Jaya Shetty murder case: छोटा राजन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका जया शेट्टी मर्डर केस में जमानत रद्द

सुप्रीम कोर्ट ने अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को बड़ा झटका देते हुए 2001 में हुए होटल व्यवसायी जया शेट्टी मर्डर केस में दी गई जमानत को रद्द कर दिया है। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने राजन की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाते हुए राहत दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलटते हुए साफ संदेश दिया है कि गंभीर अपराधों में किसी भी हाल में नरमी नहीं दिखाई जाएगी।

Jaya Shetty murder case: छोटा राजन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका जया शेट्टी मर्डर केस में जमानत रद्द

सन 2001 में मुंबई शहर में हुए जया शेट्टी मर्डर केस ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। जया शेट्टी एक प्रसिद्ध होटल व्यवसायी थे, जो साफ-सुथरी छवि और कड़ी मेहनत के लिए जाने जाते थे। लेकिन अपराध की दुनिया से जुड़े कुछ लोग उन्हें अपने रास्ते की रुकावट मानते थे। इसी वजह से उस समय के कुख्यात गैंगस्टर छोटा राजन और उसके गिरोह का नाम इस हत्या से जोड़ा गया। अदालत में दी गई गवाही और सबूतों ने साफ किया कि इस हत्याकांड के पीछे छोटा राजन का ही हाथ था।

शुरुआती दौर में पुलिस जांच काफी पेचीदा रही। मुंबई पुलिस ने इस मामले को संगठित अपराध से जुड़ा बताते हुए कठोर धाराओं के तहत आरोप तय किए। लंबे समय तक सुनवाई चलती रही और अंत में निचली अदालत ने छोटा राजन को इस हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। हालांकि जया शेट्टी की हत्या के इतने सालों बाद भी उनका परिवार आज तक न्याय की उम्मीद में था।

छोटा राजन, जो पहले अंडरवर्ल्ड में दाऊद इब्राहिम का करीबी था, बाद में उसका कट्टर विरोधी बन गया। अपराध की दुनिया में उसका नाम हमेशा खौफ और हिंसा से जुड़ा रहा। यही वजह थी कि अदालत ने भी इस केस में ढिलाई दिखाने से इनकार कर दिया था और उसकी गिरफ्तारी के बाद उसे सख्त सजा सुनाई गई। इस सबके बावजूद बॉम्बे हाईकोर्ट ने बाद में उसके खिलाफ दी गई सजा पर रोक लगाते हुए जमानत दी थी, जिसने पूरे मामले को फिर से सुर्खियों में ला दिया।

 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्यों दी थी छोटा राजन को राहत

जब निचली अदालत ने छोटा राजन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी तो यह माना गया था कि इतना गंभीर मामला देखते हुए उसे कभी रिहाई नहीं मिलनी चाहिए। लेकिन सालों बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील करते समय उसकी तरफ से कुछ तर्क रखे गए। यह कहा गया कि राजन की तबीयत खराब है और वह लंबे समय से जेल में कैद है। उसकी सुरक्षा का भी सवाल उठाया गया। इन दलीलों को देखते हुए अदालत ने उसकी सजा को निलंबित करते हुए जमानत दे दी थी।

हालांकि यह फैसला आम लोगों के लिए समझ से परे था। एक ऐसे कुख्यात अंडरवर्ल्ड डॉन, जिसे खुलेआम कई हत्याओं और अपराधों का जिम्मेदार माना जाता है, को राहत देना न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। जया शेट्टी के परिवार और आम जनता ने इस फैसले पर नाराजगी जताई थी। बहुत से लोगों का मानना था कि अदालत को अपराध की गंभीरता को देखते हुए इतनी आसानी से रियायत नहीं देनी चाहिए थी।

कानून और न्याय व्यवस्था की जटिलता अक्सर ऐसे मामलों में सामने आती है। हाईकोर्ट का फैसला यही दिखाता था कि अपराध भले बड़ा हो, लेकिन अपील और दलील की प्रक्रिया से आरोपी को अवसर मिल सकता है। हालांकि यह राहत लंबे समय तक टिकी नहीं और अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया।

 

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर क्या संदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला साफ तौर पर यह बताता है कि कानून के नजरों में अपराध कितना भी पुराना क्यों न हो, उसकी गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। छोटा राजन जैसे अंडरवर्ल्ड डॉन के मामले में अगर ढिलाई दिखाई जाती तो यह गलत मिसाल साबित होती। भारत का सर्वोच्च न्यायालय हमेशा यह संदेश देता रहा है कि न्याय सिर्फ आरोपी के लिए नहीं बल्कि पीड़ित परिवार और समाज के लिए भी जरूरी है।

कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में आरोपी को राहत देना अपराध की दुनिया को अप्रत्यक्ष रूप से ताकत देता है। अगर कुख्यात अपराधियों को आसानी से जमानत मिलने लगे तो समाज में डर और असुरक्षा की भावना और गहरी हो जाएगी। जया शेट्टी मर्डर केस वैसे भी एक ऐसा अपराध था जिसने मुंबई के व्यावसायिक जगत और आम लोगों को डरा दिया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि कानून के सामने अपराधी कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, उसे कभी छूट नहीं मिल सकती।

इस आदेश से न केवल जया शेट्टी के परिवार को राहत मिली बल्कि आम जनता को भी विश्वास हुआ कि देर से सही लेकिन न्याय मिलता है। अदालत ने एक मजबूत संदेश दिया है कि अपराध की जड़ें कितनी भी गहरी क्यों न हों, न्याय का हथौड़ा अंत में उसी पर गिरता है जिसने अपराध किया है।

 

समाज और पीड़ित परिवार के लिए इस फैसले का महत्व

जया शेट्टी के परिवार ने इतने सालों तक अदालतों के चक्कर लगाते हुए केवल यही उम्मीद की थी कि अपराधी को उसकी सजा मिले। बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद परिवार में मायूसी छा गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उन्हें नई उम्मीद दी है। उनके लिए यह फैसला सिर्फ कानूनी जीत नहीं है बल्कि भावनात्मक राहत भी है।

समाज के नजरिए से भी यह फैसला बेहद अहम है। आज भी लोग अंडरवर्ल्ड के बीते दौर को याद करते हैं जब धमकियों और हत्याओं का सिलसिला आम था। ऐसे दौर में अंडरवर्ल्ड सरगना न्याय से बच जाते थे। लेकिन अब समय बदल चुका है। यह फैसला इस बात का प्रतीक है कि चाहे अपराध कितना ही पुराना क्यों न हो, न्याय देर-सबेर जरूर करता है।

आम लोग चाहते हैं कि अपराध की दुनिया हमेशा कानून के बोझ तले दबकर रहे। इस केस का निर्णय आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सबक की तरह रहेगा। खासतौर पर उन अपराधियों के लिए जो यह सोचते हैं कि समय बीत जाने पर उनकी सजा हल्की हो सकती है।

 

न्याय व्यवस्था और अपराधियों के लिए सख्त सबक

छोटा राजन जैसे अपराधियों ने देश की कानून-व्यवस्था को लंबे समय तक चुनौती दी। उनकी वजह से न केवल लोगों में डर फैला बल्कि समाज का संतुलन भी बिगड़ा। लेकिन अब जब सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत रद्द कर दी है तो यह केवल एक अदालती आदेश नहीं बल्कि अपराधियों के लिए सीधा संदेश है।

यह फैसला बताता है कि चाहे कितना भी समय गुजर जाए, अपराध और उसका हिसाब कानून के दस्तावेजों में दर्ज रहता है। न्याय कभी मिटता नहीं और उसका असर पीढ़ियों तक पहुंचता है। जब भी अपराधी सोचते हैं कि न्याय का शिकंजा ढीला पड़ा है, ऐसे फैसले उन्हें याद दिलाते हैं कि यह व्यवस्था हमेशा उनके खिलाफ खड़ी रहेगी।

समाज में न्याय की ऐसी नजीरें जरूरी हैं क्योंकि इससे लोगों का भरोसा कानून पर बना रहता है। अगर ऐसे अपराधियों को आसान जमानत मिल जाएगी तो आम आदमी का विश्वास टूटेगा। इसलिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला केवल छोटा राजन तक सीमित नहीं है बल्कि उस पूरी मानसिकता के खिलाफ है जिसने कभी अंडरवर्ल्ड को मजबूत किया था।

आज यह फैसला उस दौर की भी समाप्ति का प्रतीक है जिसमें अपराधी खुद को कानून से बड़ा मानते थे। भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में यह साफ हो चुका है कि कानून और अदालतें हमेशा अपराध के खिलाफ खड़ी रहेंगी। और यही लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत है।

About the Author

Saurabh Jha

Editor

नाम है सौरभ झा, रिपोर्टर हूँ GCShorts.com में। इंडिया की राजनीति, आम लोगों के झमेले, टेक या बिज़नेस सब पर नजर रहती है मेरी। मेरा स्टाइल? फटाफट, सटीक अपडेट्स, सिंपल एक्सप्लेनर्स और फैक्ट-चेक में पूरा भरोसा। आप तक खबर पहुंचे, वो भी बिना घुमा-फिरा के, यही मकसद है।