Dehradun Barish Tabahi : में बादल फटने से सहस्त्रधारा मालदेवता टपकेश्वर और फन वैली में तबाही
देहरादून में मूसलाधार बारिश और बादल फटने से हालात बेकाबू हो गए हैं। सहस्त्रधारा, मालदेवता, टपकेश्वर मंदिर और फन वैली जैसे प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट्स पर तबाही का मंजर साफ दिखाई दे रहा है। पुल टूट गए, सड़कें बह गईं और मंदिर परिसर मलबे में दब गया। प्रशासन को स्कूल बंद करने पड़े और बचाव दल लगातार राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। बारिश से पर्यटकों की आवाजाही बंद हो गई है और स्थानीय लोग बुरी तरह प्रभावित हैं।
देहरादून और आसपास के इलाके इस वक्त प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और पहाड़ों पर बादल फटने की घटनाओं ने इस खूबसूरत घाटी को मुश्किल हालात में डाल दिया है। सहस्त्रधारा, मालदेवता, टपकेश्वर मंदिर और फन वैली जैसे लोकप्रिय टूरिस्ट प्लेसेज अब बर्बादी की तस्वीर पेश कर रहे हैं। जहां कभी पर्यटकों की भीड़ और प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया जाता था, वहां अब मलबा, टूटी सड़कें और खंडहर जैसी स्थिति नजर आ रही है।
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सहस्त्रधारा में तेज बहाव के कारण पुल टूटे, चारों तरफ फैला मलबा
देहरादून का सबसे लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट सहस्त्रधारा इस समय भारी बारिश की मार झेल रहा है। नदियों और झरनों का पानी इतना तेज बह रहा है कि कई स्थानों पर पुल बह गए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सहस्त्रधारा के किनारे बसे छोटे-छोटे बाजार पानी और गाद में दब गए हैं। पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन ने सहस्त्रधारा की तरफ जाने वाले रास्ते पर रोक लगा दी है। जो परिवार यहां समय बिताने आए हुए थे, वे भी सुरक्षित स्थानों पर निकाले गए।
मालदेवता में घाटियों से आया मलबा, सड़कें और घरों पर पड़ी चोट
देहरादून के पूर्वी हिस्से में स्थित मालदेवता इलाका हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। लेकिन बीते दो दिनों से हो रही भारी बारिश ने इस जगह की शांति छीन ली। पहाड़ी ढलानों से बड़े पैमाने पर मलबा गिरने लगा है। इससे धारा का बहाव गली-मोहल्लों और खेतों तक पहुंच गया। कई घरों के भीतर पानी भर गया, जिससे ग्रामीण असहाय होकर घर छोड़ने को मजबूर हो गए। मालदेवता जाने वाली मुख्य सड़क भी जगह-जगह से टूट चुकी है। प्रशासन के लिए यहां तक पहुंच पाना भी मुश्किल साबित हो रहा है।
टपकेश्वर मंदिर परिसर मलबे से ढका, श्रद्धालुओं को रोकना पड़ा
देहरादून का ऐतिहासिक और पवित्र स्थल टपकेश्वर मंदिर भी इस प्राकृतिक आपदा से बच नहीं पाया। मंदिर परिसर में बहाव इतना तेज रहा कि शिवलिंग के आसपास भारी मात्रा में मलबा भर गया। हर रोज सैकड़ों श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते थे, लेकिन अब मंदिर के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। चारों तरफ गाद और पत्थरों का ढेर जमा है। प्रशासन और सेना की टीमें मंदिर परिसर से मलबा हटाने में जुटी हुई हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि अचानक आई बाढ़ ने टपकेश्वर क्षेत्र का चेहरा पूरी तरह बदल दिया है।
फन वैली में मनोरंजन पार्क के अंदर पहुंचा बाढ़ का पानी
पर्यटकों और परिवारों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण फन वैली भी इस बार बारिश से सुरक्षित नहीं रह पाया। इस मनोरंजन पार्क में बाढ़ का पानी सीधे अंदर पहुंच गया। कई झूले और स्विमिंग पूल की दीवारें टूट गईं। पार्क प्रशासन ने तुरंत सभी गतिविधियां बंद कर दीं और लोगों को बाहर निकालना पड़ा। मनोरंजन का यह बड़ा केंद्र आज पानी और मलबे की मार झेल रहा है। यह स्थिति उन परिवारों के लिए भी बेहद तकलीफ़देह है जो छुट्टियां बिताने यहां आए थे।
बारिश से बिगड़े हालात, स्कूल बंद और बचाव दल तैनात
देहरादून और आसपास के इलाकों में हालात इतने बिगड़ गए कि जिला प्रशासन को सख्त कदम उठाने पड़े। सुरक्षा कारणों के चलते शहर और ग्रामीण इलाकों के कई स्कूल बंद कर दिए गए। जगह-जगह फंसे लोगों को निकालने के लिए राहत और बचाव दल तैनात किए गए हैं। एनडीआरएफ और राज्य आपदा प्रबंधन दल लगातार प्रभावित इलाकों में काम कर रहे हैं। लोगों से सतर्क रहने और नदी-नालों से दूरी बनाए रखने की अपील की गई है।
पर्यटन पर गहरा असर, स्थानीय कारोबारियों के सामने संकट
सहस्त्रधारा, मालदेवता, टपकेश्वर और फन वैली जैसे टूरिस्ट स्पॉट्स देहरादून की पहचान माने जाते हैं। हर साल यहां हजारों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं, जिससे स्थानीय कारोबारियों की रोज़ी-रोटी चलती है। लेकिन इस तबाही ने न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को प्रभावित किया है बल्कि छोटे व्यवसायियों और दुकानदारों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। कई दुकाने बंद हो गई हैं और पर्यटकों की आवाजाही पूरी तरह रुक गई है। होटल और रेस्टोरेंट के बाहर सन्नाटा पसरा है।
स्थानीय लोगों की पीड़ा और प्रशासन की चुनौतियाँ
इस आपदा से सबसे अधिक प्रभावित स्थानीय लोग ही हैं। जिनका घर तबाह हो गया है, वे राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। जिनके खेत या दुकानें बह गईं, उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं बचा। प्रशासन के सामने भी कठिन चुनौती है—एक तरफ बचाव और राहत कार्य, दूसरी तरफ पर्यटकों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा। मौसम विभाग ने अभी और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे खतरा और बढ़ सकता है।
देहरादून की खूबसूरती पर बिछी तबाही की परत
कभी साफ हवा, हरियाली और झरनों के लिए मशहूर देहरादून आज तबाही के निशान ढो रहा है। सहस्त्रधारा का बहता पानी अब विनाश का रूप ले चुका है, मालदेवता की घाटियाँ मलबे से भर गई हैं, टपकेश्वर मंदिर जो आस्था का प्रतीक था वह गाद में दबा पड़ा है और फन वैली का मनोरंजन आज सन्नाटे में बदल गया है। यह दृश्य बताता है कि प्रकृति जितनी सुन्दर है, उतनी ही प्रचंड भी है।
सतर्कता ही बचाव है
देहरादून और आसपास के लोग इस समय कठिनाई में हैं। प्रशासन राहत और पुनर्वास कार्य कर रहा है लेकिन यह भी एक सबक है कि प्रकृति से छेड़छाड़ के नतीजे कितने गंभीर हो सकते हैं। हमें पर्यावरण संतुलन बनाए रखना होगा और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करनी होगी। फिलहाल लोगों से यही अपील है कि वे सतर्क रहें, अफवाहों से बचें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
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