क्या दे रहे हैं, क्या पा रहे हैं।
छठ महापर्व की यही सुंदरता है। हर बार वही भावना, वही अनुशासन, वही श्रद्धा। और हर बार, यह मन को नया सुकून देता है।
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