चीन-रूस-भारत की बड़ी एकजुटता, अमेरिका को सीधी चुनौती
चीन, रूस और भारत ने SCO शिखर सम्मेलन में दिखाई अभूतपूर्व एकजुटता। तीनों देशों के नेताओं ने अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने, बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।
तियानजिन (चीन) में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में सोमवार को दुनिया की तीन बड़ी ताकतों – चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नया वैश्विक संदेश दिया। इन नेताओं ने अमेरिकी वर्चस्व को चुनौती देने और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था स्थापित करने का संकल्प लिया। यह SCO के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा सम्मेलन माना जा रहा है।
प्रतीकात्मक एकजुटता का प्रदर्शन
सम्मेलन में सबसे अहम पल वह रहा जब पीएम मोदी ने पुतिन और शी जिनपिंग के साथ हाथ मिलाकर मजबूत एकता का संदेश दिया। यह मोदी का सात साल बाद चीन दौरा था और यह ऐसे समय हुआ जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 50% टैरिफ लगा दिया था।सम्मेलन में शी जिनपिंग ने अमेरिका पर अप्रत्यक्ष हमला करते हुए कहा – “शीत युद्ध मानसिकता और दबाव की राजनीति अब भी खत्म नहीं हुई है। हमें ब्लॉक आधारित टकराव को अस्वीकार करना होगा और समान, व्यवस्थित बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ना होगा।”पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को पश्चिमी हस्तक्षेप का नतीजा बताया और कहा कि यह संघर्ष रूस के हमले से नहीं बल्कि पश्चिमी समर्थित तख्तापलट से शुरू हुआ। उन्होंने SCO को “यूरोपीय और अटलांटिक मॉडल के विकल्प के रूप में नया खाका” बताया।
Related Articles
आर्थिक सहयोग पर जोर
सम्मेलन में पश्चिमी वित्तीय संस्थाओं को चुनौती देने के लिए ठोस कदम उठाए गए। शी जिनपिंग ने SCO डेवलपमेंट बैंक बनाने की घोषणा की, जो सदस्य देशों में बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा देगा।
चीन ने अगले तीन साल में SCO देशों को 1.4 अरब डॉलर का ऋण देने का वादा किया।इस साल के लिए 2 अरब युआन (280 मिलियन डॉलर) अनुदान देने की घोषणा की गई।अब तक चीन ने SCO देशों में 84 अरब डॉलर का निवेश किया है और 10,000 छात्रों को व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रमों में सहायता दी है।संगठन ने तियानजिन घोषणा पत्र और 2035 तक की 10 वर्षीय विकास रणनीति को मंजूरी दी। इसमें एकतरफा आर्थिक प्रतिबंधों (U.S. टैरिफ पर अप्रत्यक्ष टिप्पणी) की आलोचना की गई।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
सम्मेलन के बीच ही डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी और लिखा – “भारत हमसे बहुत अधिक व्यापार करता है, जबकि हम उनसे कम करते हैं। भारत ने टैरिफ घटाने की पेशकश की है, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है।”
भारत-चीन संबंधों में नई शुरुआत
सम्मेलन में चीन और भारत की पारंपरिक प्रतिद्वंद्विता के बावजूद, दोनों देशों ने रिश्तों को नए सिरे से मजबूत करने पर जोर दिया। मोदी ने शी जिनपिंग से कहा कि “भारत-चीन संबंधों को तीसरे देश की नजर से नहीं देखा जाना चाहिए।”भारत और चीन ने पांच साल बाद सीधी उड़ानें शुरू करने पर सहमति जताई।सीमा विवाद सुलझाने के लिए वार्ता जारी रखने का फैसला हुआ।
मोदी-पुतिन की मुलाकात
मोदी और पुतिन की निजी बातचीत ने भारतीय मीडिया में सुर्खियाँ बटोरीं। दोनों नेता पुतिन की प्रेसिडेंशियल लिमोज़ीन में करीब एक घंटे तक बातचीत करते रहे। मोदी ने बाद में इसे “महत्वपूर्ण और गहन चर्चा” बताया। रिपब्लिक वर्ल्ड ने इसे भारत के लिए “बड़ी कूटनीतिक जीत” करार दिया।
ये भी पढ़ें
-
Nuclear Threat: अगर इंदिरा गांधी मान जातीं तो मिट जाता पाकिस्तान का कहूटा प्लांट CIA रिपोर्ट में बड़ा दावा -
Indonesia Explosion: जकार्ता की मस्जिद में जुमे की नमाज के बीच धमाका! छात्रों में मची चीख-पुकार -
Zohran Mamdani: मीरा नायर के बेटे जोहरान ममदानी बने न्यूयॉर्क के मेयर, जानिए कैसे बदल दी अमेरिकी राजनीति -
क्यों बढ़ी Canada में Indian Students की परेशानी? 74% को नहीं मिली एंट्री! -
India China Trade: भारत-चीन के बीच फिर खुला व्यापार का दरवाज़ा! सरकार जल्द देगी आयात मंजूरी -
India Trishul Exercise 2025 : ऑपरेशन त्रिशूल से डरा पाकिस्तान, DG ISPR बोले भारत समंदर के रास्ते कर सकता है हमला