Chhath Puja Kharna 2025: छठ महापर्व के दूसरे दिन आज होगा खरना पूजन, जानें इसकी विधि और धार्मिक महत्व
छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना, आत्मसंयम और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखकर सूर्यास्त के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि आत्मिक शुद्धि और सामाजिक एकता का भी संदेश देता है। Chhath Puja Kharna 2025 के अवसर पर देशभर में श्रद्धा और भक्ति का वातावरण है, जहां लाखों लोग सूर्य देव की उपासना में लीन हैं।
छठ महापर्व: आज खरना, निर्जला व्रत की शुरुआत
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- छठ महापर्व का दूसरा दिन 'खरना' है, जो पर्व का सबसे पवित्र और अनुशासित हिस्सा माना जाता है।
- आज लाखों श्रद्धालु संध्या समय माँ गंगा और सूर्य देव की उपासना कर निर्जला व्रत शुरू करेंगे।
- खरना का अर्थ है शुद्धिकरण; यह दिन आत्मसंयम, श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक है।
देशभर में छठ महापर्व की धूम आज दूसरे दिन भी जारी है। आज के दिन मनाया जाता है खरना, जो इस पर्व का सबसे पवित्र और अनुशासित हिस्सा माना जाता है। Chhath Puja Kharna 2025 के अवसर पर आज लाखों श्रद्धालु संध्या समय माँ गंगा और सूर्य देव की उपासना करेंगे और निर्जला व्रत की शुरुआत करेंगे। यह दिन आत्मसंयम, श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।
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खरना का मतलब और इसका महत्व
खरना शब्द का अर्थ है शुद्धिकरण या आत्मसंयम का दिन। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद खरना पूजा करने के बाद प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह वो क्षण होता है जब मां छठी मय्या को मन, वचन और कर्म से पूर्ण समर्पण के साथ याद किया जाता है। Chhath Puja Kharna 2025 में भी यही परंपरा कायम रहेगी, जहां व्रती पूरे दिन बिना अन्न‑जल के रहते हुए शाम को भगवान भास्कर का ध्यान करके व्रत खोलते हैं।
खरना पूजन की सही विधि
खरना की शुरुआत सूर्यास्त के समय होती है। इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र पहनते हैं और पूजा स्थल को स्वच्छ बनाते हैं। चौकी पर मिट्टी का चूल्हा बनाकर उसमें आम की लकड़ी से दीया जलाया जाता है। चावल, गुड़ और दूध से बने खीर को केले और गन्ने के साथ प्रसाद के रूप में बनाया जाता है। इस प्रसाद को ‘खरना का प्रसाद’ कहा जाता है, जिसे सबसे पहले सूर्य देव को अर्पित किया जाता है।
इसके बाद व्रती शाम के समय छठ मइया से प्रार्थना करते हैं कि वे परिवार पर आशीर्वाद बनाए रखें। फिर व्रती अकेले ही अपने खरना का प्रसाद ग्रहण करते हैं। उसी क्षण से अगली सुबह उदय होते सूर्य के अर्घ्य तक निर्जला उपवास शुरू होता है। इस प्रकार Chhath Puja Kharna 2025 का यह दिन आत्मस्वच्छता और आध्यात्मिक अनुशासन का परिचायक होता है।
खरना के पीछे धार्मिक कहानी
पुराणों के अनुसार, खरना के दिन व्रती अपने जीवन के नकारात्मक विचारों और पाप कर्मों को पीछे छोड़कर नया आरंभ करते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता छठ का आगमन होता है और वह अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं। कहा जाता है कि खरना से ही व्रत का असली अनुशासन शुरू होता है। इस कारण Chhath Puja Kharna 2025 का दिन हर श्रद्धालु के लिए खास महत्व रखता है।
एक अन्य कथा के अनुसार, जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो माता सीता ने संतान सुख के लिए सूर्य देव की पूजा की थी। उसी परंपरा से यह महापर्व प्रारंभ हुआ। खरना उस तैयारी का दिन माना जाता है जिससे भक्त सूर्य उपासना की राह पर पूरी आस्था से आगे बढ़ते हैं।
खरना की तैयारी घरों में
इस दिन हर घर में सुबह से ही साफ-सफाई की जाती है। रसोई में मिट्टी या पीतल के बर्तनों का उपयोग किया जाता है क्योंकि छठ पर्व में पवित्रता को सर्वोपरि माना गया है। घर की महिलाएं दिनभर व्रत रखती हैं और शाम होते ही खरना प्रसाद तैयार करती हैं। चूल्हे पर पकाई गई खीर और चपाती की खुशबू पूरे घर को भक्ति से भर देती है।
2025 में भी बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और देश के कई हिस्सों में Chhath Puja Kharna का नजारा देखने लायक होगा। गंगा घाटों पर महिलाओं का समूह छठ गीतों के साथ तैयारी में जुटा रहेगा। यह दृश्य न केवल संस्कृति की झलक दिखाता है बल्कि मातृत्व और श्रद्धा का प्रदर्शन भी करता है।
खरना के बाद व्रत का क्रम
खरना के बाद व्रत करने वाले लोग अगले 36 घंटे तक निर्जला उपवास करते हैं। तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ छठ पूजा का समापन होता है। इन दो दिनों के बीच व्रती बिना पानी और अन्न के केवल भगवान सूर्य की आराधना में डूबे रहते हैं। Chhath Puja Kharna 2025 के दौरान भी यही परंपरा निभाई जाएगी जिसमें व्रती अपनी आत्मशक्ति और समर्पण की परीक्षा देते हैं।
इस समय घाटों पर उल्लास का वातावरण होता है। लोग एक दूसरे से मिलते हैं, छठ गीत गाते हैं और सामूहिक भक्ति की अनुभूति साझा करते हैं। खरना के अगले दिन से पूरे वातावरण में श्रद्धा और भक्ति का माहौल फैल जाता है।
2025 में खरना की तिथि और शुभ मुहूर्त
साल 2025 में छठ पूजा का दूसरा दिन, यानी खरना, 26 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। खरना पूजन का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के लगभग एक घंटे बाद माना गया है। इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देने और माँ छठी से परिवार के सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है। पूरे देश में आज शाम को घाटों पर लाखों श्रद्धालु एक साथ इस पवित्र पर्व का पालन करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन का पूजन मन से किया जाए तो सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर में समृद्धि आती है। Chhath Puja Kharna 2025 के मौके पर हर भक्त के चेहरे पर अटूट श्रद्धा दिखाई दे रही है। लाखों महिलाएं संतान सुख और पारिवारिक सौभाग्य की कामना के साथ इस उपवास को निभा रही हैं।
खरना का सांस्कृतिक प्रभाव
यह पर्व अब केवल बिहार तक सीमित नहीं रहा। आज दिल्ली, मुंबई, कोलकाता से लेकर नेपाल तक Chhath Puja Kharna बड़ी श्रद्धा के साथ मनाने की परंपरा बन चुकी है। जहां कहीं भी बिहारी समुदाय है, वहां छठ मइया की पूजा अपने पूरे विश्वास और सादगी के साथ की जाती है। खरना उस एकता की भावना को मजबूत करता है जो समाज को जोड़ती है। यह पर्व हमें सिखाता है कि विश्वास और संयम से कोई भी कार्य सफल होता है।
2025 का यह वर्ष खास है क्योंकि इस बार कई जगहों पर पर्यावरण संरक्षण के संदेश के साथ छठ मनाया जा रहा है। लोग प्लास्टिक मुक्त घाट तैयार कर रहे हैं और प्राकृतिक प्रसाद का उपयोग कर रहे हैं। यह दिखाता है कि परंपरा के साथ आधुनिक सोच का सुंदर संगम हो रहा है।
Chhath Puja Kharna 2025 न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारी भारतीय संस्कृति और पारिवारिक एकता का प्रतीक भी है। खरना हमें सिखाता है कि शुद्ध मन और सच्ची आस्था से जीवन में हर कठिनाई को दूर किया जा सकता है। आज के दिन जब सूर्य देव अस्त होंगे, हर घाट पर उठे हुए हाथ और भक्ति के गीत इस आस्था के साक्षी बनेंगे। छठ मइया सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाएं, यही इस पर्व का सच्चा संदेश है।
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