देश में एक बार फिर से कफ सिरप की वजह से बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान के सीकर तथा भरतपुर में अब तक कम से कम ग्यारह बच्चों की जान चली गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये सभी मौतें खांसी-जुकाम की आम दवा से हुई हैं जो हर घर में मिलती है।
कैसे हुईं इतनी सारी मौतें
छिंदवाड़ा जिले में नौ बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि राजस्थान के भरतपुर और सीकर में एक-एक बच्चे की जान गई है। जिला कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि दूषित कफ सिरप की वजह से बच्चों की किडनी फेल हो गई और इससे उनकी मौत हुई है। छिंदवाड़ा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर पवन नांदुलकर ने कहा कि मरने वाले बच्चों की किडनी बायोप्सी की गई तो पता चला कि सिरप में डायएथिलीन ग्लायकॉल नाम का जहरीला पदार्थ मिला हुआ था।
किन दवाओं पर लगा प्रतिबंध
सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए भोपाल में Nesto-DS और Coldrif कफ सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी है। ये वही दवाएं हैं जो ज्यादातर बच्चों को दी गई थीं। जांच में पता चला है कि ये सिरप जबलपुर की एक दवा कंपनी से आए थे। औषधि निरीक्षक शरद कुमार जैन ने बताया कि बीमार बच्चों को नागपुर के अस्पताल में भर्ती किया गया था लेकिन इलाज के दौरान ही कई बच्चों की मौत हो गई।
घर में रखी दवा बनी मौत का कारण
सीकर के खोरी गांव के नित्यांश की मां खुशबू शर्मा ने बताया कि 28 सितंबर की रात को बच्चे को हल्की खांसी हुई तो उन्होंने घर में पहले से रखी डेक्स्ट्रोमेथोर्फन कफ सिरप दी थी। 29 सितंबर की सुबह 5 बजे जब वह उठीं तो बच्चा बेहोश था। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इससे पता चलता है कि बिना डॉक्टर की सलाह के दी गई दवा कितनी खतरनाक हो सकती है।
सरकार ने क्या कहा इस मामले में
राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के सार्वजनिक स्वास्थ्य निदेशक रवि प्रकाश शर्मा ने स्पष्ट किया कि भरतपुर और सीकर में मरने वाले बच्चों को वह दवा नहीं दी गई थी जो सरकारी मुफ्त दवा योजना के तहत बांटी जाती है। दोनों बच्चों को डॉक्टर की सलाह के बिना घर पर ही सिरप दिया गया था। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार डेक्स्ट्रोमेथोर्फन दवा बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए।
केंद्र सरकार ने जारी किए नए नियम
बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने शुक्रवार को नया दिशा-निर्देश जारी किया है। इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को कफ सिरप बिल्कुल नहीं देना चाहिए। 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी इसकी सिफारिश नहीं की जाती। 5 साल से ऊपर के बच्चों को भी कफ सिरप देने से पहले डॉक्टर को बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
डायएथिलीन ग्लायकॉल क्या है और क्यों खतरनाक
भोपाल के हमीदिया अस्पताल की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. ज्योत्सना श्रीवास्तव ने बताया कि डायएथिलीन ग्लायकॉल एक औद्योगिक रसायन है जो एंटीफ्रीज और रंगों में इस्तेमाल होता है। यह शरीर में जाकर डाइग्लाइकोलिक एसिड में बदल जाता है जो किडनी और नसों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। कुछ कंपनियां सिरप को पतला और मीठा बनाने के लिए इसे मिलाती हैं क्योंकि यह सस्ता होता है।
इसके सेवन से कौन से लक्षण दिखते हैं
जहरीले कफ सिरप के सेवन से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब न आना, सिरदर्द और मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे लक्षण दिखते हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि इससे किडनी पूरी तरह से काम करना बंद कर देती है जिससे मौत हो जाती है।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह पहली बार नहीं है जब कफ सिरप से बच्चों की मौत हुई है। 2019 में जम्मू में 11 बच्चों की मौत हुई थी। 2022 में गाम्बिया में भारत में बने कफ सिरप से 66 बच्चों की जान गई थी जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी भी जारी की थी। मेडेन फार्मास्युटिकल्स कंपनी के सिरप में भी यही जहरीला पदार्थ पाया गया था।
इन घटनाओं से साफ है कि माता-पिता को बच्चों को कोई भी दवा देने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए। खासकर कफ सिरप जैसी दवाओं के मामले में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
POLL ✦
कफ सिरप से मौतें: किसकी जवाबदेही?
Saurabh Jha
नाम है सौरभ झा, रिपोर्टर हूँ GCShorts.com में। इंडिया की राजनीति, आम लोगों के झमेले, टेक या बिज़नेस सब पर नजर रहती है मेरी। मेरा स्टाइल? फटाफट, सटीक अपडेट्स, सिंपल एक्सप्लेनर्स और फैक्ट-चेक में पूरा भरोसा। आप तक खबर पहुंचे, वो भी बिना घुमा-फिरा के, यही मकसद है।