मालेगांव ब्लास्ट केस के नाम से पूरे देश में चर्चा में आए कर्नल प्रसाद पुरोहित आज फिर सुर्खियों में हैं। साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए ब्लास्ट ने देश की राजनीति, पुलिस और सेना, तीनों में ही हलचल मचा दी थी। इस मामले में कई बेगुनाह लोग, खासकर कर्नल प्रसाद पुरोहित, कई सालों तक जेल में रहे। इस दौरान उन्होंने हमेशा यह दावा किया कि उन्हें राजनीति के तहत फंसाया गया है, और उन्होंने बार-बार अपनी बेगुनाही की फ़रियाद लगाई।
सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखते हुए पुरोहित ने गहरी राहत की उम्मीद जताई थी
कर्नल प्रसाद पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहा था कि उनके खिलाफ साजिश हुई है। उन्होंने अदालत में दलील दी कि करीब 17 सालों का उनका करियर, उनकी ईमानदारी और सेवा भावना इसकी गवाह है कि वे कभी भी उस घटना में शामिल नहीं हो सकते। अदालत ने उनकी बातों को ध्यान से सुना और आखिरकार उन्हें 2017 में ज़मानत मिल गई थी। अब मालेगांव धमाका केस में आरोप भी खत्म हो गए, जिससे उनका नाम पूरी तरह से साफ हो गया।
मराठा लाइट इन्फेंटरी से शुरू हुआ था सफर
1994 में कर्नल पुरोहित ने सेना में करियर की शुरुआत मराठा लाइट इन्फेंटरी से की थी। उनकी ट्रेनिंग से लेकर देश सेवा तक, हर कदम पर उन्होंने साहस और कर्तव्य को सबसे ऊपर रखा। सेना के भीतर उनका नाम अनुशासन और कड़ी मेहनत के लिए जाना जाता था। ऐसे में जब 2008 में उन पर आरोप लगा, तो बहुत सारे लोग सकते में आ गए थे।
मालेगांव ब्लास्ट में नाम आया तो पूरी जिंदगी बदल गई
2008 के मालेगांव धमाके के केस में जब पुरोहित का नाम सामने आया, तो उन्हें आर्मी की नौकरी से निलंबित कर दिया गया और जेल भेज दिया गया। जेल में रहते हुए उन्होंने कई साल कठिन हालात में गुजारे, लेकिन अपने ऊपर लगे आरोप कबूल नहीं किए। उनके परिवार पर भी बहुत दुख बीता, क्योंकि वे लगातार सुर्खियों में रहे।
राजनीति के शिकार होने का आरोप, सेना में वफादारी का भरोसा
पुरोहित ने हमेशा यही बताया है कि उनका नाम सिर्फ़ राजनीति के चलते घसीटा गया। उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी किया, वह हमेशा देश और सेना के लिए किया। उनका यही आत्मविश्वास शुरुआत से लेकर अब तक लगातार बना रहा है। आज जब वे बेगुनाह साबित हुए, तो सेना ने भी उनके जज़्बे को सम्मान दिया है।
17 साल के इंतजार के बाद मिला प्रमोशन, जानें कौन सी रैंक मिली
बरसों तक चले कानूनी संघर्ष के बाद कर्नल प्रसाद पुरोहित को उनकी मेहनत, अनुशासन और देशभक्ति का फल मिला है। अब उन्हें सेना में प्रमोट करके लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक दी गई है। ये कोई मामूली बात नहीं है, क्योंकि इतनी बड़ी कानूनी लड़ाई के बाद सेना ने उन्हें फिर से भरोसेमंद अफसर मानते हुए आगे बढ़ाया है। प्रमोशन के साथ उनके अधिकार और जिम्मेदारियां भी बढ़ गई हैं।
परिवार की खुशी, समाज का सम्मान और सेना की नई उम्मीद
कर्नल पुरोहित के प्रमोशन की खबर मिलते ही पूरे परिवार में उत्सव जैसा माहौल है। उनकी पत्नी और बच्चों की आँखों में फिर से उम्मीद लौट आई है। मालेगांव ब्लास्ट केस में बेगुनाह साबित होने पर सिर्फ उनका परिवार नहीं, बल्कि समाज के वो लोग भी खुश हैं, जिन्हें शुरुआत से ही उन पर भरोसा था। कर्नल पुरोहित अब नए जोश के साथ सेना में सेवा देने के लिए तैयार हैं।
फरवरी 2025 में मिला प्रमोशन, सेना का सपना पूरा हुआ
फरवरी 2025 में आखिरकार सेना ने कर्नल पुरोहित को प्रमोट कर दिया। अब वे लेफ्टिनेंट कर्नल हैं और उनके लिए देश सेवा का एक नया मौका है। उनकी ये सफलता ये संदेश देती है कि अगर इंसान सच्चाई और ईमानदारी से लड़ाई करे, तो कभी न कभी इंसाफ जरूर मिलता है।
क्या सीख मिलती है पुरोहित की कहानी से
कर्नल प्रसाद पुरोहित की कहानी बता देती है कि जिंदगी में चुनौतियां चाहे कितनी भी बड़ी क्यों ना हों, हिम्मत और सच्चाई से उनका सामना करना चाहिए। उन्होंने कभी हार नहीं मानी, लंबे वक्त तक जेल में भी अपना हौसला तगड़ा रखा। आज उनकी मेहनत, कुर्बानी और सच्चाई की देशभर में तारीफ हो रही है।
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होना, समाज में विश्वास जीतना
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद कर्नल पुरोहित ने न सिर्फ अपनी बेगुनाही साबित की, बल्कि समाज में सेना की इज्जत और ऊंची कर दी। उनका प्रमोशन दिखाता है कि भारतीय सेना अपने सच्चे ओर ईमानदार जवानों को कभी भूला नहीं सकती।
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कर्नल पुरोहित को प्रमोशन देना उचित है?
Gaurav Jha
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