शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ते दबाव और मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं का एक और दुखद उदाहरण सामने आया है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर में NEET की तैयारी कर रहे एक होनहार छात्र ने अपनी जिंदगी समाप्त कर ली है। यह घटना न केवल एक परिवार को तबाह कर गई बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय बन गई है।
घटना का विवरण
सरकंडा क्षेत्र निवासी संस्कार सिंह नाम के इस छात्र ने अपने घर में गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार यह घटना मंगलवार की शाम को हुई जब घर में परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे। अचानक आई आवाज से सभी घबरा गए और जब कमरे में गए तो संस्कार को खून से लथपथ हालत में पाया।
स्थानीय पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा। प्रारंभिक जांच में मानसिक दबाव और डिप्रेशन को इस कदम का मुख्य कारण माना जा रहा है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है लेकिन परिवारजनों से बात करने पर पता चला कि संस्कार पिछले कुछ दिनों से परेशान था।
परिवार का दुख
संस्कार के पिता एक सरकारी कर्मचारी हैं जो अपने बेटे के भविष्य को लेकर बहुत सपने देखते थे। मां एक गृहिणी हैं जो हमेशा अपने बेटे की पढ़ाई में उनका साथ देती रही। पूरा परिवार इस घटना से टूट गया है और अभी भी इस बात पर विश्वास नहीं कर पा रहा कि उनका होनहार बेटा इतना बड़ा कदम उठा सकता है।
पड़ोसियों का कहना है कि संस्कार एक शांत और मेधावी छात्र था। वह अपनी कक्षा में अच्छे अंक लाता था और NEET की तैयारी के लिए कोचिंग भी जाता था। हाल के दिनों में उसके व्यवहार में कुछ बदलाव आया था लेकिन किसी ने सोचा नहीं था कि बात इतनी गंभीर हो सकती है।
शिक्षा का बढ़ता दबाव
आजकल के समय में प्रतियोगी परीक्षाओं का दबाव छात्रों पर बहुत बढ़ गया है। NEET जैसी परीक्षाओं में लाखों छात्र भाग लेते हैं लेकिन सीटें सीमित होती हैं। इस वजह से छात्रों के मन में डर और चिंता बनी रहती है। माता-पिता के सपने और समाज का दबाव छात्रों को मानसिक रूप से परेशान कर देता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब छात्र अपनी मेहनत के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं देख पाते तो वे हताशा में आ जाते हैं। कई बार घर और स्कूल दोनों जगह मिलने वाला दबाव उन्हें इतना परेशान कर देता है कि वे गलत कदम उठा लेते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी
हमारे समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर अभी भी जागरूकता की कमी है। लोग शारीरिक बीमारियों को तो गंभीरता से लेते हैं लेकिन मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं। अवसाद, चिंता और तनाव जैसी समस्याओं को कमजोरी समझा जाता है जबकि ये गंभीर मानसिक बीमारियां हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि अगर समय पर सही इलाज मिले तो इन समस्याओं से निपटा जा सकता है। परामर्श और दवाओं की मदद से कई लोग अपनी जिंदगी में वापस खुशी ला सकते हैं। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि परिवारजन और दोस्त इन संकेतों को पहचानें।
चेतावनी के संकेत
अगर कोई व्यक्ति अचानक से बहुत उदास रहने लगे, खाना-पीना छोड़ दे, दोस्तों से बात करना बंद कर दे या मौत के बारे में बात करे तो ये सभी खतरे के संकेत हैं। कई बार लोग अपनी परेशानी छुपाने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके व्यवहार से पता चल जाता है।
NEET छात्रों और उनके माता-पिता को समझना चाहिए कि जिंदगी में एक परीक्षा का फेल होना कोई बड़ी बात नहीं है। कई और रास्ते हैं सफलता पाने के। सिर्फ एक परीक्षा की वजह से अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगाना बिल्कुल गलत है।
समाधान की दिशा
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सबसे पहले माता-पिता को अपनी सोच बदलनी होगी। बच्चों पर अनावश्यक दबाव न डालें और उनकी मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करें। अगर कोई परेशानी दिखे तो तुरंत किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें।
स्कूल और कॉलेजों में भी काउंसलिंग की सुविधा बढ़ानी चाहिए। छात्रों को पता होना चाहिए कि वे अपनी समस्याओं के बारे में किससे बात कर सकते हैं। शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार की जरूरत है ताकि छात्रों पर कम दबाव पड़े।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि शिक्षा का मतलब सिर्फ अच्छे अंक लाना नहीं है बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है। जिंदगी में कई मौके आते हैं और हर मुश्किल का हल होता है। बस जरूरत है धैर्य और सही मार्गदर्शन की।