Chhindwara : में यूथ कांग्रेस का विरोध बेकाबू, चुनाव आयोग का पुतला जलाने से आग लगी और 4 पुलिसकर्मी भी घायल
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में यूथ कांग्रेस का प्रदर्शन हिंसक हो गया। चुनाव आयोग का पुतला दहन करने के दौरान आग की लपटें अचानक भड़क उठीं और वहां मौजूद पुलिसकर्मी इसकी चपेट में आ गए। इस घटना में चार पुलिसकर्मी झुलसकर घायल हो गए जिनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है। पुलिस ने तुरंत घायलों को अस्पताल पहुंचाया और मामले में 18 यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया।
मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में यूथ कांग्रेस का विरोध रविवार को अचानक बेकाबू हो गया। यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जिले में चुनाव आयोग का पुतला जलाया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य चुनाव आयोग के हालिया फैसलों और कार्यप्रणाली पर आपत्ति जताना था। लेकिन विरोध का यह तरीका अचानक हिंसक रूप ले बैठा और मौके पर मौजूद चार पुलिसकर्मी आग की लपटों से झुलस गए। स्थानीय लोगों के अनुसार कार्यकर्ताओं ने पुतले में ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल किया जिससे आग तेजी से फैल गई।
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प्रदर्शन के दौरान हुई अचानक घटना
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार यह प्रदर्शन जिले के मुख्य चौक पर आयोजित किया गया था। सैकड़ों कार्यकर्ता नारेबाज़ी कर रहे थे और चुनाव आयोग के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर कर रहे थे। पुतले को जैसे ही आग लगाई गई, लपटें उठीं और नियंत्रण से बाहर हो गईं। जलते हुए कपड़े और केरोसिन की गंध ने माहौल और तनावपूर्ण बना दिया। इसी बीच आग पास खड़े पुलिसकर्मियों तक पहुंच गई। चार पुलिसकर्मी आग की चपेट में आकर झुलस गए और उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। उनमें से दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।
पुलिसकर्मियों की स्थिति और प्रशासन की प्रतिक्रिया
अस्पताल के मुताबिक तीन पुलिसकर्मियों की स्थिति स्थिर है जबकि एक गंभीर रूप से घायल है। मेडिकल टीम लगातार उनकी देखरेख कर रही है। प्रशासन ने घायलों के परिवारों को तुरंत राहत राशि देने की घोषणा की है। छिंदवाड़ा के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल का दौरा किया और कहा कि किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।
पुलिस ने हालात संभाले लेकिन भीड़ हुई आक्रामक
घटना के बाद भीड़ और उत्तेजित हो गई। पुलिस बल ने जैसे ही हालात नियंत्रित करने की कोशिश की तो कार्यकर्ताओं ने और आक्रामक रुख दिखाया। मौके पर धक्का-मुक्की हुई और बल प्रयोग करना पड़ा। पुलिस ने लाठीचार्ज कर लोगों को तितर-बितर किया और हालात को काबू में लाया। लेकिन इस प्रक्रिया में कई कार्यकर्ता घायल भी हुए। इस दौरान प्रशासन को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा और अतिरिक्त पुलिस बल को बुलाना पड़ा।
18 यूथ कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर मामला दर्ज
घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने कठोर कार्रवाई करते हुए 18 कार्यकर्ताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। इन पर बल प्रयोग करने, ज्वलनशील पदार्थ डालने और सरकारी कार्य में बाधा डालने समेत अन्य धाराएं लगाई गई हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ऐसे कृत्य बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे और दोषियों को हर हाल में सजा दी जाएगी। फिलहाल इन सभी को हिरासत में लिया गया है और आगे की जांच जारी है।
घटना के बाद छिंदवाड़ा में तनाव का माहौल
इस घटना के बाद पूरे छिंदवाड़ा में तनाव का माहौल बना हुआ है। स्थानीय नागरिकों में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। लोगों का कहना है कि लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार सभी को है लेकिन इस तरह हिंसक तरीके से इसे अंजाम देना सही नहीं है। लोगों का कहना है कि यह स्थानीय प्रशासन की नाकामी भी है। अचानक हुई आगजनी से पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई और लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे।
राजनीतिक माहौल और विवाद की गहराई
इस पूरी घटना ने मध्यप्रदेश के राजनीतिक हालात को और गरमा दिया है। एक ओर यूथ कांग्रेस का आरोप है कि चुनाव आयोग निष्पक्ष तरीके से काम नहीं कर रहा है, वहीं दूसरी ओर भाजपा नेताओं ने इस घटना को हिंसा फैलाने का प्रयास बताया। राजनीतिक दलों के बीच यह बयानबाज़ी अब तेज हो गई है। विपक्ष का कहना है कि जनता की आवाज़ दबाने की कोशिश हो रही है, जबकि सत्ता पक्ष इसे कानून व्यवस्था पर हमला करार दे रहा है।
स्थानीय नागरिकों की राय और असर
इस घटना को लेकर स्थानीय नागरिक बेहद नाराज़ हैं। लोगों का मानना है कि छिंदवाड़ा जैसे शांत इलाके को राजनीतिक दल अपनी ज़मीन तलाशने की जगह बना रहे हैं। स्कूलों और बाज़ारों के प्रभावित होने से आम जनता असुविधा झेल रही है। व्यापारियों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं शहर की छवि पर नकारात्मक असर डालती हैं और आम कामकाज में बाधा उत्पन्न करती हैं।
कानून व्यवस्था को लेकर उठे सवाल
घटना के बाद यह सवाल फिर से खड़ा हो गया है कि आखिर प्रशासन ने आगजनी से निपटने के लिए उचित प्रबंध क्यों नहीं किए। यदि पर्याप्त तैयारी होती तो शायद यह घटना नहीं घटती। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन को अब और सतर्क रहना होगा। यह घटना याद दिलाती है कि छोटे से छोटा विरोध भी कब बड़ा रूप ले ले, कोई अंदाज़ा नहीं लगा सकता।
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