छठ महापर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और देशभर के लोगों के लिए सबसे बड़ा आस्था पर्व है। हर साल की तरह इस बार भी छठ पूजा नियम 2025 को लेकर तैयारियां पूरे जोश में हैं। यह पर्व सिर्फ पूजा नहीं बल्कि आत्मसंयम, पवित्रता और सच्ची श्रद्धा का प्रतीक है। लोग अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सूर्य देव और छठी मईया की आराधना करते हैं। लेकिन इसके दौरान कुछ बातें ऐसी होती हैं जो अगर भूलवश हो जाएं तो व्रत का प्रभाव प्रभावित हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि आप इस बार छठ के सभी नियमों और सावधानियों को समझें और उनका पालन करें।
छठ पूजा की शुरुआत कैसे करें
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। यह वो दिन होता है जब व्रती पूरी पवित्रता के साथ स्नान कर केवल एक बार शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं। छठ पूजा नियम 2025 के तहत नहाय-खाय के दिन घर की सफाई पूरी तरह की जानी चाहिए। घर में बन रहा प्रसाद सिर्फ मिट्टी या पीतल के बर्तन में ही होना चाहिए। इस दिन लहसुन-प्याज, मांस-मछली और अंडे जैसे तामसिक पदार्थों से पूरी तरह परहेज करना जरूरी है। व्रती को अपने आचरण में भी शुद्धता रखनी होती है ताकि आने वाले दिनों में व्रत पूरी श्रद्धा से पूरा हो सके।
खरना के दिन क्या न करें
छठ पूजा का दूसरा दिन खरना कहलाता है। इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर शाम को सूर्यास्त के बाद गुड़ की खीर, रोटी और केले का भोग लगाते हैं। छठ पूजा नियम 2025 में बताया गया है कि खरना का प्रसाद किसी बाहरी व्यक्ति या दुकान से नहीं लाना चाहिए, बल्कि घर में खुद शुद्ध वातावरण में बनाना चाहिए। प्रसाद बनाते समय बातचीत, टीवी चलाना या मोबाइल चलाना अशुभ माना जाता है। प्रसाद बनाने वाली जगह पूरी तरह शांत और पवित्र रखी जाती है। इस दिन गलती से भी किसी प्रकार का स्वाद चखना नहीं चाहिए।
सांझ के अर्घ्य में ध्यान रखें ये बातें
तीसरे दिन शाम को व्रती और परिवार के लोग नदी, तालाब या घाट पर जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। यह क्षण बहुत ही पवित्र माना जाता है। छठ पूजा नियम 2025 के अनुसार, सूर्य को अर्घ्य देते समय पैर पानी के अंदर ही रहने चाहिए और पानी छपकाने या घूमने से बचना चाहिए। अर्घ्य देते समय शरीर और मन दोनों पूरी तरह स्थिर रहना चाहिए। व्रती को नए कपड़े नहीं बल्कि साफ धुले पुराने कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि यह सादगी और समर्पण का प्रतीक होता है। इस दिन गंदगी या भीड़भाड़ वाले घाटों पर जाने से भी बचना चाहिए ताकि पूजा में कोई अव्यवस्था न हो।
उषा अर्घ्य के समय क्या करें और क्या नहीं
आखिरी दिन सुबह-सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देना सबसे अहम हिस्सा होता है। इस दिन व्रत का समापन होता है। छठ पूजा नियम 2025 के अनुसार अर्घ्य से पहले जलाशय की सफाई करना और व्रती महिलाएं पूरी श्रद्धा के साथ घाट पर पहुंचना जरूरी होता है। अर्घ्य के समय जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। कई बार लोग भीड़ में धक्का-मुक्की कर देते हैं, जिससे माहौल अशांत होता है। इस पवित्र समय में धैर्य ही सबसे बड़ी पूजा है। उगते सूर्य की पहली किरण के साथ जब व्रती अर्घ्य देती है, तभी उनकी तपस्या पूर्ण होती है।
छठ पूजा के दौरान सामान्य गलतियां जो नहीं करनी चाहिए
हर साल छठ के समय कुछ सामान्य गलतियां लोगों से अनजाने में हो जाती हैं। जैसे—धूप अगरबत्ती की कमी, घी की जगह तेल का दीपक जलाना, या प्रसाद में नमक डाल देना। छठ पूजा नियम 2025 में बताया गया है कि इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान न रखने से पूजा का असर कम हो सकता है। प्रसाद हमेशा बरतन में रखकर ऊँचाई पर रखना चाहिए। घर में झगड़ा या ऊँची आवाज में बोलना इस दौरान निषेध माना गया है क्योंकि छठ व्रत संयम का त्योहार है। व्रती को अपने मन और बोल दोनों को शांत रखना चाहिए।
परिवार और समाज में छठ का महत्व
छठ पूजा नियम 2025 केवल पूजा की विधि बताने के लिए नहीं है, बल्कि इसके पीछे समाजिक और पारिवारिक अनुशासन का संदेश भी छिपा है। जब पूरा परिवार एक साथ सुबह-सुबह घाट की ओर जाता है, तो उसमें एकजुटता और प्रेम का भाव झलकता है। इस पर्व में कोई भेदभाव नहीं होता। गरीब हो या अमीर, सभी एक समान श्रद्धा से सूर्य देव की उपासना करते हैं। बच्चे भी प्रसाद बनाने में मदद करते हैं, जिससे उनमें भी परंपरा और संस्कृति का परिचय होता है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से छठ पूजा क्यों खास है
जब वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो छठ पूजा नियम 2025 में बताई गई बातें शरीर को शुद्ध और स्वस्थ रखने में मदद करती हैं। व्रत के दौरान उपवास, शुद्ध भोजन और स्नान करने से शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं। सूर्य स्नान से त्वचा को प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है। छठ के दौरान बनाई जाने वाली सामग्रियों जैसे ठेकुआ, गुड़ की खीर या फल का सेवन प्राकृतिक और ऊर्जा से भरपूर होता है। इस तरह यह पूजा आध्यात्मिक के साथ-साथ शारीरिक शुद्धता भी लाती है।
छठ पूजा में आस्था और अनुशासन का संतुलन
छठ पूजा सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं बल्कि अनुशासन की एक मिसाल है। छठ पूजा नियम 2025 हमें यह सिखाता है कि पूजा में दिखावे से ज्यादा सच्ची निष्ठा मायने रखती है। जब कोई व्रती चार दिनों तक बिना कुछ खाए केवल श्रद्धा के बल पर सूर्य को अर्घ्य देती है, तो वह अनुशासन और त्याग का सबसे बड़ा प्रमाण होता है। इस बार जब आप छठ मनाएं तो यह याद रखें कि नियमों का पालन केवल रीति नहीं, बल्कि आस्था की आत्मा है।
छठ पूजा हर साल हमें यह सिखाती है कि शुद्ध मन, सादगी और संयम के बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं होती। छठ पूजा नियम 2025 के ये सारे नियम सिर्फ पालन करने के लिए नहीं बल्कि हमारी जीवन शैली को संतुलित करने के लिए भी हैं। जब हम इन आदर्शों को अपने जीवन में उतारते हैं, तभी सच्चे अर्थों में छठ पूजा की भावना जीवंत होती है। इसलिए इस छठ पर व्रत रखें, नियमों का पालन करें, बड़ों का आशीर्वाद लें और सूर्य देव से अपने घर में सुख-शांति की कामना करें।












