GPS Spoofing: दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI Airport) पर बीते शुक्रवार को हुई तकनीकी गड़बड़ी ने एयर ट्रैफिक सिस्टम को हिला कर रख दिया। 800 से ज्यादा उड़ानें प्रभावित हुईं और यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। शुरुआत में इसे ATC System की तकनीकी खराबी बताया गया, लेकिन बाद में सामने आया कि ये मामला साधारण नहीं बल्कि संभवतः GPS Spoofing जैसा साइबर हमला हो सकता है।
DGCA ने मामले की जांच शुरू कर दी है और पायलटों से मिले इनपुट के अनुसार, फर्जी सैटेलाइट सिग्नल दिल्ली से लगभग 110 किमी के दायरे में सबसे ज्यादा सक्रिय पाए गए। इस वजह से कई उड़ानों को जयपुर और लखनऊ की ओर डायवर्ट करना पड़ा।
क्या है GPS Spoofing और कैसे होता है ये साइबर हमला?
GPS Spoofing एक ऐसा साइबर अटैक है जिसमें नकली सैटेलाइट सिग्नल भेजे जाते हैं, ताकि नेविगेशन सिस्टम गलत लोकेशन को ट्रैक करे। इसका मतलब कोई भी डिवाइस, चाहे वो विमान हो या मोबाइल, अपनी वास्तविक स्थिति से भटक सकता है। यही कारण है कि हाल के दिनों में दिल्ली एयरपोर्ट (Delhi Airport) पर कई उड़ानें अपने तय रास्तों से भटक गईं, जिससे फ्लाइट डाइवर्जन (Flight Diversions) की घटनाएं बढ़ीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (ILS) अपग्रेड के लिए बंद होता है, तब विमान सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में वे स्पूफिंग की घटनाओं (Spoofing Incidents) के लिए ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं।
सीमा से आने वाला खतरा भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से उठ रहा सिग्नल?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2023 से फरवरी 2025 के बीच भारत-पाकिस्तान सीमा (India-Pakistan Border) पर 465 स्पूफिंग घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं (Incidents of Spoofing) में से कई का असर उत्तर भारत के एयर ट्रैफिक पर भी पड़ा है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ जैमर्स जो पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों को रोकने के लिए तैनात हैं, उनके सिग्नल कभी-कभी भारत के भीतर उड़ान भरने वाले विमानों को भी प्रभावित करते हैं। यह स्थिति एयर ट्रैफिक कंट्रोल (Air Traffic Control) सिस्टम के लिए गंभीर चुनौती बन रही है।
दुनिया भर में बढ़ा GPS Spoofing का खतरा
केवल भारत ही नहीं, बल्कि कजाकिस्तान, रूस, म्यांमार और यूक्रेन जैसे देशों में भी GPS Spoofing incidents में तेज़ी आई है। IATA रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक स्तर पर 4.3 लाख से अधिक स्पूफिंग और जैमिंग घटनाएं दर्ज की गईं ,जो 2023 की तुलना में 62% अधिक हैं।
भारत में डीजीसीए (DGCA) और नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस खतरे से निपटने के लिए तकनीकी निगरानी और सुरक्षा प्रोटोकॉल को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में सैटेलाइट सिग्नल की सुरक्षा को प्राथमिकता देना भारत जैसे घनी आबादी वाले देशों के लिए जरूरी हो गया है।
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